बेशर्म RKTC प्रबंधन : लाभ के फेर में झोंक दी जिंदगी,शुरू हुआ मैनेजमेंट खेल का
शहडोल। एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की अमलाई ओपन कास्ट खदान (ओसीएम) में शनिवार को हुआ हादसा अब एक सामान्य दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और खनन सुरक्षा नियमों की बेरहमी से हत्या का मामला बन गया है। मिट्टी भराई के दौरान हुई अचानक धंसान में एक बुलडोजर, एक टीपर और उसका चालक दलदलनुमा खाई में समा गया। हादसे को 24 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक टीपर चालक अनिल कुशवाहा का कोई सुराग नहीं मिल सका है। प्रशासन अब वाराणसी से आ रही राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) टीम का इंतजार कर रहा है। यह हादसा धनपुरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत अमलाई ओसीएम में हुआ, जहां आर.के.टी.सी. कंपनी को ओवर बर्डन (ऊपरी मिट्टी) हटाने और पानी से भरी खाई को पाटने का ठेका मिला था। भारी बारिश के बीच मिट्टी डालने के कार्य के दौरान अचानक ढलान खिसकने से चार कर्मचारी मलबे में दब गए। दो ने किसी तरह भागकर जान बचाई, जबकि शिफ्ट प्रभारी मुनीम यादव घंटों तक मिट्टी में दबे रहे। स्थानीय नागरिकों, पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला, मगर ऑपरेटर अब भी लापता है। हादसे वाली जगह अब दलदल में तब्दील हो चुकी है — जहां भारी मशीनें तक निगल गईं।
कंपनी और प्रशासन के बयानों में विरोधाभास
अब इस पूरे मामले में ठेकेदार कंपनी, एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन के बयानों में खुला विरोधाभास सामने आया है। आर.के.टी.सी. कंपनी का कहना है कि यह हादसा मिट्टी खिसकने से नहीं, बल्कि पुराने डंप प्लेटफॉर्म के धंसने से हुआ है और वे केवल रास्ता (रैंप) तैयार कर रहे थे। वहीं शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह और एसईसीएल के महाप्रबंधक बी.के. जेना का दावा है कि मिट्टी शिफ्टिंग के दौरान स्लाइडिंग हुई, जिससे मशीनें और चालक पानी में समा गए। दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान यह साफ़ कर देते हैं कि सच कहीं दबाया जा रहा है और जिम्मेदारी से बचने का खेल चल रहा है।
डीजीएमएस के नियमों का खुला उल्लंघन

खनन सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) की कोल माइंस रेग्युलेशन 2017 और टेक्निकल सर्कुलर 02/2024 में स्पष्ट निर्देश हैं कि पानी भरे गड्ढों या ढलान वाले स्थलों पर बारिश के दौरान किसी भी प्रकार का खनन या मिट्टी डालने का कार्य पूर्णत: प्रतिबंधित है। ऐसा करने से ढलान धंसने, मिट्टी सरकने और जान-माल की हानि का गंभीर खतरा होता है। अमलाई ओसीएम में यही सब हुआ। बारिश जारी थी, जलभराव था, फिर भी मशीनें उतारी गईं और ओवर बर्डन डालने का काम चलता रहा। यह सीधे-सीधे डीजीएमएस के सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है। स्थानीय कर्मचारियों ने भी आरोप लगाया है कि कंपनी कई दिनों से बारिश के बीच खतरनाक जगहों पर काम करने के आदेश दे रही थी। मिट्टी का प्लेटफॉर्म पहले से कमजोर था, नीचे पानी भरा था, फिर भी लक्ष्य पूरा करने की होड़ में जोखिम भरे काम कराए गए। मजदूरों का कहना है कि उन्होंने बार-बार खतरे की चेतावनी दी, लेकिन प्रबंधन ने अनसुनी कर दी।
चार अरब का ठेका, सुरक्षा जीरो

आर.के.टी.सी. कंपनी को अमलाई ओसीएम में उत्खनन और ओवर बर्डन शिफ्टिंग का लगभग चार अरब रुपये का ठेका मिला है। ठेका रकम तो करोड़ों में है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था शून्य पर टिकी हुई है। डीजीएमएस गाइडलाइन के अनुसार खदान में सेफ्टी सुपरवाइजर, स्लोप इवैल्यूएशन टीम और प्री-ऑपरेशन सेफ्टी चेकलिस्ट अनिवार्य है। मगर अमलाई ओसीएम में यह सब कागज़ों में सिमट कर रह गया। यह भी सवाल है कि एसईसीएल के स्थानीय सुरक्षा अधिकारी और क्षेत्रीय खनन प्रबंधन कहां थे, जब कंपनी ने जलभराव वाले खाईनुमा क्षेत्र में मिट्टी भरने की अनुमति दी? क्या किसी ने साइट का निरीक्षण किया था? अगर किया, तो रिपोर्ट क्यों सार्वजनिक नहीं की गई?
प्रशासनिक मौन और मजदूरों का आक्रोश
हादसे की खबर मिलते ही कलेक्टर डॉ. केदार सिंह, पुलिस अधीक्षक रामजी श्रीवास्तव, एसईसीएल के महाप्रबंधक बी.के. जेना और कांग्रेस जिलाध्यक्ष अजय अवस्थी, गुड्डू सिंह चौहान मौके पर पहुंचे। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू करवाया, लेकिन 24 घंटे बाद भी रेस्क्यू टीम को कोई सफलता नहीं मिली। ऑपरेटर अनिल कुशवाहा के परिजन 200 किलोमीटर दूर से शहडोल पहुंचे हैं। खदान के बाहर रोती-बिलखती भीड़ यह सवाल पूछ रही है कि आखिर कब तक मजदूरों की जानें ठेकेदारों की लापरवाही में यूं ही कुर्बान होती रहेंगी।
जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते अधिकारी

अमलाई ही नहीं, एसईसीएल के अधीन आने वाली कई खुली खदानों में बरसात के मौसम में काम बंद करने के नियम हैं, परंतु ठेकेदार कंपनियों को टारगेट के नाम पर काम जारी रखने दिया जाता है। डीजीएमएस के नियमानुसार, कोयला निकालने के बाद गड्ढे को समतल कर पुनरुद्धार (रिक्लेमेशन) किया जाना चाहिए ताकि उसमें पानी न भरे और हादसे की स्थिति न बने। मगर अमलाई में यही खाई मौत का दलदल बन गई है। यह स्पष्ट है कि एसईसीएल प्रबंधन की निगरानी लचर है, ठेकेदार कंपनी मनमानी पर उतारू है और प्रशासन केवल हादसे के बाद सक्रिय होता है। सवाल यह है कि क्या अब भी किसी पर आपराधिक लापरवाही का मुकदमा दर्ज होगा या फिर इस मजदूर की मौत भी जांच जारी है…कह कर जांच फाईलों के हवाले कर दी जाएगी?
साफ सवाल — जवाब कौन देगा?
बारिश के दौरान काम करने की अनुमति किसने दी?
क्या साइट की सुरक्षा जांच रिपोर्ट मौजूद थी?
डीजीएमएस के दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं हुआ?
और सबसे अहम — मजदूरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
इस हादसे ने एसईसीएल की ठेका प्रणाली, डीजीएमएस के अनुपालन और प्रशासन की संवेदनशीलता — तीनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमलाई की यह मिट्टी अब केवल खदान नहीं, सुरक्षा नियमों के दफन होने की गवाही बन चुकी है।
इनका कहना है…
यह एक दुखद घटना है,रायपुर की आरकेटीएस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को काम दिया गया था,जिसके द्वारा यहां पर मिट्टी फीलिंग का काम किया जा रहा था, अभी पूरे मामले की जांच की जा रही है, हमारी प्राथमिकता एनडीआरएफ के साथ उसका सहयोग करते हुए गहरे पानी से शव को निकालना है ।
बी के जेना
GM, सोहागपुर एरिया
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पानी नहीं गिर रहा था, 20 साल पहले का डम्प था, इस कारण वहां की मिट्टी धंस रही है, पम्प बैठाना था, अंडर कट था, लापरवाही किसी की नहीं है, यह हादसा है। राहत राशि जो नियम के अनुसार दी जायेगी।
मोहसन थॉमस, स्थानीय प्रबंधक
आर.के.टी.सी.
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कालरी प्रबंधन द्वारा लापरवाही की जा रही है, बगैर सुरक्षा मानको के कार्य कराया जा रहा है, अनिल कुशवाहा की मृत्यु हुई है, मृतक परिजन आये हुए हैं, उन्हें 01 करोड़ की राहत राशि एवं एक व्यक्ति को स्थाई नौकरी दी जाये। अगर मांग पूरी नहीं हुई तो, कांग्रेस आंदोलन करेगी।
अजय अवस्थी,कांग्रेस जिलाध्यक्ष
शहडोल
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एनडीआरएफ की टीम लगी हुई है, मिट्टी फिलिंग कर रहे थे, पूर्व की भी फिलिंग थी, वह बैठ गई, हमारा प्रयास है कि पहले लडक़े को रिकवर करें, मृतक के परिजन को कंपनी की ओर से 40 लाख की सहायता है।
डॉ. केदार सिंह,कलेक्टर
शहडोल
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मिट्टी सरकने की वजह से मशीन के साथ व्यक्ति पानी में समा गया है, यहां की एनडीआरएफ सक्षम नहीं है, बाहर से टीम आ रही है, अभी जल्दबाजी में कुछ कहना सही नहीं है, पहली प्राथमिकता है, जो डूबा है, उसे बाहर निकाला जाये।
रामजी श्रीवास्तव
पुलिस अधीक्षक
शहडोल
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मेरा छोटा भाई काम करता था, अत्यधिक बारिश होने के बावजूद उन्हें मिट्टी डंपिंग के कार्य में उतार दिया, जिससे ट्रक पलट गया, 24 घंटे से ज्यादा हो गये, लेकिन रेस्क्यू टीम नहीं आई, कोई सुनने वाला नहीं है। यह प्रशासन और कंपनी की लापवाही है, जो हत्या की श्रेणी में आता है।
परिजन
मृतक अनिल कुशवाहा का भाई