फर्जी फर्मों से सचिव ने बनाया जुगाड़

0

मामला ग्राम पंचायत गोहपारू में हुए भ्रष्टाचार का

ठण्डे बस्ते में संभागायुक्त ने दिये थे जांच के आदेश

शहडोल। जनपद पंचायत गोहपारू की मुख्यालय ही पंचायत में बीते वर्षाे में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है, ग्राम का कितना विकास हुआ यह किसी से छुपा नहीं है, सूत्रों की माने तो ग्राम पंचायत के सचिव ब्रजभान सिंह द्वारा शासन की योजनाओं में पैतरेबाजी करके शासन का पैसा निकाला गया, इसका उदाहरण ग्राम पंचायत के वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक के बिलों की जांच कर देखा जा सकता है। शासन की जन कल्याणकारी योजनाए और ग्राम विकास मे लाखो रुपए पानी की तरह बहने वाले इन रुपयो मे अब सरपंच, सचिव और जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने जमकर मलाई खाई है, इससे प्रक्रिया में जो गांव का विकास होना था, वहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही विकास हुआ है।
जीएसटी नहीं रोक पाया फर्जीवाड़ा
जीएसटी लागू होने से पहले दावे किए जा रहे थे कि, पंचायतों के यह फर्जीवाड़े जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे, लेकिन यह सिर्फ भ्रम साबित हुआ। जीएसटी के बाद यह फर्जीवाड़े बंद नहीं हुए बल्कि सुरक्षात्मक ठगी हो गई है। सूत्रों की माने तो गोहपारू पंचायत ने एक ऐसी फर्म से लाखों की सामग्री ली, जिसने बगैर जीएसटी के बिल लगाये और लाखों की सामग्री सप्लाई कर दी, लेकिन सत्ताधारी दल के नुमाइंदे हो या विपक्ष में बैठे नेताओं ने भी इस हमाम में जमकर डुबकी लगाई।
चल-अचल संपत्ति की हो जांच
हर एक विभागो में कार्य की गुणवत्ता के लिऐ अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, ताकि समय-समय पर उस कार्य का निरीक्षण करके अच्छा और गुणवत्ता पूर्ण रूप से सम्पादित कर सके , जिससे भ्रष्टाचार की रोकथाम की जा सके। सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत गोहपारू मे पदस्थ अधिकारी कर्मचारी और इंजीनियर सांठ-गांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखती है, ऐसा नहीं है कि इसके साक्ष्य बमुश्किल मिलेंगे, ग्राम पंचायत में अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो मे लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत खुद-ब-खुद बयां कर रहे हैं। पंचायत मे विकासकार्य और सरपंच, सचिव और सब इंजीनियर के चल-अचल सम्पत्ति की सूक्ष्मता से जाँच होने की आवश्यकता है, जिससे स्पष्ट हो जाऐगा की किस तरह भ्रष्टाचार चरम सीमा पर कर दी है।
जांच ठण्डे बस्ते में
तात्कालीन कमिश्नर जे.के. जैन ने जनपद पंचायत कार्यालय गोहपारू निरीक्षण किया था और ईपीओ सिस्टम से ग्राम पंचायत गोहपारू में कराये गये निर्माण कार्यों के देयकों का निरीक्षण किया तथा मौके पर उपस्थित अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को निर्देश दिये थे कि वे देयकों की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। इस दौरान कमिश्नर द्वारा निर्देशित किया गया था कि ग्राम पंचायत गोहपारू द्वारा निर्माण एजेंसियों को कितनी राशि का भुगतान किया गया है, इसके देयकों की जांच करायें, लेकिन उक्त जांच भी ठण्डे बस्ते में डाल दी गई।
भ्रष्टाचार से मूंदी आंखें
गोहपारू क्षेत्र में बने शौचालय या किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य में कमीशन का खेल अब सतह पर आ चुका है, सूत्रों की माने तो पंचायत से लेकर जनपद में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों को हर बिल का काम का प्रतिशत कमीशन समय से मिलता रहा और उन्होंने क्षेत्र में हुए भ्रष्टाचार की ओर से आंखें ही मूंद ली। लोगों का कहना है कि अगर पंचायतों में हुए सामान सप्लाई और हुए निर्माण कार्य की गुणवक्ता सहित शौचालय की गिनती कर ली जाये तो पंचायत सहित जनपद में बैठे अधिकारियों की कलई खुलकर सामने आ सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed