शोध प्रवेश में घपला: IGNTU अमरकंटक ज़मीन पर सवालों की बौछार
अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक (IGNTU) में पीएचडी प्रवेश परीक्षा (RET 2024-25) को लेकर संगठनात्मक और नैतिक स्तर पर गंभीर आरोपों का सिलसिला जोर पकड़ गया है। विरोध प्रदर्शन, उच्च न्यायालय की सुनवाई और छात्रों द्वारा लगाए गए संगठित भ्रष्टाचार के आरोप — इस पूरे प्रकरण ने अब शिक्षा-व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रदर्शन और तनावपूर्ण माहौल
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भारी संख्या में छात्रों के साथ इस प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं के खिलाफ प्रदर्शन आरंभ किया। प्रदर्शन 14 अगस्त से शुरू हुआ और 15 अगस्त को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मुख्य गेट पर ताला बंद किए जाने के कारण माहौल और तनावपूर्ण हो गया। इस दौरान छात्रों और प्रशासन के बीच झड़पें भी हुईं, जिसे काबू में करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा ।
न्यायपालिका की चिंता और CBI जांच की मांग
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में याचिका दायर की गई है, जिसमें RET परीक्षा प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों, पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त के अंतिम सप्ताह के लिए निर्धारित की गई है ।
छात्रों ने सरकार से CBI जांच की मांग की है और अपने पत्र में RTI की प्रतिक्रियाएँ, विश्वविद्यालय की अधिसूचनाओं के स्क्रीनशॉट तथा अन्य दस्तावेज संलग्न किए हैं ।
विश्वविद्यालय की साख पर लग रहा बट्टा
अमरकंटक स्थित जनजातीय विश्वविद्यालय इन दिनों शोध प्रवेश अनियमितताओं को लेकर विवादों के घेरे में है। विद्यार्थियों द्वारा किए गए जोरदार विरोध प्रदर्शन के बाद से लगातार चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो चुके हैं और पारदर्शिता पूरी तरह संदिग्ध दिखाई दे रही है। इसी बीच संस्थान के के-वाईसी विभाग से जुड़े प्रोफेसर नवीन शर्मा ने अपने सोशल मीडिया पेज पर प्रबंधन की पोल खोलते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उच्च पदस्थ अधिकारी मिलीभगत कर शोध प्रवेश प्रक्रिया को दूषित बना रहे हैं। यह मुद्दा फिलहाल शिक्षा जगत की सबसे बड़ी चर्चा बन गया है।
आरोप जो परीक्षा की ईमानदारी पर गोता लगाते हैं
याचिका में जिन आरोपों की विस्तार से चर्चा हुई है, उनमें शामिल हैं:
प्रश्नपत्र निजी ईमेल से माँगा गया,
जिससे लीक की आशंका बढ़ी
परिणामों में पारदर्शिता की कमी — मुख्य परिसर के परिणामों में छात्रों के नाम छिपाए गए जबकि मणिपुर परिसर के परिणाम में नाम स्पष्ट रूप से बताए गए ।
भिन्न प्रक्रियाएँ और पक्षपात — कुछ विभागों में रिजल्ट वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किए गए, निजी ईमेल के माध्यम से प्रवेश की सूचनाएं भेजी गईं, और DRDO जैसे वरिष्ठ अधिकारी को अंतिम सूची से हटाकर संभवतः अयोग्य व्यक्ति को प्रवेश दिया गया ।
फर्जी डिग्री और OMR छेड़छाड़ — 50 से अधिक नॉन-टीचिंग स्टाफ या उनके परिवार को संदिग्ध शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अवसर दिए गए; कुछ विद्यार्थी घर पर ही OMR शीट भरने जैसे हालात की शिकायत कर चुके हैं ।
रीचेकिंग में धोखाधड़ी — फीस वसूली के बावजूद रीचेकिंग या रिपोर्ट प्रदान नहीं की गई; गोपनीयता का हवाला देकर RTI जवारिस्क देने से मना कर दिया गया ।
अयोग्य उम्मीदवारों को प्रत्यक्ष लाभ — UGC-NET और GATE क्वालीफाई योग्य छात्रों को बाहर रखा गया; चयन सूची में हेराफेरी की आशंका ।
अधिसूचना और नियमों में मनमाना बदलाव — बिना हस्ताक्षर या टेंडर प्रक्रिया के अधिसूचनाएं अपलोड की गईं; GFR 2017 का पालन नहीं किया गया ।
प्रशासनिक गुटबाज़ी और संसाधनों में गड़बड़ी — प्रवेश प्रक्रिया पर प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी और प्रो. तरुण ठाकुर द्वारा गुटबाज़ी एवं नियंत्रण का आरोप; Ambedkar Chair और Purchase Committee संबंधी फंड में गड़बड़ी की आशंका ।
छात्रों के उत्पीड़न की कोशिश — निष्पक्ष जांच की मांग करने वाले छात्रों पर आंतरिक जांच और पुलिस FIR का प्रयोग कर दबाव की रणनीति अपनाने के आरोप ।
समग्र असर:
केंद्र-शासित विश्वविद्यालयों की विश्वसनीयता को झटका
छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द निष्पक्ष CBI जांच नहीं हो पाई, तो आंदोलन और व्यापक होगा। यह मामला केवल IGNTU तक सीमित नहीं—यह केंद्रीय विश्वविद्यालयों की पारदर्शिता, चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और शिक्षा संस्थानों की नैतिकता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है ।