चटूआ ग्रेनाइट खदान में नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां

लीज के नियमों से भटके मित्तल, प्रदूषण का केन्द्र बनती जा रही ग्रेनाइट खदान
(संतोष टंडन)
शहडोल। संभाग के अनूपपुर जिले के मझगवां पंचायत अंतर्गत चटुआ गांव में संचालित ग्रेनाइट खदान में नियमों को ताक पर रखते खुदाई की जा रही है, मेसर्स ग्रेनाइट फील्ड एलएलपी की खनन परियोजना के द्वारा खदान के संचालक द्वारा खदान में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध रूप से खुदाई की जा रही है, वही पर्यावरण स्वीकृति के समय जनसुनवाई में बताए गए ग्राम पंचायत के क्षेत्र में जल संतुलन, हरित विकास पर वाटिका का विकास, वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था, ध्वनि प्रदूषण के उपाय, जल प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, पर्यावरण संरक्षण हेतु बजट, सामाजिक कार्य हेतु बजट आदि सभी प्रकार के किए गए वायदे तार-तार करते हुए ग्रेनाइट खदान के संचालक मित्तल द्वारा की जा रही है।
बना दी खाई
खदान संचालक द्वारा लीज की भूमि पर उत्खनन के लिए 12 मीटर गहराई पर भी ध्यान न देते हुए 50 मीटर की खुदाई कर ग्रेनाइट पत्थर निकाला जा रहा है, इसके अलावा ग्राम पंचायत क्षेत्र में प्रतिवर्ष स्कूल या सामाजिक कार्य में किए जाने वाले खर्च पर भी लगाम लगाते हुए कुछ चाटुकारों को अपना बना कर विकास में होने वाले खर्च को रोका जा रहा है, इसके अलावा जल संतुलन तंत्र, धूल, पानी छिड़काव, वृक्षारोपण, पीने योग्य पानी आदि के खर्च को छोड़ सिर्फ ऑफिस को मेंटेन करने में लगे हैं, यही नहीं बल्कि अपने के्रशर से रात दिन सैकड़ों घन मीटर की गिट्टी उत्पादन कर बेचने में व्यस्त हैं।
पौध रोपण से बनाई दूरी
खदान क्षेत्र में संचालक ने प्रतिवर्ष होने वाले पौधरोपण से भी दूरी बनाए हुए हैं, सरकार के द्वारा खनन में करने के लिए 10000 घन मीटर प्रतिवर्ष का आंकड़ा तय किया गया है, लेकिन जांच की जाए तो 20000 घन मीटर की खुदाई उक्त निजी क्षेत्र पर देखी जा सकती है और दिनभर आधा किलो मीटर की दूरी पर बसे ग्राम चटुआ में पर्यावरण को नुकसान तो होता ही है, साथ ही ध्वनि प्रदूषण भी दिन भर बना रहता है। इस खदान के द्वारा ग्रामीणों को किसी प्रकार की सेवा उपलब्ध भी नहीं कराई जाती।
हरित पट्टिका का नहीं हो रहा विकास
खदान क्षेत्र में पट्टा क्षेत्र की सीमा के आसपास करीब 100 वृक्ष प्रतिवर्ष लगाए जाएंगे तथा आने वाले लीज अवधि तक 265 6 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण की योजना बनाई गई है, लेकिन योजना सिर्फ पर्यावरण स्वीकृति तक के लिए बना कर रखा गया था और जैसे ही पर्यावरण की स्वीकृति उक्त खदान को मिली है, तब से परियोजना के लिए सघन वृक्षारोपण की योजना सिर्फ नाम की रह गई है और खदान खोलने के बाद प्रतिवर्ष 100 वृक्ष है, जिसमें नीम महुआ जामुन पीपल मुनगा गुलमोहर करंजी आदि कई प्रकार के वृक्षों को लगाना था, लेकिन धरातल पर खदान संचालक ने सभी कायदों की बलि चढ़ा दी।
वायु प्रदूषण चरम पर
ग्रेनाइट खदान के साथ-साथ मित्तल के द्वारा लगाई गई क्रेशर से दिन भर डस्ट उड़ती है, जिससे वायु प्रदूषण की प्रचुरता चरम पर बनी हुई है , खदान की रोड पर नियमित अंतराल पर जल छिड़काव सुनिश्चित किया गया था, लेकिन एक भी दिन यहां पर उक्त रोड पर जल छिड़काव का कार्य ग्रेनाइट खदान द्वारा नहीं किया जाता, डंपर भरते समय खनिज के ढेर पर पानी छिड़काव किए जाने की बात सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है, उडऩे वाली धूल के फैलाव को कम करने के लिए लीज क्षेत्र की परिधि एवं खदान रोड के किनारे वृक्षारोपण की बात भी पूरी नहीं हो पाई, खदान रोड पर समय-समय पर रखरखाव की बात तो करते हैं, लेकिन अपने क्रेशर से गिट्टी डालने की बजाय अगल-बगल से मिट्टी को लाकर रोड में डाल देते हैं और गड्ढों को ढक देते हैं, जिससे आए दिन धूल डस्ट बनी रहती है इसके अलावा विस्फोट के लिए नवी युक्त डीलिंग की विधि अपनाई जाने की बात को दूर छोड़ते हुए मनमाफिक हिसाब से विस्फोट किया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक बजट सिर्फ दिखावा
खदान संचालक द्वारा फूट डालो और राज करो की तर्ज काम किया जा रहा है, नाम न बताने की शर्त पर कई ग्रामीणों ने बताया कि मित्तल द्वारा असामाजिक तत्वों को शराब पिलाकर ग्रामीणों के हितों में बात करने वाले नेताओं को दबा दिया जाता है। ग्रामीण विवाद से बचने के लिए आंख मूंदकर बैठे रहते है, इन सब की जांच अगर विभाग द्वारा की जाए तो सब कुछ साफ नजर आने लगेगा, चर्चा है कि विभाग के जिम्मेदार महीने का कमीशन लेने में व्यस्त हैं। पर्यावरण बजट खर्च किया जा रहा है या नहीं किया जा रहा है, सामाजिक कार्य हो रहे हैं कि नहीं हो रहे हैं, इन सब चीजों से विभाग को कोई लेना-देना नहीं रह गया है।
इनका कहना है…
ग्रेनाइट खदान के संचालक द्वारा जन सुनवाई के समय किए गए वायदों को कभी पूरा नहीं किया और स्कूल, स्वास्थ्य, पानी जैसे कई सुविधाओं को मुहैया कराने की बात तो दूर लोगों को शराब पिलाकर अपना काम निकाल रहा है, पूरे क्षेत्र में इस कंपनी के कारण अव्यवस्था बनी रहती है।
शोभा बैगा
सरपंच
ग्राम पंचायत मझगवां