अनुबंध के बावजूद बेच दिया दूसरे को भूखण्ड

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क्रेता ने एसपी से शिकायत कर की कार्रवाई की मांग

शहडोल। संभाग मुख्यालय के आसपास स्थित पंचायतों व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित जमीनों की खरीद फरोख्त में जमकर दलाली और धोखाधड़ी की जा रही है। जिससे संबंधित आए दिन मामले कायम हो रहे हैं। जमीनों का सौदा होता है, प्रतिफल की रकम ले ली जाती है उसके बाद वही जमीन अधिक दामों पर दूसरों को बेच दी जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि एक जमीन का तीन -तीन बार सौदा किया जा रहा है। लेकिन ऐसे गंभीर अपराधों के खिलाफ प्रशासन द्वारा कोई ठोस अभियान नहीं चलाया जा रहा है। लेाग अपराध करने के बाद भी कानूनी कार्रवाइयों के दायरे में नहीं आते हैं। जबकि रकम देने वाला ठगा सा घूमता रहता है। हाल ही में समीपी गोरतरा पंचायत निवासी अनिल तिवारी पिता रामबहादुर ने एसपी शहडोल से इसी तरह की एक शिकायत की है। जिसमें उसने स्थिति से अवगत कराते हुए प्रकरण दर्ज करने की मांग की है। शिकायत कर्ता अनिल तिवारी ने बताया कि गोरतरा भूमि खसरा 377/2/1/1 रकबा 0.1000 हे. के भूमि स्वामी आरोपीगण तुलसी वर्मन, निवासी वार्ड 10, घरौला, पार्वती बर्मन पिता रामलाल निवासी वार्ड 20 ईदगाह के सामने, रमाकांत वर्मन निवासी वार्ड 21 सौखी मोहल्ला हैं। इन भूमिस्वामियों से भूमि का सौदा अनुबंध 23 अक्टूबर 23 को 5 लाख में हुआ था। अनुबंंध होने पर प्रतिफल राशि के रूप में दो लाख रुपए का भुगतान फोन पे से किया गया था। शेष राशि विक्रय पत्र के पंजीयन के समय देने का वायदा किया गया था। विक्रेता ने कहा था कि अभी जमीन की नाप नहीं हुई है नाप करा कर भूमि का पंंजीयन आप के नाम पर कर दिया जाएगा। ज्ञात हुआ कि मुझे धोखे में रखकर मेघराज गिलानी निवासी वार्ड नंबर 25 किरन टाकीज के पास नामक व्यक्ति को जमीन चुपके से बेच दी गई है। किसी जमीन के लिए एक अनुबंध के प्रभावशील रहते हुए दूसरे से सौदा और रजिस्ट्री कराना नियमविरुद्ध है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि विक्रेता ने षडयंत्र करके उसके अनुबंध के प्रभावशील रहते हुए बिना सूचना 18 दिसंबर 23 को जरिए रजिस्ट्री विक्रय कर दी गई है। इस प्रकार अरोपीगण मेरे साथ छलकपट कर कूटरचित तरीके से विक्रय पत्र का पंजीयन मेंरे साथ अनुबंध के बाद करा दिया है जो आपराधिक कृत्य है। शिकायतकर्ता ने कहा कि इस कृत्य के बाद वह चाहता है कि उसकी रकम जो दो लाख का उसने भुगतान किया वह लौटा दी जाए अथवा उसे अनुबंध के अनुसार जमीन सुपुर्द की जाए। लेकिन अब विक्रेताओं द्वारा उसके साथ अभद्रता करते हुए कहा जा रहा है कि वे न तो उसे जमीन देंगे न उसे पैसा देंगे। वह परेशान है, उसे न्याय दिया जाए। विक्रेताओं ने उसके साथ धोखाधड़ी की है उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। विक्रेतागण अब अपने द्वारा कराए गए अनुबंध को मानने से इंकार कर रहे हैं। अब कम से कम उसे रकम दिला दी जाए। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे कई मामलों की जानकारी मिली है कि जिनमें ऐसी ही कारस्तानियां अंजाम दी गई हैं। पहले एक भूमि का सौदा कर अनुबंध किया जाता है फिर भूमि का अन्य आदमी से सौदा कर जमीन की रजिस्ट्री कर दी जाती है। पहले अनुबंध की प्रतिफल राशि डकार ली जाती है। पहले क्रेता का पैसा हड़प कर उससे बाद में अभद्रता की जाती है। यहां तक की कई बार उन्हे जान से मारने की धमकी दी जाती है। यहां ऐसे आपराधिक कृत्यों की भरमार है। भूमि का पैसा देेने के बाद क्रेता ठगा सा घूमता रहता है। जिला प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

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