साहब…कभी तो कर लीजिए ड्रायविंग स्कूल की जांच!

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अभियान पर भारी पड़ा ड्रायविंग स्कूल के संचालक का रसूख 
परिवहन अधिकारी का खास होने का मिल रहा फायदा 
शहडोल। संभागीय मुख्यालय में कई सालों से राजीव मोटर ड्राइविंग स्कूल का संचालन किया जा रहा है, लेकिन परिवहन विभाग के मुखिया द्वारा आज तक निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई, स्कूल नियम विरूद्ध संचालित हो रहा है, अगर परिवहन सहित संबंधित विभाग औचक निरीक्षण करे तो, स्कूल द्वारा नियम विरूद्ध संचालन किये जाने की पोल खुलकर सामने आ सकती है, एक ओर जोन के मुखिया द्वारा लोगों को यातायात के प्रति जागरूक किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उक्त स्कूल द्वारा बगैर प्रशिक्षण दिये, लोगों को प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाता है, जिससे आये दिन नौसिखिया लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं, परिवहन अधिकारी के  खास होने का फायदा स्कूल संचालक को बखूबी मिल रहा है, साहब के यहां न रहने के दौरान जितेन्द्र, पिन्टू, अरविंद द्वारा परिवहन विभाग की पूरी जिम्मेदारी सम्हाल ली है।
स्कूल संचालन के मापदण्ड
ड्राइविंग स्कूल संचालक या ट्रेनर कम से कम 10वीं पास हों। केंद्र या राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त मोटर मैकेनिक्स या मैकेनिकल या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की तकनीकी योग्यता (आईटीआई डिप्लोमा) होना भी जरूरी। स्कूल संचालक की वित्तीय स्थिति मजबूत हो। ड्राइविंग स्कूल जिन श्रेणियों के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत हैं, उन श्रेणियों का एक-एक वाहन होना चाहिए। इनका मालिक स्कूल संचालक हो। ये वाहन टैक्सी के रूप में रजिस्टर्ड हों। इनका रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस और लाइफ टाइम टैक्स जमा हो। स्कूल में ब्लैक बोर्ड, आवश्यक संकेतों के साथ रोड प्लान बोर्ड, यातायात चिह्न, ऑटोमैटिक सिग्नल्स और ट्रैफिक पुलिस का संकेत चार्ट, मोटरयान के सभी कम्पोनेंट विवरण प्रदर्शित करने वाला सर्विस चार्ट हो।  फिक्स स्पैनर, बॉक्स स्पैनर, स्कू्र स्पैनर, स्कू्र ड्राइवर के एक-एक सेट, प्लायर, हैमर आदि औजार हों। पर्याप्त फर्नीचर के साथ ड्राइविंग इंस्ट्रक्शन मैन्युअल, ऑटोमोबाइल मैकेनिज्म, ड्राइविंग रोड सेफ्टी, रोड एण्ड ट्रैफिक रेग्युलेशन, मोटर व्हीकल लॉ संबंधी किताब, अधिसूचना और विभागीय परिपत्रों का संग्रह हो।
कोई नहीं जानता कहां चल रहा स्कूल 
पुलिस विभाग यातायात दुर्घटना रोकने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है, वर्तमान में जोन के मुखिया द्वारा खुद सडक़ पर उतरकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं, वहीं परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते जोन के मुखिया के किये कराये पर परिवहन विभाग के जिम्मेदार पानी फेर रहे है, ड्रायविंग स्कूल में पंचर किट, टायर लीवर, व्हील, ब्रेस, जैक व टायर प्रेशर गेज होने के साथ ही आपातकाल के लिए अग्निशमन यंत्र, फस्र्ट एड बॉक्स होना जरूरी। जिस वाहन के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत हैं, उसे चलाने का पांच साल का अनुभव हो। मोटर वाहन अधिनियम के शेड्यूल एवं धारा 118 के अंतर्गत बनाए गए रोड रेग्युलेशन का पूरा ज्ञान हो। वाहन के सभी पाट्र्स, उनकी कार्यप्रणाली को समझाने व स्पष्ट करने की पर्याप्त योग्यता के साथ अंग्रेजी, हिंदी व क्षेत्रीय भाषा का सामान्य ज्ञान हो। स्कूल में संचालक व कर्मचारियों के नाम, पते, योग्यता व नियुक्ति प्रमाण पत्र और स्कूल का लाइसेंस इस तरह लगाएं जो आसानी से देखा और पढ़ा जा सके। प्रशिक्षणार्थियों की पूरी सूची उपलब्ध हो। हल्के व भारी वाहन का क्रमश:10 व 15 घंटे चलाने का प्रशिक्षण जरूरी है। प्रशिक्षण वाहनों पर स्कूल का नाम, पता, टेलीफोन नंबर और ई-मेल आईडी लिखा जाए, लेकिन उक्त स्कूल कहां संचालित हो रहा है, यह परिवहन अधिकारी और संचालक के अलावा कोई नहीं जानता।
आदेश की निकली हवा 
परिवहन विभाग द्वारा ड्राइविंग स्कूलों को चेक करने के लिए प्रदेश स्तरीय अभियान 15 सितंबर 2022 से शुरू किया था, यह अभियान भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर से शुरू हुआ, परिवहन विभाग ने ड्राइविंग स्कूलों को चेक करने के लिए विशेष अभियान चलाये जाने को लेकर आदेश जारी किया था, लेकिन राजधानी से निकले इस आदेश के हवा संभागीय मुख्यालय तक पहुंचते-पहुंचते निकल गई, जबकि परिवहन विभाग द्वारा अभियान चलाकर प्रक्रिया का पालन नहीं करने वाले ड्राइविंग स्कूलों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की बातें कहीं थी, इस संबंध में परिवहन विभाग द्वारा आम जनता से अपील की गई है कि वे अपने क्षेत्र अंतर्गत ऐसे किसी भी ड्राइविंग स्कूल अथवा सेंटर के बारे में परिवहन मुख्यालय तथा संबंधित क्षेत्रीय परिवहन अथवा जिला परिवहन कार्यालय को सूचित कर सकते हैं, लेकिन जब विभाग के मुखिया के खास माने जाने वाले के  नाम पर ही स्कूल हो, उस पर कार्यवाही के लिए किसके पास शिकायत करें, इसकी जानकारी विभाग नहीं दे सका।

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