जिम्मेदार सोये रहे, दुकानदार ने भंजा लिए 1 करोड़ 72 लाख 

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अनूपपुर/ शहडोल। पंचायतों से लेकर जनपद और जिंप में बैठे जिम्मेदार पंचायती राज व्यवस्था की किस कदर धज्जियां उड़ा रहे हैं, इस पूरी चैन में शामिल नौकरशाह कारोबारियों के साथ मिलकर किस तरह शासन के खजाने में डकैती डाल रहे हैं, इसकी बानगी अनूपपुर जिले के अनूपपुर विकास खण्ड की ग्राम पंचायतों में देखी जा सकती है, बिना सामान खरीदे-बेचे ही ओम प्रकाश जोशी ग्राम छपानी को 1 करोड़ 72 लाख से अधिक का भुगतान हो गया, जिन बिलों पर भुगतान हुआ, उन पर भी फर्जी तरीके से बंद जीएसटी नंबरों का उल्लेख महज आखों में धूल झोखने के लिए किया गया, इस पूरे खेल में दर्जन भर पंचायतों के सरपंच, सचिव, उपयंत्री शामिल थे, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ग्रामीण स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एसडीओ से लेकर जिला व जनपद पंचायत में बैठे जिम्मेदारों ने भी जुगाड़ के हमाम में मिलकर स्नान किया। अचरज और शर्म इस बात की है कि इस मामले में जनपद से लेकर कलेक्टर तक को शिकायतें दी गई, लेकिन हुआ वही जो, इससे पूर्व की शिकायतों में होता रहा है, इस मामले में वाणिज्य कर विभाग अनूपपुर वृत्त के सहायक आयुक्त ने जब शिकायतों को टटोला तो, सच सामने आ गया।
कार्यालय सहायक आयुक्त राज्य कर अधिकारी वृत्त अनूपपुर द्वारा अपने विभागीय पत्र क्रमांक 240 दिनांक 14 फरवरी के माध्यम से ओम प्रकाश जोशी को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है, इस पत्र में मुख्यमंत्री तक हुई शिकायतों का उल्लेख किया गया है, उन बंद जीएसटी व तिथियों का भी उल्लेख किया गया है, जिस दौरान ओम प्रकाश जोशी ने अनूपपुर जनपद की 10 पंचायतों से 1 करोड़ 72 लाख से अधिक के भुगतान और इसकी कर चोरी के आरोप लगाये गये हैं, पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि उक्त शिकायत के उपरांत मामले की जांच राज्य कर निरीक्षक श्रीमती ज्योति सिंह के द्वारा की गई थी, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि तथाकथित फर्म संचालक के द्वारा जानबूझकर बंद जीएसटी का उल्लेख कर करोड़ों के भुगतान लिए गये हैं।
जनपद पंचायत में बीते वर्षाे में जमकर शासकीय राशि की होली खेली गई, अनूपपुर जनपद पंचायत की रेऊला, ऊरा, मलगा, फुलकोना, आमाडांड, खोडरी नंबर-1, लामाटोला, बेलियाबड़ी, पोड़ी सहित बंडी में ओमप्रकाश जोशी छपानी पोस्ट लामाटोला जिला अनूपपुर द्वारा दो फर्माे का रजिस्ट्रेशन करवाया, जिसमें एक फर्म का रजिस्ट्रेशन 01 जुलाई 2017 को कराया गया और उक्त फर्म का रजिस्ट्रेशन कैंसल 27 अप्रैल 2018 को हो गया, वहीं दूसरी फर्म का रजिस्ट्रेशन 19 अक्टूबर 2019 को कराया गया, लेकिन इस बीच कथित फर्म संचालक द्वारा पूर्व में बंद हुए जीएसटी का सहारा लेकर 27 अप्रैल 2018 से 19 अक्टूबर 2019 के बीच लगभग आधा सैकड़ा बिल लगाये गये, जिसमें 10 पंचायतों में लगभग 1 करोड़ 72 लाख 78 हजार 937 हजार का भुगतान अपने खाते में लिया था।
जानकारों की माने तो जो बिल अधूरे होते हैं और जिनमें जीएसटी नंबर, टैक्स की राशि का उल्लेख नहीं होता है, वह फर्जी माने जाते हैं। वैध बिलों में सबकुछ दर्ज होता है। कितना माल बेचा, कितना टैक्स कटा आदि। अगर फर्में ऐसे बिल उपयोग कर रही हैं तो, जीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें जितनी राशि टैक्स की बनती वह पूरी उनसे वसूले जाने का प्रावधान है, चर्चा है कि ओम प्रकाश जोशी की फर्म को जिले सहित जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने कमीशन के फेर में फर्जी बिलों को बढ़ावा दिया।
ग्राम पंचायतों को सामग्री क्रय करते समय क्रय भंडार अधिनियम का पालन करना होता है। इसके अनुसार 25 हजार से अधिक की सामग्री क्रय करने पर संबंधित फर्मों के कोटेशन निविदा प्रकाशित करनी चाहिए, उनका तुलनात्मक अध्ययन कर क्रय आदेश दिए जाते हैं, परंतु इसके विपरीत पंचायतों के जिम्मेदारों ने ओम प्रकाश जोशी की फर्म को लाखों के भुगतान कर दिये, अगर जनपद सहित जिले में बैठे जिम्मेदार भण्डार क्रय नियमों की अगर जांच हुई तो, तत्कालीन पंचायत सचिव भी नपते नजर आयेंगे।

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