खेत-तालाब निर्माण में नहीं कराई पिचिंग, करोड़ों का गोलमाल

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एस्टीमेट को रद्दी की टोकरी में डाला, जनपद सीईओ, उपयंत्री व

ब्लॉक कोऑर्डिनेटर की मनमानी

 

शहडोल। जिले के इकलौते जयसिंहनगर जनपद पंचायत क्षेत्र में कराए जा रहे वाटरशेड के कार्यों में भारी अनियमितता की जा रही है। यहां एस्टीमेट को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है और मनमानी स्तर से काम कराया जा रहा है जिसमें जनपद सीईओ अभिषेक कुमार झा, उपयंत्री अनुराग शर्मा, ब्लॉक कोऑर्डिनेटर लटोरी सिंह दंडोतिया शामिल है। बताया गया कि इस कार्य में करोड़ों रुपए की कमीशन बाँटकर खाया जा रहा है और कार्यो की औपचारिकता निभाई जा रही है।
शासकीय राशि का बंदरबाट
शिकायत में बताया गया है कि यहां पर शासन की राशि की होली खेली जा रही है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। अंदरूनी सूत्रों ने बताया है कि जयसिंहनगर जनपद में 40 से अधिक खेत तालाब बनाए जा रहे हैं जिनमें 11.50 लाख रूपये से अधिक लागत मे खेत तालाब बनाए जा रहे है। लेकिन इसमें भारी अनियमितता की जा रही है खेत तालाब में पीचिंग का कार्य भी अभी तक नहीं कराई गया है और पैसा निकाल लिया गया है। माप पुस्तिका में भी इधर-उधर करके गलत जानकारी दर्ज की जा रही है।
5 करोड़ पर निगाहें
इसी तरह अन्य निर्माण कार्यों में भी गोलमाल किया जा रहा है स्टीमेट के हिसाब से एक भी खेत तालाब नहीं बनाए गए है। बनाए जा रहे खेत तालाब में मात्र 2 लाख रूपये की राशि खर्च करके बाकी शेष राशि से जेबें भर रहे है। खेत तालाब का स्थान चयन में भी अनदेखी की जा रही है। अगर इसी तरह चलता रहा तो अभी तक तीन करोड़ के लगभग रुपए खर्च हो चुके हैं, ढेड करोड़ रुपए और मार्च तक खर्च करना है तो शासन की लगभग 5 करोड़ रुपए पानी में चली जाएगी। इस कार्य में मुख्य रूप से सीईओ जनपद जयसिंहनगर और उपयंत्री पर घोर अनियमितता करने का आरोप लगाया गया है। इन दोनों की मिलीभगत से शासन को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। कार्यो को भी गोपनीय ढंग से कराया जा रहा है। यहां तक कि जनपद में पदस्थ कर्मचारियों को भी नहीं मालूम है कि जनपद के अंतर्गत 5 करोड रुपए के वाटरशेड के कार्य कराए जा रहे हैं। गत दिनों एक निजी तकनीकी टीम ने वाटर सेड कार्यों का निरीक्षण किया। जिसमें घोर अनियमितता पाई गई है। इस कार्य में स्टीमेट को दरकिनार कर मनमानी रूप से खेत तालाब बनाए जा रहे हैं खेत तालाब की कोई उपयोगिता नहीं है।
जवाबदार भर रहे जेब
इस मामले की शिकायत में बताया गया है कि अधिकारी क्षेत्रीय जनता की चिंता छोड़ कर पैसा कमाने में लगे हुए है। शासन की राशि का क्षेत्र की जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसका किसी को फिक्र नहीं है यह अंधेरगर्दी देखकर तकनीकी टीम ने आश्चर्य व्यक्त किया है। टीम के सदस्यों का कहना रहा कि भ्रष्टाचार होता है पर इस कदर नहीं, यहां तो पूरी शासन की राशि को ही हजम करने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी जुटे हुए हैं। अगर शासन स्तर से वाटर शेड के निर्माण कार्यों की जांच कराई जाए तो आश्चर्यजनक नतीजे सामने आएंगे। जिसमें सीईओ, उपयंत्री, ब्लॉक कोऑर्डिनेटर समेत दर्जनों की नौकरी भी जा सकती है। इसके बाद भी संबंधित कर्मचारी अपने कार्य शैली में कोई सुधार नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि जिले में 5 जनपद पंचायतें हैं लेकिन सिर्फ जयसिंहनगर जनपद पंचायत में ही वाटरशेड के कार्य स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन इन कार्यों को एस्टीमेट के अनुसार कार्य नहीं कराया जा रहा है जिससे शासन की राशि से बन रहे वाटरशेड के कार्यों से आम जनता को एक पैसे का भी लाभ नहीं मिलेगा।

 

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