धड़ल्ले से उपयोग हो रही प्रतिबंधित पॉलीथिन

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पर्यावरण के साथ जीवन को व्यापारी कर रहे प्रभावित

जिम्मेदार बड़े व्यापारियों पर नहीं कस पा रहे नकेल

शहडोल। जिले में अलग-अलग मोटाई और किस्म की पॉलीथिन रोजाना बिक जाती है, पॉलीथिन के थोक विक्रेताओं का कहना है अलग-अलग तरह के दुकानदार अपनी जरूरत के अनुसार मोटाई और साइज की पॉलीथिन का प्रयोग करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा खपत कम मोटाई वाली पॉलीथिन की हो रही है। पॉलीथिन पर प्रतिबंध का सरकारी आदेश आने के बाद भी इस पर रोक नहीं लग पा रही है। हालांकि नगर में नगर पालिका द्वारा कई बार मुनादी की गई, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने से नतीजा सिफर ही नजर आ रहा है।
बिक रही अमानक पॉलीथिन
पॉलीथिन से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कई नियम व कानून बने हैं, लेकिन प्रशासन इस नियम पालन नहीं करा सका है। नियमों के तहत 40 माइक्रोन से कम मोटाई के पॉलीथिन बैग की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगी है। सूत्रों की माने तो बावजूद इसके धड़ल्ले से जिला मुख्यालय का सांई प्लास्टिक संचालक ने पूरे जिले में सागर के व्यापारी अनिल जैसवानी से गुरू नानक ट्रांसपोर्ट से मंगा कर बेचा जा रहा है, चर्चा है पैसा कमाने के फेर में कथित व्यापारी अमानक पॉलीथिन बाजार में बेंच रहे हैं।
पूर्व में की गई पहल रही नाकाम
नगर में पॉलीथिन के उपयोग के रोकने के लिए नगर पालिका द्वारा कई तरह के प्रयास किए गए, लेकिन वे सभी नाकाम सिद्ध हुए। कुछ महीनों पहले नगर पालिका ने कपड़े व कागज के पैकेज एवं थैली चलाने की पहल की थी। नगर में पॉलीथिन के विकल्प उपलब्ध है, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा है। व्यापारियों के अनुसार कागज के लिफाफे, प्रसाद और पूजन सामग्री के लिए डलिया, नष्ट होने वाले बैग बाजार में उपलब्ध है, पिछले कुछ महीनों पहले चली मुहिम में इनका उपयोग हुआ। लेकिन सांई प्लास्टिक संचालक ने पूरे जिले में सागर के व्यापारी अनिल जैसवानी के साथ मिलकर प्रदूषण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अंधाधुंध हो रहा उपयोग
सब्जी मंडी गंज रोड में अभी भी थोक व्यापारी प्रतिदिन अमानक पॉलीथिन का विक्रय कर रहे हैं, लेकिन नगर पालिका के अधिकारी झांककर नहीं देख रहे हैं। सूत्रों की माने तो सीमा पॉलीथिन ने भी बाजार का माहौल खराब कर रखा है, कथित व्यापारी के चलते बाजार में लोग खुलेआम जानकारी के आभाव में अमानक पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं, अमानक पॉलीथिन के अंधाधुंध उपयोग के चलते शहर के पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है और पशुओं की जान भी जा रही है, लेकिन जिम्मेदार विभाग इन कारोबारियों पर ठोस कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं।
इनका कहना है…
हमारे पास कटनी, सागर और दिल्ली माल आता है, अमानक पॉलीथिन नहीं बेची जा रही है, थोड़ा बहुत तो सभी व्यापारी शहर में बेच रहे हैं।
विपिन गुप्ता
संचालक, सांई प्लास्टिक
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दुकान का नाम सीमा पॉलीथिन होने की वजह से लोग समझते हैं कि हम पूर्व की तरह पॉलीथिन का कारोबार कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है, हमने डिस्पोजल का काम शुरू कर दिया है, हां थोड़ा बहुत तो कर ही रहे हैं।
अमर गुप्ता
संचालक, सीमा पॉलीथिन
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जिला प्रशासन के साथ संयुक्त टीम बनाकर कार्यवाही की जायेगी।
जी.के. बैगा
कनिष्ठ वैज्ञानिक
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल

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