मलावट खोर सावधान! जागने वाला है खाद्य सुरक्षा विभाग

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                                    त्योहारी बना दी जिम्मेदारों ने कार्यवाही
                          विभाग पर लग रहे मिलावट खोरों से नजराना लेने के आरोप

शहडोल। होली के नजदीक आते ही मिठाइयों का बाजार गरमा जायेगा, इसके साथ ही हर वर्ष की तरह इस बार भी मिलावटखोर भी सक्रिय हो गए हैं। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक विशेष अभियान शुरू नहीं किया है। होली का त्यौहार रंगो और मिठाई के बगैर अधूरा है। यही वजह है कि होली पर मिठाई की खूब बिक्री होती है। सभी अपनी हैसियत के अनुसार मिठाई घर ले आते हैं। कारोबारियों के लिए यह सुनहरा अवसर होता है। साथ ही मिलावटखोरों के लिए भी यह त्यौहारी सीजन जेब भरने के लिए एकदम मुफीद होता है। होली पर मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री एकदम से बढ़ जाती है। हालाकि त्यौहारों पर मिठाईयों से खरीदी से पहले सावधानी बरतनी भी जरूरी है।

मोटी कमाई को तैयार मिलावट खोर
होली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बाजार में मिलावट खोरों की आमद बढ़ गई है। ऐसे में आपको खाने-पीने की चीजों को खरीदने के दौरान सर्तक रहने की जरूरत है। होली के पर्व पर खोया, देशी घी, दूध, पनीर और सरसों के तेल की खपत अन्य दिनों की अपेक्षा कई गुना बढ़ जाती है। खाद्य सामग्री की अधिक खपत देख मिलावट खोर भी बनावटी और मिलावटी सामान बाजार में बेच कर मोटी कमाई के लिए तैयार हो जाते हैं। आप थोड़ी से सर्तकता से मिलावटी सामान खरीदने से दूरी बना सकते हैं। वहीं विभाग द्वारा यह कहा जा रहा है कि हम लगातार सैंपलिंग कर रहे हैं, लेकिन जागरूक लोगों का कहना है कि आखिर सैंपलिंग के बाद रिपोर्ट विभाग आम क्यों नहीं करती।

रिपोर्ट पर उठते हैं सवाल
खाद्य विभाग की सैंपलिंग के बाद खुद ही दुकानदार निश्चिंत होकर बैठ जाते हैं। दुकानदारों को बखूबी पता होता है कि लैब से 20 दिन में रिपोर्ट आने का प्रावधान जरूर है, लेकिन रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं। खासबात यह है कि दुकानदार तब तक खराब माल बेचे या अच्छा यह देखने वाला कोई नहीं होता है। जो सैंपलिंग की जाती है,उनमें कितनों की रिपोर्ट आइ, नहीं आई तो, क्यों नहीं आई, यह भूलकर विभाग शांत बैठ जाता है, इसके बाद कितनों लोग मिलावटी खाद्य पदार्थ खा कर बीमार हो जाते हैं, यह संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है।

स्वास्थ्य की फिक्र नहीं
खाद्य विभाग की कार्रवाई त्योहारी बन गई है, जब भी कोई त्योहार आता है, विभाग दनादन सैंपलिंग शुरू कर देता है। शेष दिनों में इतनी सुस्ती छा जाती है, जैसे मिलावट जड़ से खत्म कर दी हो। यहीं विभाग पर सवाल उठता है कि लोगों के स्वास्थ्य की इतनी फिक्र है तो, हमेशा एक जैसी तत्परता के साथ कार्रवाई क्यों नहीं होती। मजे की बात तो यह है बीते एक दशक में स्थानीय मिलावट खोरों पर कितनी कड़ी कार्यवाही की है, यह समझ से परे है, एकाध-दो कार्यवाही पर जुर्माना विभाग द्वारा लगाकर पीठ थप-थपा ली जाती है।

मिलावट माफिया से मिली भगत के आरोप
जिले भर में मिलावट का कारोबार खुलेआम चल रहा है, यही वजह है कि खाद्य पदार्थों के जितने भी सैंपल लिए जाते हैं। सूत्रों की माने तो ज्यादातर फेल ही होते हैं, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी शहर के रसूखदार दूध डेयरी संचालक, मिठाई, किराना व अन्य खाद्य पदार्थों की दुकानों के सैंपल तक नहीं लेते हैं। गर्मी के सीजन में कई बर्फ फैक्ट्रियां जिले भर में संचालित हो जायेगी, बर्फ बनाने वाले लोग खतरनाक केमिकल से लेकर मिलावट का अन्य सामान बड़े स्तर पर उपयोग करते हैं, साथ ही जिले में खुले में सामग्री गंदगी के बीच खाद्य सामग्री बेची जाती है, लेकिन अचरज की बात यह है कि एक पर भी कार्यवाही नहीं होती। चर्चा है कि विभाग के जिम्मेदारों ने लगभग दुकानों से महीना का नजराना बांध रखा है।

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