गौवंश व अन्य पशुओं की सेवा बना जीवन का लक्ष्य

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(Anil Tiwari )

शहडोल। भौतिक सुख-सुविधाओं की चकाचौंध से दूर दुर्घटनाग्रस्त, बीमार एवं अपाहिज गौवंश व अन्य पशुओं की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना चुके गौरव राल्ही मिश्रा ने वर्ष 2017 में अटल कामधेनु गौ-सेवा संस्थान कल्याणपुर की स्थापना करने के बाद अब तक अपनी टीम में जाबाज सिपाहियों की मदद से तीन हजार से अधिक गौवंश एवं अन्य पशुओं का रेस्क्यू कर चुके हैं। हमनें हजारों बीमार, अपाहिज दुर्घटनाग्रस्त पशु सामान्य जीवन जीने लगे हैं, अर्थात इन्हें नया जीवन मिला है।

दृढ़ संकल्प, कठित परिश्रम
12 मार्च 1992 को रीवा जिले के नई गढ़ी ब्लाक अंतर्गत ग्राम बैरिहा में एक साधारण परिवार में जन्में गौरव राल्ही मिश्रा ने भोपाल के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल में बीई करने के बाद वर्ष 2013 से 2015 तक पॉलीटेक्निक कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। दृढ़ संकल्प व कठिन परिश्रम व जुझारू व्यक्तिव के धनी, मृदुभाषी गौरव ने सौर्य एकेडमी खोलकर कम्पटीशन परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं को एक तरफ पढ़ाते थे और दूसरी तरफ सिविल सर्विसेज की तैयारी स्वयं कर रहे थे। इंदौर में मोमरा सरिया में इंजीनियर की नौकरी डेढ़ साल की और फिर उड़ीसा के झारसुगड़ा में जॉब किया। नाईजीरिया में एक अच्छी कंपनी में नियुक्ति को ठुकरा वर्तमान में शहडोल की एक निजी कंपनी में इंजीनियर की नौकरी कर रहे हैं।

शासन-प्रशासन से मदद नहीं
अटल कामधेनु गौ-सेवा संस्थान के संस्थापक गौरव मिश्रा ने  कि शासन-प्रशासन की मदद के बिना जन-सहयोग से हमने धनपुरी, अमलाई, अनूपपुर, पाली, उमरिया, रीवा, सिंगरौली, बैढऩ, उज्जैन व इंदौर में शाखाएं खोली हैं। धनपुरी व सिंगरौली के अमरोली में गौशाला भी खुल गई है। शहडोल के कोर टीम में 25 सदस्य जबकि आर्थिक रूप से मदद करने वाले समाज सेवियों की संख्या लगभग आधा सैकड़ा है। कल्याणपुर स्थित गौशाला में प्रतिमाह 65 से 70 हजार रूपये का खर्च आता है। 5 कर्मचारियों को 6-6 हजार रूपये वेतन दिया जाता है। किन्तु शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलती।

अस्पताल बनी गौशाला
कल्याणपुर में संचालित गौशाला अस्पताल का रूप ले चुकी है, जहां वर्तमान में 52 मरीज गौ-माताओं का उपचार चल रहा है। इसके अलावा 2 कुत्तों एवं एक घोड़ा का इलाज भी किया जा रहा है। इन मरीज पशुओं को इस अस्पताल से भोजन भी प्रदान किया जाता है। यह ऐसी गौशाला है, जहां दूध का उत्पादन नहीं किया जाता। अस्पताल की तरह यहां मरीज पशुओं का रिकार्ड बकायदे रस्टिर में दर्ज किया जाता है। जरूरत पडऩे पर शासकीय पशु चिकित्सायल से डॉक्टर भी आते हैं। डॉ. राजेश दीवान की मदद से 20 गौ-माता एवं 5 कुत्तों का आपरेशन भी हो चुका है।

इस तरह भी करते हैं सेवा
अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान के सेवा कार्यकर्ताओं द्वारा जबरदस्त ठंड से पशुओं की रक्षा के लिए शहर के चार स्थानों सांई मंदिर घरौला, महर्षि स्कूल कल्याणपुर, स्टेडियम के पीछे तीसरी नंबर गली एवं शंकर टाकीज के सामने पैरा रखवाया गया है। हिमांशी पटेल द्वारा पिछले 6 माह से हर रोज गायों व कुत्तों के लिए भोजन लेकर शहर में निकलती है। लाकडाउन के दौरान पशुओं को होटलों से निकलने वाला जूठन मिलना बंद हो गया था, जिससे आवारा पशुओं के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, तब गौरव मिश्रा व उनके साथी पशुओं को खाना व पानी देते रहे। इतना ही नहीं पूरे शहर में एक सैकड़ा नाद रखवाया गया था। जन्म दिन या शादी की सालगिरह पर भी संस्था के सदस्य चारा एवं गुड़ का भण्डारा किया जाता है। समाज सेवी रंजीत बसाक द्वारा पशुओं को भोजन वितरण के लिए वाहन प्रदान किया गया।

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