शरद की दो टूक : नहीं होने देंगे स्कूल शिक्षा में मनमानी, जानकारी भेजने में लापरवाहों की खैर नहीं

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शरद कोल का तीखा बयान
विधानसभा में जांच तक अरविंद पांडे खैर मनाए
शिक्षा विभाग की जानकारी में हेरफेर का प्रयास

शहडोल। जिले के स्कूल शिक्षा विभाग में हुए पेंट और फर्जी बिल घोटाले से जुड़ी जानकारी को लेकर अब सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। भाजपा विधायक शरद कोल द्वारा विधानसभा में वर्ष 2015 से 2025 तक के शिक्षा बजट, व्यय, मूल्यांकन पत्रक, उपयोगिता प्रमाणपत्र सहित समस्त रिकॉर्ड की जानकारी मांगी गई थी। यह जानकारी 28 जुलाई तक भोपाल स्थित विधानसभा सचिवालय भेजी जानी है और 6 अगस्त को सदन में प्रस्तुत की जानी है।
जानकारी के संकलन के लिए जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मरपच्?छी और संयुक्त संचालक उमेश धुर्वे ने समस्त विद्यालयों को निर्देश जारी कर दस्तावेज मंगवाए हैं। लेकिन इस बीच रमसा प्रभारी अरविंद पांडे की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। बताया जा रहा है कि वे विद्यालयों के प्राचार्यों को फोन कर अधूरी जानकारी देने और विशेष रूप से “डीजी गोप” सॉफ्टवेयर में दर्ज केंद्र सरकार की राशि से जुड़ी जानकारियां साझा न करने के निर्देश दे रहे हैं।
शिक्षकों के अनुसार, जिला व्यावसायिक समन्वयक डेमन यादव के माध्यम से भी दबाव बनाया जा रहा है कि वे सभी जानकारी उजागर न करें। कई प्राचार्यों ने मौखिक रूप से इस हस्तक्षेप की पुष्टि की है, जिससे यह आशंका और गहरा गई है कि विभागीय स्तर पर विधानसभा को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।
जब इस पूरे घटनाक्रम पर विधायक शरद कोल से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने दो टूक कहा अरविंद पांडे जैसे अधिकारी विधानसभा तक जानकारी पहुंचने और उसकी जांच पूरी होने तक अपनी खैर मनाएं। भाजपा सरकार आदिवासी अंचल के बच्चों के भविष्य से कोई खिलवाड़ नहीं होने देगी। शासन जो पैसा भेजता है, वह गांव की अंतिम पंक्ति तक पहुंचे – यह हमारी जिम्मेदारी है। अगर कोई अधिकारी जानबूझकर जानकारी छिपा रहा है या हेरफेर कर रहा है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। हमारी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। शरद कोल ने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक जानकारी मांगने का मामला नहीं है, बल्कि आदिवासी जिले के बच्चों और जनता के हक की बात है। अगर जानकारी के साथ किसी तरह का छल किया गया तो वह विधानसभा में उजागर होगा और दोषियों को जवाबदेह बनाया जाएगा।

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