कीचड़ और गड्ढों में गुम हुई प्रधानमंत्री सड़क

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सड़क बदहाल, बरसात में आवागमन हो रहा दुष्कर

कमीशन की भेंट चढ़ी प्रधानमंत्री सड़क

 

शहडोल। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनी संभाग की सड़कें बदहाली के ऐसे दौर से गुजर रही है, जहां इस योजना पर सवाल उठने लगे हैं। संभाग की कई सड़कें बदहाली का शिकार हो चुकी है, लेकिन मरम्मत की अवधि शेष होने के बावजूद ठेकेदार सड़कों की मरम्मत नहीं कर रहे हैं। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इस दिशा में ध्यान नहीं दे रहे, परिणाम स्वरूप ठेकेदार निश्चिंत है। अगर प्रधानमंत्री सड़क को देखकर विभाग और ठेकेदार दोनों की जिम्मेदारियों को समझा जा सकता है। सड़क जिस तरह से बदहाल हुई है, उसे देखकर समझा जा सकता है कि इसके निर्माण के दौरान गुणवत्ता का कितना ख्याल रखा गया था।
कमीशनखोरी की भेंट चढ़ी सड़क
संभाग में बनी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क की हालत दिन-प्रतिदिन बदहाल होती जा रही है, जिसकी वजह विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशनखोरी माना जा रहा है। प्रधानमंत्री सड़क के प्रबंधक भी कमीशनखोरी में लिप्त हैं, जिसकी वजह से सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिया जा रहा है, ठेकेदार मनमानी स्टीमेट से हटकर सड़क निर्माण कर रहे हैं, नतीजन बरसात के दिनों में प्रधानमंत्री सड़कों में आवागमन दुष्कर होता जा रहा है।
बरसात में हालत बदतर
ग्रामीण क्षेत्रों को सड़कों से जोडऩे के लिए प्रधानमंत्री सड़क का जिले में जाल बिछा हुआ है, लेकिन बरसात के दिनों में सड़क की हालत बदतर हो गई है, ठेकेदार अधिकारियों के कमीशन के चलते चाह कर भी गुणवत्ता पूर्ण सड़क का निर्माण नहीं करवा पा रहे हैं। विभाग के छोटे कर्मचारी भी सड़क निर्माण में हो रही गड़बड़ी के लिए कमीशनखोरी को वजह बता रहे हैं। ठेकेदार तो सारा दोष प्रधानमंत्री सड़क के प्रबंधक पर मढ़ रहे हैं।
वाहनों में बढ़ रहा मेंटेनेंस
ठेकेदार प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण करके घर बैठ गये हैं, जबकि सड़क के मेंटेनेंस की भी जवाबदारी भी इनकी है, मेंटेनेंस के नाम पर खूब लीपापोती की गई है, साथ ही मनमर्जी बिल बनाकर भुगतान लिया गया है। जिसमें कमीशन के चलते अधिकारी तो खुश है, लेकिन सड़कों पर चलने वाले वाहनों में रोज टूट-फूट हो रही है। अधिकांश सड़कों में मेंटेनेंस के नाम पर मात्र लीपापोती की गई है, कागजों में सड़क मरम्मत कर बिल निकाले गये है, जिसमें भरपूर कमीशन बांटा गया है। प्रधानमंत्री सड़क प्रबंधक दर्जनों शिकायतों से घिरे हुए हैं, लेकिन उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है, आम आदमी की शिकायत भी लगातार नजर अंदाज हो रही है, जबकि संभाग में हर विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, अभी हाल ही में उमरिया जिले के भू-संरक्षण अधिकारी के यहां लोकायुक्त द्वारा मारे गये छापे में सोने की ईंट सहित आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ है। इसी तरह अगर प्रधानमंत्री सड़क के जिले के बड़े अधिकारियों के यहां भी छापे डाले जायें तो सोने की ईंट-पत्थर से कम की संपत्ति नहीं मिलेगी।
भारी वाहनों की निकासी
प्रधानमंत्री सड़क की बदहाली का एक बड़ा कारण यहां से होने वाली भारी-भारी वाहनों की निकासी है। यहां से निकलने वाले भारी वाहनों को रोकने की कोशिश नहीं की जा रही है, परिणाम स्वरुप सड़क बदहाल हो गई है, रेत, गिट्टी सहित अन्य खनिज के भारी वाहनों के कारण सड़क बदहाली का शिकार हुई है। यदि यहां से ट्रकों को आने-जाने से रोक दिया जाए तो, संभवत सड़क की स्थिति इतनी खराब ना होती, लेकिन यह काम भी नहीं किया गया। सिर्फ यही नहीं संभाग में जहां भी प्रधानमंत्री सड़कें बनाई गई हैं, वहां भारी वाहनों का आना-जाना बना रहता है, जिससे सड़कें बदहाली का शिकार हो चुकी हैं।
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