समाजसेवी जितेन्द्र सिंह ने निर्धन छात्र की शिक्षा बचाकर पेश किया अनुकरणीय उदाहरण
चचाई। कहते हैं कि किसी समाज की संवेदनशीलता का पैमाना यह होता है कि वह अपने सबसे कमजोर वर्ग की कितनी परवाह करता है। ऐसे समय में जब शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत भी गरीबों के लिए एक सपना बन जाती है, तब समाज में कुछ ऐसे लोग सामने आते हैं जो न सिर्फ उस सपने को साकार करते हैं, बल्कि मानवता का प्रकाश स्तंभ बन जाते हैं। चचाई के प्रख्यात शिक्षाविद् और समाजसेवी जितेन्द्र सिंह ने ऐसा ही एक प्रेरणादायक कार्य कर समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
घटना आर.सी. इंग्लिश मीडियम स्कूल, चचाई की है, जहाँ युग वर्मा नामक एक होनहार लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्र कक्षा 8वीं उत्तीर्ण कर कक्षा 9वीं में प्रवेश लेना चाहता था। युग एक दलित परिवार से है और उसे कक्षा 1 से 8वीं तक शासन की आर.टी.ई. (RTE) योजना के अंतर्गत निशुल्क शिक्षा मिली। लेकिन आर.टी.ई. की सीमा खत्म होते ही उसे स्कूल में आगे पढ़ाई जारी रखने के लिए 10,000 रुपए की प्रवेश फीस और मासिक ट्यूशन फीस की आवश्यकता पड़ी।
युग के माता-पिता, जो अत्यंत निर्धन हैं, ने स्कूल के प्राचार्य और प्रबंधन समिति से केवल प्रवेश शुल्क माफ करने की विनम्र गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि वे हर महीने ट्यूशन फीस भरने के लिए तैयार हैं, लेकिन एक बार की बड़ी राशि वे नहीं जुटा पा रहे हैं। दुर्भाग्यवश, स्कूल प्रबंधन ने इस अपील को अस्वीकार करते हुए कहा कि फीस जमा करना अनिवार्य है।
परिवार टूटे मन से युग को स्कूल से हटाने का निर्णय लेने ही वाला था कि यह खबर समाजसेवी जितेन्द्र सिंह के पास पहुँची। शिक्षा और सामाजिक सेवा में वर्षों से सक्रिय जितेन्द्र सिंह ने बिना किसी औपचारिकता के युग को अपने पास बुलाया, उसकी स्थिति को समझा, और तत्क्षण स्कूल जाकर प्रवेश शुल्क और अप्रैल से जुलाई तक की ट्यूशन फीस स्वयं जमा कर दी। इस प्रकार युग वर्मा को कक्षा 9वीं में प्रवेश दिलाया गया और उसका शैक्षणिक भविष्य सुरक्षित किया गया।
इस मानवीय कार्य की चचाई ही नहीं, पूरे जिले में भूरि-भूरि प्रशंसा की जा रही है। युग के माता-पिता भावुक होते हुए कहते हैं हमने कई लोगों से मदद की उम्मीद की, पर सबने मुँह मोड़ लिया। अम्बेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों ने भी कुछ नहीं किया। लेकिन जितेन्द्र सिंह ने बिना कुछ कहे हमारी तकलीफ को समझा और हमारे बेटे को शिक्षा की नई राह दी।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सच्ची समाजसेवा केवल मंचों पर भाषण देने से नहीं होती, बल्कि ज़मीन पर जरूरतमंदों तक पहुँचकर उनकी मदद करने से होती है। जितेन्द्र सिंह जैसे संवेदनशील और सक्रिय समाजसेवी हमारे समाज के लिए प्रेरणा हैं। उनके इस कार्य ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो शिक्षा जैसे अधिकार से कोई भी वंचित नहीं रह सकता।