संपत्तिकर की वसूली की आड में नगर पालिका में पदस्थ राजस्व कर्मचारियों द्वारा की जा रही अवैध वसूली

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अधिकारियों के विशेष कृपा पात्र है कर्मचारी

उमरिया । नगर पालिका परिषद उमरिया वर्तमान में अष्टाचार का अखाड़ा बन चकी है। नगर पालिका के राजस्व शाखा में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा सम्पत्तिकर का निर्धारण गकान बनने से है । लाखों रूप का टैक्स की नोटिस देकर गरीब जनता को परेशान कर बाद में टैक्स कम पूर्व कई वर्षों से कर अधिकारियों की सील लगाकर सम्पत्तिकर दाताओं को नोटिस दी जाती कर अवैध वसूली की जाती है तथा राजस्व की काफी हानि की जाती है । कतिपय कर्मचारी
विगत कई वर्षों से निकाय में पदस्थ है । नगर पालिका के 1-2 कर्मचारी ए.आर.आई. जसे छोटे पद पर कार्य कर रहे है । नगर पालिका परिषद उमरिया में राजस्व उप निरीक्षक, राजस्व निरीक्षक के पद खाली है । नगर पालिका में पदस्थ कर्मचारियों का कार्य सिर्फ नगर पालिका की राजसव के आय को बढ़ाना है और वार्डों में जाकर वसूली करना है । कई वर्षों से पदस्थ कर्मचारी सम्पत्तिकर का निर्धारण एवं महत्वपूर्ण कार्य करते है । इसी बात का फायदा उठाकर नगर पालिका परिषद क्षेत्रांतर्गत बने भवनों का सम्पत्तिकर निर्धारण कर कार्यालय से डिमांड नोटस सी.एम.ओ. के माध्यम से जारी की जाती है । फिर उन्हें बुलाकर सौदा तय किया जाता है और दी गई नोटिस को गुम कर दिया जाता है । नगर पालिका के कई वर्षों से लगे टैक्स को घटाकर मात्र 1-2 वर्ष का टैक्स लगाकर उसके एवज में तंबी रकम ली जाकर भ्रष्टाचार किया जाता है और नगर पालिका के राजस्व की हानि की जाती है। ऐसा खेल कई वर्षों से चल रहा है। नगर पालिका के वार्डों में लगभग 8000 मकान होगें। उसमें मात्र 5000 मकानों का ही टैक्स निर्धारण किया गया है । शेष मकान सिर्फ भ्रष्टाचार करने के लिए छोड़ रखे गये है । ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों की जाँच करने कलेक्टर एवं प्रशासक महोदय से अपेक्षा है। आवास योजना में भी की जा रही धांधली कर्मचारियों द्वारा आवास जैसी महत्वपूर्ण योजना का भी कार्य किया जाता है । जिसमें व्यापक
धांधली की जा रही है । नगर पालिका क्षेत्रांतर्गत कई अपात्र लोगों को इस योजना का लाभ भी पैसे लेकर दिया गया है और पात्र गरीब लोग वंचित रह गये है । जिन्हें लाभ मिलना चाहिए वे दर-दर भटक रहे है और अपने सगे संबंधियों को लाभ दिया गया है । यदि इसकी
भी जॉच हो तो धांधली की कलई खुलते देर नही लगेगी । दुकान नीलामी में भी की गई है

धांधली – कतिपय कर्मचारिया द्वारा नगर पालिका की दुकानों की नीलामी में अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर दुकान खरीदी गई है । कर्मचारियों द्वारा आरक्षित दुकानों को कम राशि में खरीदकर आदिवासियों के नाम से दुकान लेकर 4000-5000 प्रतिमाह किराया लेकर दुवान चलाई जा रही है । इसकी भी जांच की जाय तो सारी कहानी समक्ष में आ जायेगी । इन कर्मचारियों को अधिकारियों के साथ साथ स्थानीय नेताओं का भी वरदहस्त है । जिससे इनके
खिलाफ कई बार शिकायत होने के बाद भी आज दिनांक तक न तो जॉच की गई और न कोई कार्यवाही की गई। जिसके बाद अपने आप स्पष्ट हो जाता है कि इन्हे भ्रष्टाचार करने का खुला संरक्षण प्राप्त है ।

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