वेतन नियमित नहीं मिल रहा, ईपीएफ में भी गोलमाल कर रहे

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सफाई कर्मियों ने की आयुक्त से शिकायत, डिफाल्टर कंपनी को सौंपा काम

इंट्रो-अस्पताल की सफाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमीशन के फेर में एक ऐसी आउट सोर्स कंपनी को काम सौंपा है जो डिफाल्टर घोषित की गई है। इस कंपनी का कामकाज तो लचर है ही इसके सफाई कर्मचारी भी शोषण के शिकार हैं। जिन्होंने आयुक्त से शिकायत कर न्याय की मांग की है।शहडोल। जिला अस्पताल में सफाई के नाम पर लाखों का ठेका लेने वाली काममेन हाउस कीपिंग इंदौर नामक आउट सोर्स ठेका कंपनी जहां अपने ही कर्मचारियों का शोषण कर रही है वहीं वह अस्पताल की सफाई में भी फिसड्डी साबित हो रही है। जिला अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की अंधेरगर्दी का आलम यह है कि इसे ही अस्पताल की सुरक्षा का दायित्व भी सौंप दिया गया है। जानकारी मिली कि कंपनी की असलियत जानने के बाद भी उस पर यह मेहरबानी आर्थिक समीकरणों के चलते की गई है। यह कंपनी यहां पिछले 27 महीनों से कार्यरत है। इस दौरान एक बार भी इसके कामकाज का अवलोकन नहीं किया गया।

ईपीएफ दिलाया जाएकामगारों ने आयुक्त से मांग की है कि जिला अस्पताल एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला शहडोल के अंर्तगत 27 माह से काममेन हाउस किपिंग इन्दौर सफाई का कार्य हम सफाई कर्मिया से कराया जा रहा है। लेकिन उनके नियमित भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही ईपीएफ कटौती और उसके संधारण में भी गोलमाल किया जा रहा है।  इस संबंध में स्पष्ट हिसाब व जानकारी देने की बजाय निरंतर गुमराह किया जा रहा है। जिससे वे सभी चिंतित हैं। माग की गई कि उनके भविष्य व श्रम को देखते हुए उनके  राशि की समुचित व्यवस्था कराई जाए।

डिफाल्टर को दोहरा कामजानकारी दी गई कि यह कंपनी पूर्व में कई जिलो में काम कर चुकी है और वहां से डिफाल्टर हो चुकी है। यहां के अधिकारी यह सब जानते हुए भी कंपनी पर कसाव करने अथवा उसे काम से हटाने की बजाय उसे अस्पताल की सुरक्षा का भार भी सौंप दिया गया है। उसे कंपनी की कार्यशैली से अस्पताल प्रबंधन  को जैसे कोई लेना देना ही नहीं है। कंपनी के अधिकारी यहां के विभागीय बड़े अफसरों से साठगांठ रखते हैं। यही कारण है कि अस्पताल में न तो सफाई का ढंग से काम हो रहा है और न सुरक्षा का ही कोई माकूल इंतजाम है। हालत यह है कि एक कर्मचारी दो तरह के काम कर रहा है लेकिन उसे भुगतान किस मान से और कैसे किया जा रहा है, यह ज्ञात नहीं है।सघन जांच जरूरीकायाकल्प अभियान मेंं बीते वर्ष फिसड्डी रहे जिला अस्पताल की सफाई व अन्य  व्यवस्थाओं की सघन जांच पड़ताल जरूरी है। अस्पताल के अंदर वार्डों के आसपास गंदगी मौजूद रहती है। पीक व पाउच के रैपर पड़े रहते हैं। गंदा पानी फैला रहता है। जिससे संक्रमण होने का अंदेशा बना रहता है। कंपनी को लाखों  का ठेका दिया जाता है लेकिन यहां गीला कचरा और सूखा कचरा अलग करने और बायोमेडिकल वेेस्ट अलग रखने की व्यवस्था की जानी चाहिए लेकिन यह कार्य यहां सुस्त गति से चलता है। इसी तरह सुरक्षा के इंतजाम भी परिसर में समुचित रूप से दिखाई नहंी पड़ती है।

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