पुलिस व युवा टीम ने चलाया दागना कुप्रथा जागरूकता अभियान

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महिलाओं को विस्तार रूप से दी जानकारी

उमरिया। दागना कुप्रथा को हटाना है, उमरिया जिले को दागना मुक्त बनाना है। कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य, पुलिस अधीक्षक निवेदिता नायडू व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायती जिला तिवारी के मार्गदर्शन पर पाली पुलिस, महिला बाल विकास उमरिया के द्वारा आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में दागना कुप्रथा जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से पाली एसडीओपी शिवचरण बोहित, पाली थाना प्रभारी मदनलाल मरावी, परियोजना अधिकारी मोनिका सिन्हा, युवा टीम से हिमांशु तिवारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरस्वती बैगा, लीला सिंह की उपस्थिति में ग्राम पंचायत गिंजरी में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एसडीओपी शिवचरण बोहित ने उपस्थित महिलाओं व विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए बताया कि दागना दगवाना एक कानूनी अपराध है। दागना दगवाने पर 2 साल की सजा होने की भी प्रक्रिया है। उन्होंने महिला संबंधित भी जानकारी देते हुए उपस्थित सभी छात्राओं व महिलाओं को गुड टच बैड टच की भी जानकारी विस्तार रूप से दी साथ ही साथ बच्चों को ग्रीन बोर्ड में यातायात के नियम भी पढ़ाया। पाली थाना प्रभारी मदनलाल मरावी ने विद्यार्थियों को लैंगिक अपराध की जानकारी देते हुए बताया कि 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को निरूशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। इसी अनुसार माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल अवश्य भेजें। उन्होंने महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों से कहा कि यदि गांव के घूमने-फिरने वाले बच्चे शिक्षित होते हैं तो अपराध कम हो जायेगा। बाल संरक्षण एवं बाल अपराध के रोकथाम के संबंध में भी जानकारी दी। उन्होंने विद्यार्थियों कोई यातायात के नियमों के पालन करने के विषय में भी जानकारी प्रदान की।
महिला परियोजना अधिकारी मोनिका सिन्हा ने उपस्थित महिलाओं व विद्यार्थियों को बताया कि छोटे बच्चे जिनकी आयु 0 से 5 वर्ष है उन्हें पेट फूलना, सांस चढ़ना, ठंड लगकर बुखार आने पर दागे नहीं बल्कि उनका उपचार नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में करवा बच्चों को जन्म उपरांत उनके बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता एएनएम के संपर्क में रहे। हिमांशु तिवारी ने आदिवासी महिलाओं को जानकारी देते हुए बताया कि बच्चों को दागने से उन्हें तकलीफ होती है और स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है गांव-गांव में स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं जहां हर मर्ज की दवाई भी उपलब्ध है इसलिए आवश्यक है कि बच्चों के बीमार होने पर उन्हें दागे नहीं बल्कि उनका उपचार कारण कभी-कभी दागने से बच्चे की मौत तक हो जाती है डन पर बाल संरक्षण अधिनियम के तहत एक लाख रुपये तक का जुर्माना एवं दो साल तक की सजा का प्रावधान है। कार्यक्रम के दौरान पाली एसडीओपी शिवचरण बोहित, पाली थाना प्रभारी मदनलाल मरावी, महिला परियोजना अधिकारी मोनिका सिन्हा, प्रधान आरक्षक अजय सिंह परिहार दिनेश नामदेव, नेहरु विद्यालय शिक्षक फलचंद साहू, खुशी सेन, रिया सिंह राजपूत, सौरव पाण्डेय, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरस्वती बैगा, लीना सिंह,प्रिया सिंह व सभी ग्रामीण महिलाएं व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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