दफ्तर के डीजल से कोई रीवा घूम रहा कोई तफरीह कर रहा

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                   डीजल के अपव्यय पर अंकुश नहीं, बकहो में नहीं रहती सीएमओ

शहडोल। प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत रही बकहो भले ही नगर परिषद बन गई हो, लेकिन इसकी बुनियाद भ्रष्टाचार
पर खड़ी है। इसलिए यहां चूंकि शासकीय अनुशासन और नियोजित कार्यशैली के तहत काम नहीं हो रहा है इसलिए
स्वेच्छाचारिता और भ्रष्ट गतिविधियों का अम्बार लगा हुआ है। अध्यक्ष, सीएमओ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह
करने की बजाय मनमानी आचरण करने को अपनी कार्यशैली बना रखा है। यहां सिर्फ घोटालों की प्रमुखता है,
अव्यवस्थाएं हावी हैं और उसके कारण जनाक्रोश भी उभरता रहता है। यहां आज भी डीजल घोटाला जमकर किया जा
रहा है। लेकिन न तो उसकी जाच होती न उस पर अंकुश लग रहा है। सीएमओ का निवास शहडोल मुख्यालय में है
उन्हे परिषद और जनता की व्यवस्थाओं से अधिक सरोकार नहीं है।
भ्रष्टाचार की नीव नहीं हिली
बकहो नगर परिषद वास्तव में भ्रष्टाचारों की नीव पर खड़ी है। कागज के कारखाने के नाम से प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे
देश में ख्याति प्राप्त ओरियंट पेपर मिल अमलाई का यह क्षेत्र जो नगर परिषद बकहो के अंतर्गत आता है। यहां का
स्थानीय निकाय प्रारंभ से ही किसी न किसी बात को लेकर विवादों में रहा है। पूर्व में बकहो का यह क्षेत्र प्रदेश की सबसे
बड़ी पंचायत के नाम पर जाना जाता था, उस समय भी बकहो कि सरपंच रही श्रीमती फूलमती भ्रष्टाचार के आरोप में
जेल तक गई थी। उसके बाद जब बकहो का नगर परिषद में उन्नयन हुआ तो एक बार फिर भर्ती घोटाले का मामला
गरमाया। नगर परिषद के कर्मचारियों की फर्जी भर्ती के मामले में सीएमओ से लेकर जेडी कार्यालय के अधिकारी और
पूर्व में पदस्थ दर्जनों जिम्मेदार जांच के घेरे में आए। निलंबन की गाज भी गिरी और फिर मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते
में चला गया।
नगरपरिषद का डीजल कहां खप रहा

नगर परिषद बकहो में पांच कचरा वाहनों सहित पुराने एक ट्रैक्टर और नए दो ट्रैक्टरों के लिए ईंधन के रूप में डीजल
के नाम पर जमकर घोटाला किया जा रहा है। आरोप है कि इस पूरे मामले में मुख्य नगरपालिका अधिकारी श्रीमती
नीलम तिवारी, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ मिलकर खुद भी डीजल के नाम पर जमकर मनमानी कर रही हैंं।
नियमों से परे हटकर फर्जी फाइल व लॉक बुक भरकर डीजल के नाम पर आहरण हो रहा है। इस पूरे मामले में मुख्य
नगरपालिका अधिकारी के साथ ही स्वच्छता निरीक्षक अरविंद सिंह पर भी आरोप है कि वह कचरा वाहनों तथा ट्रैक्टर
आदि के नाम पर अपने दो पहिया वाहन में डीजल की जगह पेट्रोल डलवाते हैं और उसी पेट्रोल से महीने में चार से पांच
बार ग्रह ग्राम रीवा का सफर तय करते हैं। बचा कुचा डीजल अरविंद द्वारा रुपयों में बदलवा लिया जाता है। कुल
मिलाकर देखा जाए तो अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर डीजल के नाम पर रुपयों का खेला कर रहे हैं और आम
आदमी शासकीय योजना का लाभ तक लेने के लिए तरस रहा है।
मुफ्त के डीजल पर घूम रहे
नगर परिषद बकहो में समग्र स्वच्छता अभियान के तहत कचरा संग्रहण करने के लिए पांच वाहन क्रय किए गए थे।
वर्तमान में एक वाहन बीते तीन से चार महीनों से खराब पड़ा है। जिसकी मरम्मत नहीं कराई जा रही है, शेष चार
वाहन परिषद के 15 वार्डों में कचरा संग्रहण करने के लिए दौड़ते हैं। इसके साथ ही नई परिषद ने दो ट्रैक्टर क्रय किये हैं
तथा पूर्व की पंचायत से एक ट्रैक्टर नई परिषद को मिला था। तीन ट्रैक्टर तथा चार कचरा वाहन में डीजल के नाम पर
फर्जीवाड़ा की शिकायत सामने आई है। यही नहीं उपाध्यक्ष विक्रम वैभव सिंह के वाहन में भी डीजल पेट्रोल पंप से भरा
जा रहा है। यह किस नियम तथा किस आदेश से भरा जाता है उसका भुगतान कचरा वाहन या ट्रैक्टर वाहन में किस
तरह सम्मिलित किया जाता है, यह तो लॉक बुक की जांच से ही सामने आ पाएगा। खबर यह भी है कि नगर परिषद
की अध्यक्ष श्रीमती मौसमी केवट के वाहन के नाम पर भी डीजल व खर्चे आहरण होता है। लेकिन वह अपने वाहन का
उपयोग कितना करती हैं यह नगर परिषद की जनता अच्छी तरह से जानती है।
शहडोल को बनाया हेडक्वार्टर
नगर परिषद बनने के बाद इस नवगठित परिषद बकहो में लगातार मुख्य नगरपालिका अधिकारियों का तबादला
होता रहा, वर्तमान में जिले के जयसिंह नगर से स्थानांतरित होकर बकहो में श्रीमती नीलम तिवारी को यहां की
जिम्मेदारी सौंपी गई है। नियमानुसार शासकीय योजनाओं के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के लिए और सेवा शर्तों के
अनुसार भी सीएमओ को अपने मुख्यालय में ही रहना चाहिए। लेकिन खुले तौर पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी
बकहो तो क्या आसपास के किसी दूसरे कस्बे या गांव में रहने की जगह शहडोल संभागीय मुख्यालय में अपना निवास
बनाए हुए हैं। जिसकी दूरी बकहो से लगभग 30 से 35 किलोमीटर दूर है। मुख्यालय में ना होने के कारण उनका
कार्यालय में आने जाने में ही लगभग समय बीत जाता है। प्रतिदिन नगर परिषद कार्यालय के बाहर शिकायतों
समस्याओं व आवेदनों तथा प्रार्थना पत्रों को लेकर महिला और पुरुष आवेदकों की भीड़ लगी रहती है, जिसकी सुनवाई

नहीं हो पाती। हालात तो यह भी है कि मंगलवार को जनसुनवाई के निर्धारित दिवस पर भी मुख्य नगरपालिका
अधिकारी उपस्थित नहीं रहती और उनके बकहो अपने कार्यालय में आने का कोई समय भी नियत नही है। इनकी
स्वेच्छाचारिता इसी से उजागर होती है।
आए दिन जता रहे आक्रोश
नगर परिषद बकहो में जब से श्रीमती नीलम तिवारी की पदस्थापना हुई है, तभी से विवादों को शायद नए पंख मिल
गए हैं कांग्रेस के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के पार्षद और आमजन अब खुलकर विरोध करने पर उतर आए हैं,
लाडली बहना योजना से लेकर पट्टा वितरण और इससे पहले की अन्य योजनाओं का जो हश्र नगर परिषद बकहो में
सीएमओ श्रीमती नीलम तिवारी के कार्यकाल के दौरान हुआ है, इतनी दुर्दशा शायद ही संभाग के किसी अन्य निकाय
में किसी शासकीय योजना की हुई हो, पेयजल व्यवस्था से लेकर हर व्यवस्था जो शिवराज सरकार ने अथक परिश्रम
और करोड़ों रुपए के बजट से स्वीकृत कर परिषदों में भेजी है वह यहां आकर औंधे मुंह गिर रही है।

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