तो क्या शहर में ब्याज पर रूपया बांटता बग्गी

बनावटी दरियादिली दिखाकर हो रहा गरीबों का शोषण
कर्जदार डर से नहीं पहुंचता शिकायत करने
संभागीय मुख्यालय सूदखोरों का जाल फैला हुआ है, इनकी नजर हमेशा जरूरतमंदों पर लगी रहती है, इनके कारिंदे ऐसे लोगों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए अपने आका तक ले जाते है। अगर गिरवी रखने को कुछ भी न मिला, तब भी बनावटी दरियादिली दिखाते हुए कर्ज दे देते है। एक बार जिसने सूदखोरों से कर्ज ले लिया, फिर उससे उबरना आसान नहीं रहता। आखिर में उन्हे ब्याज चुकाते चुकाते अपना सब कुछ गवां देना पड़ता है। कुछ कर्जदारों के सामने खुदकुशी करने के सिवाय कोई उपाय ही नहीं बचता है।
शहडोल। सूदखोर व साहूकार शहर के नौकरीपेशा वर्ग के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। रेलवे के साथ ही केंद्रीय विवि में भी यह अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। दरअसल, कर्मचारियों को रकम की आवश्यकता होती है, तब सूदखोर उनसे संबंध बनाकर मदद का भरोसा दिलाते हैं। फिर महज सबूत के तौर पर उनसे दस्तावेज तैयार करा लेते हैं। फिर इसकी आड़ में अवैध उगाही करते हैं, ऐसे ही संभागीय मुख्यालय में हाथ ठेला वालों को ब्याज पर पैसा देकर उनका शोषण किया जा रहा है।
बग्गी बांट रहा कर्ज
संभागीय मुख्यालय में सूदखोरी का धंधा लगातार बेखौफ चल रहा है, शद्ध मुनाफा होने के कारण कई लोगों ने सूदखोरी को ही अपना धंधा बना लिया हैं, मुख्यालय के बग्गी वाले ने छोटे-बड़े मजदूर सरकारी कर्मी सूदखोरी के चंगुल में फंसकर आर्थिक रूप से बदहाल हो गए हैं, इसका असर पारिवारिक जिंदगी पर भी पड़ रहा है। सूदखोरी का सबसे बड़ा असर हाथ ठेले वालों पर पड़ रहा है। अनेकों लोग अपने सट्टा, शराब, जुआ में बड़ा नुकसान होने के कारण कर्ज लेने के लिए बग्गी नामक सूदखोर के पास पहुंच जाते हैं, जिसके बाद कर्जदार जिंदगी भर बग्गी उन पर सवार हो जाता है।
10 प्रतिशत लेता है ब्याज
एक बार जो व्यक्ति बग्गी के पास से कर्ज ले लेता है, वह फिर जिंदगी भर के बग्गी का कर्जदार बन कर रह जाता है। फिर सूद के साथ साथ उसकी पूरी कमाई भी सूदखोर बग्गी के पास जाती रहती है। बताया जाता है कि संभागीय मुख्यालय में कम पढ़े लिखे, हाथ ठेले वाले अथवा नशे के आदि सरकारी कर्मियों की अज्ञानता की वजह से सूदखोर बग्गी ऐसे लोगों को जिंदगी भर के लिए अपने चंगुल में फंसा लेता है। खबर है कि सूदखोर कर्जदारों को 10 प्रतिशत ब्याज में कर्ज दे देता, वहीं कर्जदार भी भारी कर्ज के ब्याज को ही पटाते रह जाते हैं और मूल राशि कभी हाथ नहीं आती है।
कब होगी कार्यवाही
बगैर लाइसेंस ब्याज का धंधा करने वाले लोगों के खिलाफ कप्तान ने पदस्थापना के दौरान ही जिले के सभी थाना प्रभारियों को सख्त कार्यवाही करने की हिदायत दी थी, लेकिन ऑन रिकार्ड अवैध सूदखोरी करने वालों की जानकारी संभवत: पुलिस के पास नहीं हैं। इसलिए पुलिस समस्या से निपटने के लिए शिकायत को आधार मानकर कार्यवाही की बातें करती है, लेकिन गरीबों को शिकायत करने से पहले ही भय लगता है, जिससे संभवत: एक शिकायत भी थाने नहीं पहुंचती, अगर ऐसे सूदखोरों के मोबाइल नंबर की जांच की जाये तो, कई पुलिस वाले भी इनके संपर्क के निकल आयेंगे, जिससे सूदखोरों के हौसले बुलंद हैं। जागरूकजनों ने कलेक्टर सहित पुलिस अधीक्षक से सूदखोरों पर नकेल कसने की मांग की है।