साहित्य के क्षितिज में ध्रुव तारे की तरह चमक रही प्रियंका त्रिपाठी

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शहडोल। ‘अर्णव प्रकाशनÓ की संस्थापक जिले की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रियंका त्रिपाठी का पूरा जीवन साहित्य में कुछ इस तरह रच-बस गया है कि मात्र 3 वर्ष की उम्र से कविता लिखने की शुरूआत करने के बाद निरंतर साहित्य के क्षेत्र में काम करने की धुन सवार हो गई है। प्रियंका त्रिपाठी की साहित्य के क्षेत्र में इतनी ज्यादा अभिरूचि एवं उपलब्धियां हैं कि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि साहित्य के क्षितिज में धु्रव तारे की तरह चमक रही हैं डॉ. प्रियंका त्रिपाठी। सोपान साहित्यिक संस्था की छत्तीसगढ़ राज्य की प्रभारी एवं मध्यप्रदेश की प्रांतीय सचिव की भूमिका निभा रही प्रियंका को लगभग डेढ़ दर्जन साहित्यक सम्मान प्राप्त हो चुका है। हिन्दी साहित्य से स्नातकोत्तर, बीएड एवं पीएचडी कर चुकी प्रियंका सृजनात्मक काव्य लेखन एवं स्वतंत्र लेखिका के रूप में लोकप्रिय हो चुकी हैं।
साहित्यिक उपलब्धियां
डॉ. प्रियंका त्रिपाठी ने बताया कि उनकी जो साहित्यिक उपलब्धियां हैं, उनमें मध्यप्रदेश के संस्कृत विभाग भोपाल से प्रकाशित पत्रिका ‘साक्षात्कार’ में कविताओं का प्रकाशन, साहित्य पीडिया पब्लिसिंग नोएडा से प्रकाशित साक्षा काव्य संग्रह ‘माँÓ में कविता का प्रकाशन, उत्तराखण्ड की पत्रिका Óनवल’ में कविता का प्रकाशन, श्री नर्मदा प्रकाशन लखनऊ के साझा काव्य संग्रह Óकाव्य संरचनाÓ में कविताओं का प्रकाशन, हिमाचल प्रदेश की साप्ताहिक पत्रिका ‘हिम-हिमवंतीÓ में कई लेख, कहानी एवं कविताओं का प्रकाशन। इसके अलावा ‘दिल्ली पुस्तक सदनÓ दिल्ली द्वारा Óआज के हिन्दी कविÓ साझा काव्य संग्रह में रचनाओं का प्रकाशन, मांडवी प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित की जाने वाली साझा काव्य संग्रह पद्य चित्रगंधाÓ हेतु कविता का चयन एवं साझा कहानी संग्रह ‘गद्य चित्रगंधाÓ हेतु लघु कथा का चयन, नवमान पब्लिकेशन अलीगढ़ द्वारा प्रकाशित साझा काव्य संग्रह ‘रंगदे बंसतीÓ एवं Óहारेगा कोरोनाÓ में कविताएं प्रकाशित तथा देश के विभिन्न समाचार एवं पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन प्रमुख हंै।
साहित्यिक सम्मान
शहडोल जिला ही नहीं अपितु पूरे संभाग और प्रदेश में लोकप्रिय प्रियंका त्रिपाठी को अनेक साहित्यिक सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है, जिसमें 11 अगस्त 2019 को बिहार हिंदी साहित्यिक सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के प्रवेश के उपलक्ष्य में आयोजित शताब्दी सम्मान समारोह में युवा साहित्यकारों को दिये जाने वाले Óशताब्दी सम्मानÓ से अलंकृत, सृजन साहित्य मण्डल शहडोल द्वारा कर्मठ साहित्यकार को दिये जाने वाले Óसोम देवा पुरूस्कारÓ से सम्मानित, सिरमौर कला संगम हिमाचल प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय स्तरीय अलंकरण समारोह 2020 में साहित्य के क्षेत्र में सम्मान हेतु चयनित, यूथ वल्ड एण्ड सोशल मंच इंडिया द्वारा साहित्यिक क्षेत्र की उपलब्धि के लिए ‘कर्णधार सम्मानÓ 2020, सोपान साहित्यक संस्था द्वारा 7 मार्च 2020 के साहित्यक समारोह में सर्वश्रेष्ठ रचनाकार का सम्मान, यूथ वल्र्ड न्यूज एवं सोशल मंच इंडिया द्वारा आयोजित ऑन लाईन कवित्री सम्मेलन में उत्कृष्ट काव्य पाठ के लिए सम्मान, साहित्य सागर हौसलों की उड़ान द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह में ‘युवा शक्ति सम्मान 2020Ó का सम्मान, साझा काव्य संग्रहण ‘काव्य प्रसूनÓ में उत्कृष्ट संपादन कार्य के लिए नर्मदा प्रकाशन लखनऊ द्वारा सम्मानित, मानवाधिकार टुडे बिहार/झारखंड द्वारा साहित्य के क्षेत्र में कोरोना वॉरियर्स ऑनर अवार्ड, आगमन संस्था द्वारा आयोजित ऑन लाईन कवि सम्मेलन में उत्कृष्ट काव्य पाठ का सम्मान आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
माता-पिता भी थे कवि
डॉ. प्रियंका त्रिपाठी की माता श्रीमती ललिता पाण्डेय एवं पिता डॉ. एस.एस. पाण्डेय दोनों का साहित्य में रूझान था और वे कविताएं लिखते थे, माता-पिता की इस अभिरूचि का प्रभाव प्रियंका के जीवन में स्पष्ट रूप से झलकता है। एक साझा काव्य संग्रह में प्रियंका के माता-पिता की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं, जिसमें प्रियंका स्वयं संपादक रही हैं। प्रियंका जब कन्या महाविद्यालय शहडोल में अध्ययनरत थी, तब मासिक पत्रिका अभिव्यक्ति की दो साल तक संपादक रहीं। वे गल्र्स कालेज में वर्ष 1995-96 में छात्र संघ अध्यक्ष भी निर्वाचित हुई थी। समाजसेवा के बारे में वे कहती हैं कि साहित्य एवं समाज सेवा को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। जो महिलाएं अपने घर में कुछ कविताएं लिखती हैं, उन महिलाओं की रचनाओं का प्रकाशन, काव्य संग्रह में करके मैं इसे एक समाज सेवा ही मानती हँू।

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