सरकारी अस्पताल में विधायक के चालक से ऑपरेशन के नाम पर वसूली

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पूर्व मंत्री, 6 बार भाजपा के विधायक, फिर भी चालक को देनी पड़ी रिश्वत

शिकायत के बाद भी डॉक्टर पर कार्यवाही की जगह सीएस ने बैठाई जांच

इन्ट्रो-जिला चिकित्सालय शहडोल में मची भर्रेशाही और डॉक्टरों का इलाज के लिए रूपया मांगने के दायरे में अब आम आदमी के बाद भाजपा के विधायक भी आ चुके हैं, रविवार को भाजपा के 6 बार विधायक और मंत्री रह चुके जयसिंह मरावी ने अपने चालक शिवा का वार्ड पहुंचकर जब हाल जाना तो, चालक के बताने पर डॉक्टर अपूर्व पाण्डेय के द्वारा इलाज के नाम पर 5 हजार रूपये रिश्वत लेने की शिकायत सीएस से की, सीएस ने कार्यवाही की जगह विधायक की शिकायत को जांच में उलझा दिया।

शहडोल। जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन की मनमानी और उनके संरक्षण में चिकित्सकों और अन्य स्टॉफ के द्वारा अवैध वसूली, मरीज और उनके परिजनों से अभद्रता अब आम हो चली है, हालात इतने बद्तर हैं कि अवैध वसूली के दायरे में आम आदमी तो दूर, 20 सालों से प्रदेश की सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी के 6 बार विधायक और सरकार में मंत्री रहे संभाग के कद्दावर भाजपा नेता जयसिंह मरावी तक आ चुके हैं। दरअसल जयसिंह मरावी के चालक शिवा यादव बीते दिनों जिला चिकित्सालय में अस्वस्थ्य होकर इलाज कराने पहुंचे थे, जिन्हें सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया, यहां उनका इलाज डॉ. अपूर्व पाण्डेय कर रहे थे, डॉक्टर पाण्डेय ने इलाज के नाम पर 5 हजार रूपये की मांग की और अपनी ही सरकार में लाचार हो चुके विधायक के वाहन चालक की मजबूरी का आलम यह रहा कि डॉक्टर को रिश्वत देने के बाद उसका इलाज आगे बढ़ा, हद तो तब हो गई जब रविवार को पूर्व मंत्री जयसिंह मरावी अपने चालक का कुशलक्षेम जानने जिला चिकित्सालय पहुंच और उन्हें इस मामले की जानकारी हुई कि उन्हीं के सरकार के लोकसेवक आमजनता तो दूर, उन्हीं के सारथी से रिश्वत वसूल चुके हैं।

बेअसर रही विधायक की शिकायत

नौकरशाहों की लापरवाही और उनके हौसलों का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सिविल सर्जन के साथ कुर्सियों में बैठक करने वाले लगभग डॉक्टर इलाज के नाम पर जनता से पैसा वसूल कर रहे हैं और पिछले दरवाजे से दंत चिकित्सक बने सिविल सर्जन अवैध वसूली को संरक्षण दे रहे हैं। रविवार को भाजपा के विधायक ने दंत चिकित्सक से अवैध वसूली की शिकायत की, इसे सिविल सर्जन ने इतनी गंभीरता से लिया कि बुधवार की शाम तक वे किसी नतीजे तक नहीं पहुंचे, मीडिया से चर्चा के दौरान बिना किसी हिचक के सिविल सर्जन कहते हैं कि शिकायत मिली है, नोटिस देकर जवाब मांगा है, लेकिन जवाब किस डॉक्टर से मांगा है, किसने रिश्वत ली थी, यह अभी तक खुद सिविल सर्जन स्पष्ट नहीं कर सके।

लाचार विधायक, बेबस मरीज

अपनी ही 20 सालों की सरकार में शहडोल संभाग ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सबसे बुजुर्ग और कद्दावर आदिवासी विधायक आज भी सवर्णाे से शोषण का शिकार हो रहे हैं। विधायक की शिकायत और उस पर कोई कार्यवाही न होना, कहीं न कहीं पूरे मामले में सिविल सर्जन की सहभागिता को भी दर्शाता है, सवाल यह उठता है कि जब 6 बार के विधायक और भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके कद्दावर आदिवासी नेता के सारथी से जिला चिकित्सालय में अवैध वसूली होती है तो, फिर आम जनता इससे अछूती कैसे रहेगी, रविवार को विधायक की शिकायत के बाद मामला सामने आया, इसके बाद चालक शिवा यादव और उसके परिजनों ने भी मीडिया के समक्ष अपनी बेबसी रखी।

जांच का पुराना कोरम

सिविल सर्जन डॉ. जी.एस. परिहार ने मामला सामने आने के बाद मीडिया को बताया कि सर्जिकल विभाग के डॉक्टरों को नोटिस देकर 48 घंटे में जवाब मांगा है, हालाकि रविवार को शिकायत और बुधवार की देर शाम तक 60 से अधिक का समय हो चुका था, लेकिन अब तक न तो कोई नोटिस का जवाब वापस आया और न ही कोई कार्यवाही या व्यवस्था सुधार सतही तौर पर नजर आई। यह अकेला मामला नहीं जब सिविल सर्जन ने जांच का राग अलाप कर कार्यवाही की जगह कोरम पूरा किया हो, अस्पताल के जीर्णाेद्वार में किया गया भ्रष्टाचार, ब्लड बैंक से काला बाजारी, रोगी कल्याण समिति को निर्माण समिति बनाने जैसे कई मामले अभी भी जांच के कोरम में फंसे हुए हैं।

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