सीनियर हॉस्टल में नहीं चलता अधीक्षक का अनुशासन

0

रात को हॉस्टल से निकलते हैं बच्चे, हो सकती है अप्रिय घटना

शहडोल। ट्रायबल विभाग अंतर्गत संचालित छात्रावासों का अनुशासन जहां छिन्न भिन्न हो चुका है वहीं भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर पहुंच रहा है। अधीक्षक व अधीक्षिकाएं 10-10 वर्षों से एक ही छात्रावास में जमे हुए हैं और शासकीय बजट का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। वे विभाग के अधिकारियों से अपने समीकरण बैठाकर अपनी गर्दन मोटी कर रहे हैं। बच्चों की खातिर शासन द्वारा भारी बजट आवंटित किए जाने के बावजूद उन्हे पर्याप्त सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पा रहीं हैं। मीनू के अनुसार न तो भोजन मिलता है और न बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। ट्रायबल द्वारा जिले में लगभग 100 की संख्या में आश्रम व छात्रावास संचालित हैं और अधिकांश की यही दुर्दशा है। सीनियर अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बालक छात्रावास शहडोल के बच्चे अधीक्षक के कड़े अनुशासन के अभाव में नियंत्रण के बाहर होते जा रहे हैं।

सड़क पर धूम्रपान करते हैं बच्चे

बताते हैं कि स्टेडियम के समीप स्थित इस हॉस्टल के बच्चे रात को अपने कमरे ेसे बाहर निकल कर सड़क पर घूमते हैं और बीड़ी सिगरेट पीते हैं। जबकि रात को 9 बजे हॉस्टल का गेट बंद हो जाने के बाद बच्चों का निकलना प्रतिबंधित हो जाता है। सड़क पर आवारा घूमना और धूम्रपान करना हॉस्टल के अनुशासन के विरुद्ध है। इसके अलावा बच्चों के साथ रात को कोई भी घटना हो सकती है। यह बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा करता है। ज्ञातव्य है कि अधीक्षक रात के समय हॉस्टल का औचक निरीक्षण नहीं करते हैं। जबकि वे हॉस्टल परिसर में ही निवास करते हैं।

मीनू का नहीं होता पालन

हॉस्टल की रसोई में मीनू का पालन नहीं होता है, अधीक्षक अपने मनमुताबिक रसोई का संचालन करा रहे हैं। बच्चों को ताजी हरी सब्जी कभी नहीं दी जाती है। अधिकांशत: हॉस्टल में चावल, दाल और रोटी सब्जी दी जाती है। जबकि सप्ताह के अलग अलग दिनों मेंं अलग अलग स्वाद के स्वास्थ्यवर्धक भोजन बनाकर परोसा जाना चाहिए। बच्चों को कोटे का घटिया चावल लाकर खिलाया जाता है। शासन ने बच्चों के लिए दूध और फल प्रदान करने का भी प्रावधान किया है। जो कि कभी नहंी दिया जाता है। रसोई के आसपास गंदगी की भरमार रहती है।

स्वास्थ्य परीक्षण नहंी होता

बच्चों का नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाना चाहिए। ताकि बच्चों की बीमारी का समय रहते पता चल सके और समय से उनका इलाज हो सके। लेेकिन इस हॉस्टल में वर्षेां से बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कराया जा रहा है। बताया जाता है कि जब कोई बच्चा बीमार होता है और उसकी बीमारी का पता अधीक्षक को चलता है तो उस बच्चे को अस्पताल ले जाया जाता है, कई बार ऐसा भी होता है जब बच्चे बीमार होकर अपने बिस्तर पर पड़े रहते हैं लेकिन अधीक्षक को जानकारी नहीं रहती है। कुछ बच्चों ने बताया कि अधीक्षक कहते हैं कि बच्चे बड़े बड़े हैं वे अपनी देखभाल खुद कर सकते हैं।

अधीक्षकों का बिचौलिया बना अंसारी

ट्रायबल आफिस में अंसारी नामक एक ब्लाक समन्वयक को जिला समन्वयक बनाकर बैठा रखा गया है। इसकी ड्यूटी यह है कि सभी हॉस्टलों की नियमित जांच कर एसी ट्रायबल को रिपोर्ट दे। लेकिन इस कर्मचारी की अपनी एक स्टाइल है। यह वास्तव में अधीक्षकों और एसी के बीच में बिचौलिए का काम करता है। यह हॉस्टलों में यदा कदा जांच के नाम पर आता है और अधीक्षकों से निर्धारित रकम वसूल कर ले जाता है और एसी के साथ रकम की बंदरबांट कर लेता है। अंसारी के इशारे पर एसी नाचते रहते हैं। अधीक्षक मानते हैं कि अंसारी खुश तो अफसर खुश हैं। अंसारी की ही मेहरबानी से अधीक्षक 10-10 सालों से एक ही हॉस्टल में बने हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed