रेलवे कर्मचारी कर रहे सूदखोरी

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गरीबों को बना रहे निशाना, संपत्ति की जांच उगल सकती है राज

शहडोल। संभागीय मुख्यालय में सूदखोरों का साम्राज्य स्थापित होने लगा है, जरुरतमंद सूदखोरों के मकडज़ाल में फंस रहे है। मुख्यालय में प्रतिदिन लाखों रुपये का टर्नओवर हो रहा है, लेकिन इस ओर ना तो प्रशासन की नजर है और ना ही आय कर विभाग की। बैंक की तरह सूद पर रुपया देने और लेने का धंधा पूरे परवान पर है। इस धंधे में लगे लोगों की संपत्ति, फोन कॉल की जांच हो तो, काली कमाई की परत दर परत खुल कर सामने आ जायेंगे। स्थानीय पुलिस प्रशासन और आयकर विभाग की आंखों में धूल झोंककर रातों-रात लखपति से करोड़ पति बनने वाले सूदखोर जरुरतमंदों पर हावी होते जा रहे है।
दीपक ने ले रखी है प्रभात की आड़
सूदखोरों के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी द्वारा शंखनाद का बिगुल फूकना निश्चित रुप से गरीबों का आर्थिक शोषण करने वाले सूदखोरों के व्यवसाय पर अंकुश लगा एवं अनेकों पीडि़तों को राहत मिली, सूत्रों की माने तो जिला मुख्यालय में दीपक नामक सूदखोर ने प्रभात को मोहरा बनाकर रेलवे के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सहित अन्य लोगों को सूद पर पैसा दिया है, साथ ही गुर्गाे के माध्यम से धमकी देकर वसूली भी करवाई जाती है, कथित सूदखोरों के गुर्गे दिन-रात कर्ज लेने वाले लोगों को मानसिक रूप से प्रताडि़त करते हैं, लेकिन भय के चलते इनके खिलाफ पुलिस तक शिकायत नहीं पहुंच पा रही है।
दर्जन भर हैं सूदखोर
पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारी को सख्त हिदायत दी थी कि क्षेत्र में सूदखोरों पर अंकुश लगाया जाये, जिसके बाद कोयलांचल में नामचीन सूदखोरों पर नकेल भी कसी गई थी, लेकिन जिला मुख्यालय में कार्यवाही न होने से मुख्यालय के अशोक, दीपक, मनोज, ए.के.गुप्ता, प्रभात, बब्लू, अकील, शैलेन्द्र, प्रदीप, बबुआ, संतोष टेढ़का, मनीष नामक सूदखोरों पर अंकुश नहीं लग पाया, पुलिस द्वारा शंखनाद के बाद उक्त लोगों भी हलाकान थे, लेकिन कार्यवाही न होने से इनके गुर्गे आज भी लोगों को धमकाने से पीछे नहीं हटते, सूत्रों की माने तो अगर उक्त लोगों पर पुलिस नकेल कसती है तो, कई लोग राहत की सांस लेंगे।
खुलेआम हो रहा गोरखधंधा
जोश-खरोश के साथ संपूर्ण जिले में सूदखोरों के खिलाफ पुलिस ने अभियान की शुरूआत की थी, वह जिला मुख्यालय में तो टाय-टाय फिस्स ही रही है। हालांकि अन्य स्थानों पर पुलिस ने सूदखोरों पर नकेल डालने का जो काम किया है, वह तारीफे काबिल है। परन्तु जिला मुख्यालय में कार्यवाही न होना अधिकारियों को कटघरे में खडा कर रहा है, जिन्होंने बड़े-बड़े वायदे कर सूदखोरों के खिलाफ हर हाल में कडी कार्यवाही की बात कही थी। सूदखोरों के गोरखधंधे पर नजर डालते हैं तो, शहर में दर्जनों स्थानों पर इस तरह का गोरखधंधा खुलेआम हो रहा हैं। सूत्रों की माने तो इस कारोबार में दीपक और ए.के.गुप्ता एक दूसरे से आगे निकले की होड़ में यह भी भूल चुके हैं कि वह लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।
छोटे कर्मचारियों को बनाते हैं निशाना
सूदखोर भोलेभाले लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें कर्ज देते हैं और फिर मोटी रकम ब्याज के रूप में वसूलते हैं। इतना ही नहीं तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी रेलवे कर्मियों का एटीएम कार्ड और पासबुक भी अपने पास रख लेते हैं और हर महीने खाते में सैलेरी डलने पर उसे निकाल लेते हैं। सूदखोरों के एजेंट बैंक में उपस्थित रहकर ऐसे लोगों पर नजर रखते हैं जो बैंक में लोन या कर्ज मांगने के उद्देश्य से आते हैं। ऐसे लोगों की जानकारी मिलते ही सूदखोर इन लोगों की कुण्डली निकालकर स्वयं उन्हें कर्ज उपलब्ध कराने की पहल करते हैं। जिन लोगों को पैसों की सख्त जरूरत होती है, वे सूदखोरों की बातों में आकर उनसे कर्ज ले लेते हैं और फिर फंस जाते हैं।
संपत्ति से हो सकता है खुलासा
सूद पर पैसा चलाने वाले कारोबारियों ने जमीनों में अपना पैसा लगाया है, सूत्रों की माने तो संतोष टेढ़का ने ब्याज पर पैसा चलाने के बाद पूरा पैसा जमीन में लगा दिया है, कथित सूदखोर द्वारा कुदरी, शहडोल शहरी क्षेत्र, शाहपुर सहित भुईबांध में जमीन खरीद कर लोगों से ब्याज वसूलकर उक्त पैसा सुरक्षित कर पूंजी बना ली है, लेकिन जिनसे सूद की वसूली की गई, उनकी हालत दिन-ब-दिन बद्तर होती जा रही है।
शिकायत के इंतजार में वर्दीधारी
कर्जदारों को प्रताडि़त करने और उनका आर्थिक शोषण करने वाले सूदखोरों के खिलाफ पुलिस ने अभियान छेड़ा था और गिरफ्तारियां भी की गई थी, मगर यक्ष प्रश्न यह है कि पुलिस उन रसूखदार सूदखोरों जो राजनैतिक दल से भी ताल्लुख रखते हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकेगी? सूत्रों की माने तो रेलवे क्षेत्र के कई ऐसे पेशेवर सूदखोर जिनके पास हजारों की संख्या में कर्जदारों के हस्ताक्षर वाले कोरे स्टाम्स, एटीएम कार्ड, बैंक पास बुक आदि हैं, मगर पुलिस के पास उनके विरुद्ध कोई शिकायत नहीं है, कर्जदार उनके खिलाफ शिकायत करने से डर रहे हैं, जागरूकजनों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि अपने स्तर पर जांच कराकर उक्त सूदखोरों पर नकेल कसी जाये।
इनका कहना है…
मैं पुलिस अधीक्षक को बोलकर उक्त मामले को दिखवाता हंू।
जी. जनार्दन
पुलिस उप महानिदेशक
शहडोल रेंज

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