उप संचालक पशुचिकित्सा सेवायें के लोक सूचना अधिकारी का अद्भुत कारनामा

0
आरटीआई से मांगी जानकारी तो बना दिया 28 हजार पेजों का पुलिंदा
2 रूपए प्रति पृष्ठ के हिसाब से 57 हजार का चालान से राशि जमा करने भेजा पत्र
अब तक आपने सुना होगा कि सरकारी कार्यालय में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी जाने वाली जानकारी देने में टालमटोली करते हैं या फिर मांगे गए जवाब को दो से तीन लाइन लिखकर आवेदक को थमा देते हैं, लेकिन पशु विभाग ने जिले का अब तक का सबसे ज्यादा भारी भरकम जवाब एक आवेदक को दिया है, यह जवाब 28 हजार 697 पेजों में है, जिसकी कुल राशि 57 हजार 394 है, 3 बिन्दुओं की जानकारी 50 कागज में आ सकते थे, लेकिन लोक सूचना अधिकारी ने जवाब में कागजों का पुलिंदा तैयार कर दिया।
अनूपपुर। पशु विभाग में वर्षो से पदस्थ उप संचालक की कारगुजारियों एवं संचालित योजनाओं के तहत किन किसानों को लाभन्वित किया जा रहा है, यह बात शायद किसान भी नहीं जानते होगें, अनेक किसान ऐसे हैं, जिन्हें न तो यहां की योजनाएं पता है और न ही उप संचालक का नाम, जिसकी जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई थी, तो उन्होंने 57 हजार 394 रूपये का चालान जमा करने का पत्र भेज दिया।  उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवायें में पदस्थ उप संचालक डॉ. विश्वंभर प्रताप सिंह चौहान कई वर्षो से पदस्थ हैं, इनके विभाग से कई योजनाएं भी संचालित हो रही है, जिनका लाभ किसानों तक पहुंच पाना मुश्किल तो है ही और इसे पहुंचाने में भी इनके नुमाइंदे कारगार साबित नहीं हुये, लेकिन दस्तावेजो का जवाब किस तरह देना है, यह जरूर सीख लिया है।
3 बिन्दुओं की जानकारी हजारो में
विभागीय योजनाओं एवं उपसंचालक की पदस्थापना के साथ लाभन्वित किसानों की सूची आरटीआई के तहत मांगी गई थी, लोक सूचना अधिकारी के द्वारा कम पन्नों में जानकारी देने के बजाय 28 हजार 657 प्रति की जानकारी बना दी। ताकि आरटीआई के तहत जानकारी मांगने वाला यहां से एक भी पन्ना न ले सके। गौरतलब है कि अधिकतम 50 पन्नो में मांगी गई तीन बिन्दुओंं की जानकारी समाहित हो सकती थी, लेकिन 28 हजार 657 प्रति का दो रूपये के हिसाब से 57 हजार 394 रूपये का चालान के माध्यम से राशि जमा करने की नोटिस जारी कर दी गई।
मांगी थी वर्षवार जानकारी 
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी में उप संचालक के पदस्थापना से लेकर अब तक संचालित योजनाओं की वर्षवार खर्च की गई राशि की प्रमाणित प्रति 646 पन्नो में दी जा रही है। जबकि लगभग 7 वर्षो के दौरान 70 पृष्ठों में वर्षवार की जानकारी दी जा सकती थी, लेकिन अनावश्यक पृष्ठ बढाकर जानकारी दी जा रही है, ताकि लेने वाला पृष्ठों की संख्या व इनके दाम सुनकर जानकारी ही न ले सके।
28 हजार पन्नों में लाभन्वितों की सूची  
उपसंचालक के पदस्थापना के बाद पशु चिकित्सा सेवायें विभाग से लाभन्वित किसानों की सूची एवं जिन योजनाओं के तहत उन्हें लाभन्वित किया गया है उनकी प्रमाणित प्रति सूचना के अधिकार के तहत चाही गई थी, लोक सूचना अधिकारी के द्वारा लाभन्वितों की सूची देने के लिये 28050 पन्नों में इसकी जानकारी दी जा रही है, जबकि शायद ही इतने किसान लाभन्वित हुये हों। इनकी जानकारी अधिकतम 50 पन्नो में दी जा सकती थी। लेकिन अधिकारी के द्वारा जानकारी न देने और आरटीआई कार्यकर्ता को परेशान करने के लिये 57 हजार 394 रूपये की प्रमाणित प्रति देने हेतु चालान के माध्यम से राशि जमा करने का पत्र डाक के माध्यम से प्रेषित कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed