सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में परोसा जा रहा धीमा जहर

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बारिश के मौसम में टंकियों में ढक्कन का अभाव

जगह-जगह दरक रही दीवाले, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

शहडोल। जिले के गोहपारू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य अमला इतना बेपरवाह हो गया है कि यहां इलाजरत लोगों को शासन की मुफ्त दवा व इलाज के फेर में अपनी ओर से ही मुफ्त में धीमा जहर भी परोसा जा रहा है। मरीज व उनके परिजनों की सुविधा की दृष्टि से निस्तार योग्य जिस पानी के टंकियों को भवन के छत पर रखा गया है, वह किसी तरह से सुरक्षित नहीं है, बारिश के मौसम में टंकियों में ढक्कन का अभाव कि वजह से इनमें बारिश का पानी तो भर ही रहा है, साथ ही कीट पतंगों द्वारा छोड़ी गई गंदगियां व छत से ही लगे पेड़-पौधों के पत्तियां तक इसमें समाहित हो रही है, जिस वजह से टंकी का आंतरिक परिदृश्य देखते ही बनता है ।
पढ़ाया जाता है स्वच्छता का पाठ
लंबे अरसे से सफाई के अभाव में टंकियों में भारी मात्रा में काई के अलावा छोटे-छोटे सूक्ष्म जीवो का भी आशियाना बन गया है, किंतु सब कुछ जानने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन वार्डो में मरीजों को विशाक्त जल परोस रहा है , जिससे पहले से ही बीमारी से परेशान मरीज कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हो रहे है, चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीजों को स्वच्छता का विशेष ध्यान का पाठ-पढ़ाया जाता है, निश्चित तौर पर अधिकारी लापरवाही चतुर्थ वर्ग कर्मचारी के सर पर मढ़ देंगे।
कार्यालय के बाहर बायोमेडिकल हो रहा नष्ट
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से निकलने वाला बायोमेडिकल कचरा परिसर के अंदर ही चिकित्सकों के कार्यालयों के पीछे नष्ट किया जा रहा है, कचरे को आग के हवाले करने की कोशिश में जिम्मेदार यहां आए हुए लोगों को विशैले तत्वों को बांटकर दर्जनों बीमारियां भी परोस रहे हैं। इतना सब होने के बावजूद भी अस्पताल के मुखिया जिनके द्वारा अपने कार्यालय में प्रवेश करने के पहले सभी कर्मचारियों की उपस्थिति व मरीजों की कार्य कुशलता सहित परिसर के चारों ओर स्वच्छ वातावरण के लिए निहारा जाता है, साथ ही कर्तव्य निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करने के लिए जिन कर्मचारियों को समय-समय पर आदेश निर्देश दिए जाते हैं।
शौचालय के बाहर जड़ दिया ताला
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही इतना सर चढ़कर बोल रही है कि यहां पर सार्वजनिक शौचालय तक में ताला जड़ा हुआ होता है, जो इन दिनों जन चर्चा का विषय बना है, अस्पताल परिसर के दूसरे मंजिल पर एनआरसी वार्ड संचालित है, जहां पर कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है, इस बिल्डिंग के चारों तरफ प्रबंधन द्वारा सुंदरता व शुद्ध प्राकृतिक ऑक्सीजन को ध्यान में रखते हुए दर्जनों पौधे गमलों में रोपे गए हैं, जो वाकई कार्य की प्रशंसा करता है, किंतु इसी परिसर में बिल्डिंग के कई कोनों में प्राकृतिक रूप से चार पांच फीट के पीपल सहित कई पौधे उगकर लहलहा रहे हैं, जिसकी वजह से दीवारें सहज ही फट रही हैं।
प्रबंधन अपने आप में मस्त
चिकित्सालय में प्रवेश करने के बाद पीछे की बिल्डिंग को गौर से देखा जाए तो, दीवारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे होली के विभिन्न रंगों से इन्हें रंग दिया गया हो, परिसर के अंदर गंभीरता से जब नजर डाली जाए तो कई कोनों में गुटके-तंबाकू के रंग-बिरंगी पीक भी जिम्मेदारों की ओर निहारती है और प्रबंधन है कि अपने आप में मदमस्त है। ऐसा नहीं कि जनमानस द्वारा इस ओर ध्यान आकृष्ट न कराया गया हो, लेकिन समस्या का निराकरण होने के बजाएं नित नई-नई समस्याएं जन्म लेती जा रही हैं। जागरूकजनों ने मांग की है कि जल्द से जल्द वरिष्ठ से इस ओर ध्यान दें, जिससे समस्याओ से निजात मिल सके।

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