इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं एसईसीएल के कर्मचारी
उमरिया। एसईसीएल रीजनल हॉस्पिटल नौरोजाबाद खुद बीमार चल रहा है, डॉक्टरों के चेंबर में हमेशा ताला लटके हुए मिलता है, अगर कोई डॉक्टर उपस्थित भी हुआ तो वह मात्र कुछ घंटों के लिए आकर अपनी ड्यूटी बजा कर चला
जाता है, एक ओर जहां डॉक्टर को भगवान के दर्जा दिए जाता है , जब वह उपस्थित ना हो अब मरीज अपने इलाज के लिए दर-दर भटकते नजर आए तो ऐसी स्थिति में एसईसीएल को अपने रीजनल हॉस्पिटल में ताला लटका देना
चाहिए, हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च होते हैं और वहां पर डॉक्टर और मशीनरी सिस्टम पूरा फेल नजर आ रहा है। एसईसीएल के ए.पी एम. जोहिला एरिया को समस्याओं से अवगत कराया जाता है और कहा गया कि हॉस्पिटल में सुबह से लाइट बंद हो जाती है और यहां स्टॉफ द्वारा कहा जाता है कि यह पहली बार नहीं है कि लाइट गोल है और यहां कर जरनेटर चालू नहीं है, कभी भी रात में या दिन में लाइट गोल हो भी जाती हैं तो भी जनरेटर नही चालू होता है। रीजनल हॉस्पिटल का पूरा तंत्र सिस्टम फेल चल रहा है, संभवत: बीते माहों में जनरेटर खराब था, लेकिन डीजल बंद जनेटर पी रहा है, डीजल के बिल जिम्मेदार पास कर रहे हैं, इसके बाद एपीएम ने कहा कि सीएचएमओ से बात करता
हूं, हॉस्पिटल में डॉक्टर को उपस्थित रहना चाहिए डॉक्टर भगवान के रूप में होते हैं, ऐसी स्थिति में अगर डॉक्टर नहीं है तो मैं बात करता हूं। एसईसीएल रीजनल हॉस्पिटल के सीएचएमओ गहरी निद्रा में सोते हुए नजर आ रहे हैं तो, वहां पर पदस्थ डॉक्टर क्यों ड्यूटी करें, जब जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी से भागते हुए नजर आए तो, उनके विभागीय डॉक्टर कहां तक ड्यूटी करें। वह भी गहरी निद्रा में डॉक्टर साहब के साथ अपने घर में भगवान के भरोसे हॉस्पिटल छोडक़र सोते हुए नजर आते हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है कि डॉक्टर हॉस्पिटल में नहीं रहते हैं, पूर्व में भी ऐसी कई मामले इस रीजनल हॉस्पिटल के उजागर हो चुके हैं, जहां पर डॉक्टर चेंबर में उपस्थित ही रहते और ताला लटका रहता है और डॉक्टरों की हाजिरी ड्यूटी बराबर चलती रहती है।