रामायण चुनौतियों से बचना नहीं बल्कि आंख मिलाना सिखाती है : कुमार विश्वास

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(शुभम तिवारी)

बुढार। नगर के नेहरू डिग्री कॉलेज के खेल मैदान में आयोजित साहित्य एवं खेल कला अकादमी बुढार के द्वारा मंगलवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें जाने माने कवि कुमार विश्वास पहुंचे। उन्होंने अपने चिर परचित अंदाज में गीत और गजल प्रस्तुत कर लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया, साहित्य एवम खेल अकादमी नमक संस्था के बैनर तले आयोजित होने वाले कार्यक्रम में डॉ. कुमार विश्वास के संग कुशल कुशलेंद्र, दिनेश वाबरा , सुदीप भोलाजी,कुशल कुशलेंद्र, डा.भुवन मोहनी ने अपनी कला और काव्य पाठों के जरिये लोगों का मन मोह लिया। अपने खास अंदाज से लोगों का दिल जीतने वाले डॉ. कुमार विश्वास के साथ काव्य के रंग की यह शाम खासी दिलचस्प और ऐतिहासिक रही।

 

बुढार स्थित कॉलेज ग्राउंड पर आयोजित अपने-अपने राम सत्र के दौरान डाॅ. विश्वास ने कहा कि जीवन चुनौती मुक्त बन जाएगा तो जीवन नहीं रहेगा।  कॉलेज ग्राउंड के मंच से डाॅ. कुमार विश्वास ने जीवन में चुनौती के महत्व को समझाया। डाॅ. विश्वास ने कहा कि रामायण चुनौतियों से बचना नहीं बल्कि चुनौतियों से आंख मिलाना सिखाती है। मंगलवार को कॉलेज ग्राउंड पर आयोजित अपने-अपने राम सत्र के दौरान डाॅ. विश्वास ने कहा कि जीवन चुनौती मुक्त बन जाएगा तो जीवन नहीं रहेगा। यदि जीवन में चुनौती नहीं है तो जीवन व्यर्थ है। कहा, चुनौती ईश्वर की वह सबसे सुंदर पुत्री है जिसका हाथ ईश्वर सबसे सुयोग्य वर के हाथ में देता है।
लोभ दुनिया का खतरनाक दलदल
विश्वास ने कहा कि यदि भगवान राम ने वनवास की चुनौती स्वीकार नहीं की होती तो अयोध्या को राजा तो मिल जाता लेकिन विश्व को पुरुषोत्तम राम नहीं मिलता। अयोध्यापति से जगतपति की यात्रा चुनौती स्वीकार करने से पूर्ण हुई। डॉ. विश्वास ने लोभ और महत्वाकांक्षा के बीच का अंतर समझाते हुए लोभ को दुनिया का सबसे खतरनाक दलदल बताया। आज के युवाओं में बढ़ती अधीरता को आधुनिक युग की एक बड़ी समस्या बताते हुए युवाओं को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह भी दी। रामकथा के कई प्रसंगों का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी रामकथा प्रतीकों पर केंद्रित है।
रामकथा के प्रतीकों को समझना बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) माया है और इसका अस्तित्व हमारी संस्कृति में बहुत पहले से है। यदि युवाओं को मायावी और मायापति के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से पता होगा तभी वे एआई का सकारात्मक उपयोग कर पाएंगे। डॉ. कुमार विश्वास की रामकथा को सुनने के लिए शहडोल व उमरिया जैसे आसपास के स्थानों से लेकर कोतमा, मनेंद्रगढ़, बिलासपुर और अनूपपुर जैसे दूरस्थ स्थानों के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे।
कवि सम्मेलन के दौरान मंगलवार को आयोजित कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास ने जैसे ही ये पंक्तियां एक के बाद एक पढ़ीं, परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कुमार विश्वास अपने चिर परिचित अंदाज में श्रोताओं को गुदगुदाते रहे और बीच-बीच में उन्होंने खिलखिलाकर हंसने को मजबूर भी किया। उन्होंने ‘तुमको सूचित हो’ शीर्षक से कविता पढ़ी, जिसे खूब वाहवाही मिली। बुढार कॉलेज ग्राउंड पर श्रोताओं की तालियों का शोर थमने का नाम नहीं ले रहा था। उन्होंने सुनाया, यशस्वी सूर्य अंबर चढ़ रहा है तुम को सूचित हो, विजय का रथ सुपथ पर बढ़ रहा है तुमको सूचित हो, अवाचित पत्र मेरे जो तुमने कभी खोले नहीं तुमने, समूचा विश्व उनको पढ़ रहा है तुमको सूचित हो,इसके साथ ही उन्होंने अपनी कई मशहूर कविताएं सुनाईं। कुमार विश्वास के अलावा कई अन्य कवियों ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं।

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