जांच के दायरे में देवांता की मान्यता

बीएमएचएस होम्योपैथिक, आयुर्वेद चिकित्सकों को मिले
लायसेंस के जांच की मांग
शहडोल। आरोपों से घिरे देवांता अस्पताल को जुगाड़ से मिली मान्यता चर्चा का विषय बना हुआ है, मान्यता देने वाले पूर्व के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं कथित मैंनेजमेंट बाबू की जुगलबंदी ने अस्पताल को नियम-कानून को ताक में रखकर मान्यता तो दे दी, पर मापदण्डों पर खरा न उतरने वाले अस्पताल की मान्यता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो आपसी सांठगांठ करके पूर्व के जिम्मेदारों ने जिन आधारों पर अस्पताल की मान्यता पर अपनी मोहर लगाई है, उसकी विधिवत जांच हो जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
कटघरे में डॉक्टर की डिग्री
चर्चा का विषय तो यह भी है कि देवांता अस्पताल के एक डॉक्टर की डिग्री भी कूटरचित है, नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है कि डॉक्टर बृजेश पाण्डेय ने एमबीबीएस किया ही नहीं है, बल्कि दूसरे प्रदेश के किसी संस्थान से जुगाड़ वाली डिग्री हासिल कर अस्पताल की फर्जी मान्यता हासिल कर ली है, हालांकि इसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो पायेगी, पर जांच कमेटी उपरोक्त तथ्यों पर कितनी गहराई से जांच करेगी, यह गंभीर विषय होगा।
होम्योपैथी समेत अन्य को दे दी मान्यता
जिन आधारों पर किसी अस्पताल को चलाने की मान्यता दी जाती है, उनमें से मुख्य रूप से 07 डॉक्टर, 20 नर्स, 01 ओपीडी डॉक्टर, 01 पुराने मरीजों को देखने वाला डॉक्टर समेत अन्य महत्वपूर्ण चीजों की आवश्यकता होती है, किंतु पैसे को ललायित पूर्व के जिम्मेदारों ने प्रसाद की तरह अनियमितता, आवश्यकता को दरकिनार करते हुए बिना देखे मान्यता कथित लोगों को परोस दी।
विजिटर डॉक्टर को बताया नियमित
देवांता अस्पताल में जिन डॉक्टरों को नियमित बताया है, उनमें से आधे से अधिक डॉक्टर विजिटर हैं, वहीं आधे डॉक्टर का पता ही नहीं। इतना ही नहीं फिजियोथैरपिस्ट को भी डॉक्टर की उपाधि दे दी गई। अब सवाल यह उठता है कि यदि इन अनियमितताओं और आहरताओं को ध्यान में रखकर बिना बिके पूर्व के सीएमएचओ एवं मैंनेजमेंट, एकाउंटेंट, बाबू के जुगलबंदी ने लायसेंस न दिया होता तो शायद इतना बड़ा गुनाह देवांता अस्पताल के कर्ताधर्ता नहीं कर पाते।