रीवा से शहडोल मार्ग हुआ जानलेवा, जिम्मेदारों ने मूंदी आंखे

रीवा/शहडोल. जाने कब सुधरेंगी रीवा से शहडोल तक की सड़कें? यह सवाल आज हर आदमी की जुबान पर है। रीवा से लेकर गोविन्दगढ, बाणसागर,घाटो से लेकर ब्यौहारी जयसिंहनगर जाने वाली सड़कों की हालत देख जान जोखिम को आता है। लोग दिन रात जान हथेली पर लेकर इन सड़कों से गुजरने को विवश हैं। सूबे के मुख्यमंत्री को भी शायद इन सड़कों की दुर्दशा नहीं दिखी। तभी तो राज्य व केन्द्र सरकार को सालाना करोड़ों का राजस्व देने वाली इन सड़कों की पीड़ा और इन पर चलने वालों का दर्द सुनाई नही दे रहा है।
जान जोखिम से कम नहीं छुईया घाटी का सफर
रीवा से शहडोल जाने के लिये दो पहिया या चौपहिया वाहनों के चालकों के पसीने छूट जाते है। जबकि सवार को मंजिल पर पहुंच कर पूनर्जन्म का एहसास होता है। यही हालत रीवा से लेकर छुईया घाटी होते हुए बंगवार तिराहे तक जाने वाली गाडि़यो का होता है। यू कहे तो रीवा से गोविन्दगढ, छुईया घाटी बाणसागर, ब्यौहारी जयसिंहनगर जाने वाले रोज ही मौत से दो चार होते हैं। सड़क पर गड्डे़ हैं या गड्डों पर सड़क बनी है पता नही चलता। जब हल्की सी भी बरसात हो जाये तो गड्ढों की थाह पाना आसान नहीं होता है। कई मोटरसाइकिल सवार और कार वाले इन सड़कों की जर्जर हालात के शिकार होकर अपने हाथ पांव गवां चुके हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत गोविन्दगढ से बंगवार और बाणसागर से लेकर जयसिंहनगर तक की सड़कों की है।
भारी भरकम वाहनों की आवाजाही
शहडोल से रीवा तक का सफर करने पावर प्लांट का कोयला हो या रेत से भरे हाइवा इन्हीं सड़कों से ट्रकों और डम्परों के द्वारा आवाजाही की जाती हैं। फिर भी न तो जिम्मेदार और न ही सफेद पोश जनता के जनप्रतिनिधि अपनी इन सड़कों के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन किस तरह कर रहे हैं। यह तो इन सड़कों पर चलने वाली जनता जानती है। जिसके कारण आम आदमी रोज तिल तिल कर मर रहा है।
सड़क छोड़ रेत पकड़ रहे विधायक !
ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र का मुख्य मार्ग भी अपनी दुर्दसा पर आसु बहाने के अलावा कुछ नहीं कर सकता है। इस क्षेत्र में कई धुरंधर ने जोर आजमाइस की लेकिन किसी ने भी ब्यौहारी क्षेत्र का विकास नहीं करा सका आए दिन सत्ता में भाजपा और कांग्रेस की लुका छिपी चलती रही लेकिन हर बार ब्यौहारी हमेशा की तरह टग्गी जाती रही। ऐसी स्थिति में जनता किसका दामन थामे यह पसोपेश आज भी है। वर्तमान विधायक ने तो मूलभूत सुविधाओं में सड़क सहित अन्य जरूरी चीजों को छोड़ रेत पकड़ने में लगें है। आए दिन अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं। और आरोप प्रशासन पर ही लगा देते हैं।