…तो शहडोल में नहीं परोसा जा रहा तेल के नाम पर जहर! खाद्य एवं औषधि विभाग की भूमिका पर सवाल 

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खतरे में लोगों का स्वास्थ्य, अधिकारी केवल बैठकों तक सीमित 
संभाग में मिलावटी खाद्य तेल का कारोबार वर्षों से धड़ल्ले से चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे बैठा है। खाद्य एवं औषधि विभाग के प्रभारी आर.पी. सोनी की लापरवाही से नकली और मिलावटी तेल खुलेआम बिक रहा है। हाल ही में अनूपपुर में छापामार कार्रवाई ने पूरे खेल का भंडाफोड़ कर दिया, लेकिन सवाल यह है कि शहडोल जैसे बड़े बाजारों में आखिर कब तक यह जहर आम लोगों को परोसा जाएगा।
(अनिल तिवारी)
शहडोल। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिले में खाद्य तेल के नाम पर मिलावट का खेल कोई नया नहीं है। स्थानीय बाजारों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक खुलेआम मिलावटी सरसों का तेल बिक रहा है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन जिलों का खाद्य एवं औषधि विभाग का प्रभार संभालने वाले अधिकारी आर.पी. सोनी को कभी यह कारोबार नजर ही नहीं आता। अनूपपुर जिले में बृजधाम ट्रेडर्स पर जब पतंजलि की शिकायत पर छापा मारा गया तो नकली ‘महादेवम’ नामक तेल की बड़ी खेप जब्त हुई। अदालत के आदेश पर हुई इस कार्रवाई से यह साबित हो गया कि मिलावट का खेल वर्षों से बेखौफ जारी है। सवाल यह है कि विभागीय अधिकारी अब तक इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर पाए।
शहडोल जिला मिलावटखोरों का गढ़
शहडोल शहर ही नहीं बल्कि बुढ़ार, धनपुरी, गोहपारू, जयसिंहनगर और ब्यौहारी जैसे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में मिलावटी सरसों का तेल धड़ल्ले से खपाया जा रहा है। यहां के बाजारों में पाम ऑयल, राइस ब्रान और सोया ऑयल मिलाकर नकली सरसों का तेल बनाया जाता है। इस तेल में न तो सरसों की खुशबू होती है और न ही गुणवत्ता, लेकिन साठ-सत्तर रुपये लीटर में धड़ल्ले से बिकता है। इससे न केवल लोगों की सेहत खतरे में है, बल्कि असली कारोबारियों का बाजार भी चौपट हो रहा है। शहर में अग्रवाल, गुप्ता, रमेश और अन्य तेल मिल संचालकों पर लंबे समय से मिलावट करने के आरोप हैं। इनके खिलाफ कोई ठोस जांच नहीं हुई है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी जांच करने के नाम पर महज औपचारिकता निभाते हैं। यही वजह है कि तेल माफिया आज तक फल-फूल रहे हैं।
अनूपपुर में कार्रवाई, शहडोल में क्यों चुप्पी?
अनूपपुर जिले में पतंजलि की शिकायत पर कानूनी कार्रवाई हुई और बड़ी मात्रा में नकली तेल, पैकेजिंग मटेरियल जब्त किया गया। यह कार्रवाई स्थानीय पुलिस और न्यायालय के आदेश पर हुई, न कि खाद्य एवं औषधि विभाग की तत्परता से। यही विभाग जब शहडोल में आता है तो क्यों खामोश हो जाता है? क्यों यहां के तेल माफिया को संरक्षण दिया जा रहा है? ग्रामीण क्षेत्रों में हर गली-मोहल्ले तक नकली तेल पहुंच रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी केवल बैठकों और फाइलों तक सीमित हैं।
जनता में आक्रोश, विभाग की ढिलाई
आम उपभोक्ता रोजाना मिलावटी तेल का सेवन कर रहे हैं। यह तेल स्वास्थ्य के लिए धीमा जहर साबित हो रहा है। महंगाई के इस दौर में गरीब और मध्यमवर्गीय लोग सस्ता तेल खरीदने को मजबूर हैं और नकली तेल का धंधा उसी मजबूरी का फायदा उठा रहा है। जनता में इस खेल को लेकर भारी आक्रोश है, लेकिन जिम्मेदार विभाग की नींद अब तक नहीं टूटी है।
जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि शहडोल जिले के सभी बड़े तेल मिलों—अग्रवाल, गुप्ता, रमेश और अन्य संचालकों की तत्काल जांच की जाए। बुढ़ार, धनपुरी, गोहपारू, जयसिंहनगर और ब्यौहारी के बाजारों में भी नमूने लेकर परीक्षण किया जाए। साथ ही, खाद्य एवं औषधि विभाग के प्रभारी आर.पी. सोनी की लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच कर उन पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि उनकी नाक के नीचे यह मिलावटी कारोबार वर्षों से चल रहा है और वह आंखें मूंदे बैठे हैं।
करें दोषियों पर कार्यवाही
शहडोल और अनूपपुर में नकली तेल का कारोबार जनता की जान से खिलवाड़ है। इस पूरे खेल में मिलावटखोरों और जिम्मेदार विभाग के बीच मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। जब अदालत के आदेश पर छापा पड़ सकता है तो स्थानीय स्तर पर क्यों नहीं? विभागीय लापरवाही और मिलीभगत का नतीजा है कि जनता जहरीला तेल खाने को मजबूर है। अब वक्त आ गया है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।

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