नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में महारथ हासिल

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शहडोल। 12 अगस्त 1968 को नरसिंहपुर जिले के ग्राम गंगौली में जन्में म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल के अधीक्षक यंत्री (क्षेत्रीय अधिकारी) संजीव कुमार मेहरा को नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में महारथ हासिल है। बस्तर में खूनी नदी के नाम से चर्चित डंकनी और शंखिनी नदी में लाल पानी की समस्या थी, यह दण्डकारण्य का क्षेत्र है। लौह अयस्क की घुलाई से पानी लाल हो जाता था। नदी का लाल पानी एक बड़ी समस्या थी, श्री मेहरा ने नदी में जगह-जगह चैक डैम एवं चैक पौंड बनवाकर लौह अयस्क को पानी हटवाया तथा नदी के तलहटी में जमा लौह अयस्क के कणों को हटाया, तब जाकर लाल पानी की समस्या का समाधान हुआ। इसी प्रकार सोन नदी में ओपीएम के कारण गहरे भूरे रंग के पानी की समस्या के समाधान के लिए श्री मेहरा ने रंग हटाने का प्लाट लगवाने का निर्देश ओपीएम प्रबंधन को दिया है। शीघ्र ही सोन नदी का जल भी प्रदूषण मुक्त हो जाएगा।
चम्बल नदी को भी किया प्रदूषण मुक्त
उज्जैन जिले के नागदा में ग्रेसिम उद्योग के प्रदूषित जल चम्बल नदी में जा रहा था, जिसके कारण 14 गांव प्रभावित थे, संजीव मेहरा ने मामले को गंभीरता से लिया तथा उद्योग प्रबंधन को प्रदूषण नियंत्रण हेतु बाह्य किया कि प्रभावी रूप से उद्योग के प्रदूषित जल का उपचार करें, तब जाकर उद्योग में एचआरटी, एस. सिस्टम स्थापित किया जाकर चंबल नदी को प्रदूषण मुक्त किया गया।
अत्याधुनिक मशीन की सौगात
शहडोल संभाग की कोयला खदानों से आने-जाने वाले भारी वाहनों से फैल रहे वायु प्रदूषण को टोकने के लिए श्री मेहरा के प्रयास से अत्याधुनिक मशीन क्रय करने हेतु एसईसीएल बाह्य हो गई, जिससे हसदेव कोल परिक्षेत्र, सोहागपुर कोल परिक्षेत्र, जमुना कोतमा कोल परिक्षेत्र एवं जुहिला कोल परिक्षेत्र में अत्याधुनिक पद्धति से पिस्टाइज्ज वाटर जेट स्प्रे सिस्टम माउण्टेड ऑन मोबाइल टैंकर्स की व्यवस्था एसईसीएल द्वारा की गई, जिससे अब हवा में फैले धूल कणों को फाग से खींचकर प्रदूषण हटाया जाता है। इससे पहले पानी के टैंकर से सड़क में पानी डाला जाता था, जिसके कारण सड़क पर कीचड़ होता था तथा हवा में फैला धूलकण उड़ते रहते थे।
समाज सेवा एवं जन कल्याण
बीई सिविल भोपाल के एम.ए.सी.टी. कालेज से एवं इन्दौर के एसजीएसआईटीएस से एमई तथा भोपाल से पीजीडीईएम तक की शिक्षा प्राप्त करने वाले संजीव कुमार मेहरा ने भोपाल, रायपुर, जबलपुर, सागर, धार, उज्जैन, रीवा, इन्दौर एवं शहडोल में विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से समाज सेवा एवं जन कल्याण के अनेक कार्य भी किए हैं। पर्यावरण जन-जागरूकता युवा शक्तियों में सामाजिक भावना जगाना एवं जरूरत मंदो को भोजन एवं वस्त्र उपलब्ध कराने का पुण्य कार्य भी श्री मेहरा करते रहे हैं। सहज, सरल स्वभाव के धनी, मृदुभाषी श्री मेहरा नीलम वेलफेयर सोसायटी, सादस संस्था, ज्वाला गु्रप, सूर्या ग्रुप, कल्पना चावला वेलफेयर सोसायटी आदि सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। पूरे संभाग में जन जागरूकता के बोर्ड लगवाने का श्रेय भी श्री मेहरा को जाता है। पॉलीथीन का प्रयोग रोकने हेतु आपने डेढ़ सौ गांव में हजारों की संख्या में कपड़े के थैलों का वितरण भी किया है, साथ ही खराब टायरों से गमलों का निर्माण कराकर वायु प्रदूषण रोकने में श्री मेहरा का विशेष योगदान है।

 

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