दलाल और सूदखोर ने मिलकर किसान के साथ किया छलावा

पूंजीपति ने गहन के नाम पर किसान को धोखे में रख कराई रजिस्ट्री, कब्जा करने के फेर में बना रहा दबाव
(कमलेश यादव)
उमरिया। प्रदेश सरकार भले ही सूदखोरों के लिए सशक्त कानून बना दें लेकिन जिले में पूंजीपति सूदखोरों के द्वारा आज भी गरीब और अनपढ़ किसानों को अंधेरे में रख उनकी करोड़ों की बेशक़ीमती जमीन को गहन के नाम पर रजिस्ट्री करा ली जाती है बाद में वही किसान दम तोड़ देता है।प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सूदखोरों के चंगुल से प्रदेश के अन्नदाताओं को मुक्त कराने के लिए भले ही कई दावे किए हों लेकिन उनके यह दावे उमरिया जिले में खोखले साबित हो रहे हैं और किसान सूदखोरों के मकड़जाल में फंसकर अपने जान तक गंवा देने आमदा हैं। दरअसल जमीन गहन के नाम पर जिला मुख्यालय के मानपुर तहसील स्थित जमुनारा गांव निवासी किसान सुशील सेन के साथ हुए छलावे को वे बर्दास्त नहीं कर सके और सदमे के कारण दम तोड़ दिया, लेकिन प्रशासनिक शिकायतों के बाद भी उन्हें य उनके परिजनों को न्याय नहीं मिला, लेकिन न्याय की आस लिए मृतक किसान का पीड़ित परिवार दर दर भटक रहा है कि उसे देर सबेर न्याय अवश्य मिलेगा।
यह है मामला :
जिले के मानपुर तहसील अंतर्गत आने वाले जमुनारा गांव निवासी सुशील सेन ने वर्ष 2017 में अपने बच्चे-बच्चियों की शादी के लिए पैसा इकट्ठा कर रहा था लेकिन उसके मदद के नाम पर क्षेत्र में सक्रिय जमीन के दलालों ने कृषक सुशील को उमरिया ले गए और अजंता ट्रेडर्स के मालिक जितेश हेमनानी से मिलवाते हुए उससे जमीन गहन रख सूद में पैसे देने की बात कही तो जितेश हेमनानी द्वारा जमीन रजिस्टर्ड गहननामा के तौर पर रखने के लिए 9 मई 2017 को पंजीयन कार्यालय उमरिया ले जाकर किसान सुशील को अंधेरे में रख रजिस्टर्ड गहन नामा बताकर किसान की निजी आराजी की भूमि खसरा नम्बर 58/1 व 59/1 दोनों रकवा मिलाकर लगभग 5 एकड़ भूमि की रजिस्ट्री करा ली गई लेकिन किसान को शंका न हो इसलिए रजिस्ट्री कराते समय रकम 2 लाख 45 हजार लिखाते हुए किसान के ज्यादा पढ़े लिखे न होने का फायदा व्यवसायी और दलालों ने मिलकर बखूबी उठा लिया और जमीन की रजिस्ट्री करा ली।
नामांतरण से लगी किसान को भनक :
रजिस्ट्री के कुछ दिन बीत जाने के बाद नामांतरण प्रक्रिया की सूचना लेकर जब राजस्व कर्मचारी पटवारी के द्वारा किसान सुशील सेन के घर में संपर्क किया गया तो किसान के द्वारा बताया गया कि उसने जमीन की बिक्री नहीं की बल्कि रजिस्टर्ड गहननामा रखा है, लेकिन भोले भाले कम पढ़े किसान सुशील को पटवारी ने जानकारी दी कि आपके द्वारा जमीन विक्रय कर दिया गया है जिस पर सुशील सेन सहित उनका पूरा परिवार सदमे में आ गया और तत्काल एसडीएम कार्यालय में नामांतरण रोकने हेतु आवेदन किया जिसे तत्कालीन एसडीएम द्वारा संज्ञान में लेते हुए नामांतरण के लिए उक्त आराजी के संबंध में तहसीलदार द्वारा दिए गए आदेश पर रोक लगा दिया गया।
कलेक्टर-एसपी से शिकायत के बाद नहीं कोई कार्रवाई
जमुनारा निवासी सुशील ने धोखाधड़ी से कराई गई रजिस्ट्री के संबंध में थाना से लेकर तहसील और जिला स्तर के सभी अधिकारीयों कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के यहां अपने ऊपर बीती घटना के संबंध में लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराई लेकिन रसूखदार के आगे बेबस किसान की कोई सुनवाई नहीं हो सकी और शिकायतें रद्दी की टोकरी में फेंक दी गई।
सदमे में गई किसान की जान
सुशील के साथ हुई धोखाधड़ी के संबंध में यदि समय रहते प्रशासन के द्वारा ठोस कदम उठाया जाता तो शायद सुशील सेन को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती। परिजनों का आरोप है कि धोखाधड़ी से कराई गई रजिस्ट्री के कारण सही समय रहते न्याय न मिल पाने के कारण सदमें में सुशील की जान गई है, यदि निष्पक्षता से जांच की जाएगी तो अंधेरे में रख कराए गए रजिस्ट्री की असलियत सामने आ जायेगी।
काबिज होने की मंशा बना रहा रसूखदार :
इस संबंध में मामला विचाराधीन है जिसकी जानकारी राजस्व कर्मियों को है लेकिन रसूखदार के दबाव में राजस्व अधिकारी पीड़ित परिवार के ऊपर जमीन खाली करने दबाव बना रहे हैं और तो और मामला संभागायुक्त न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद राजस्व कर्मियों द्वारा रसूखदार के दबाव में जमीन का सीमांकन किया जाने लगा जबकि मृतक किसान सुशील की पत्नी ने आपत्ति दर्ज कराई की उनका मामला अभी कमिश्नर कार्यालय शहडोल में चल रहा है लेकिन राजस्वकर्मी सुनवाई के बजाय बेवा महिला के ख़िलाफ़त कर रसूखदार का पक्ष लेने लगे जहां सूत्रों से जानकारी मिली है कि रसूखदार पीड़ित पक्ष के खिलाफ गाली गलौच के नाम पर तहसीलदार के यहां झूठी शिकायत कर तहसीलदार के ऊपर दबाव बना रहा है कि कृषि कार्य न करने के लिए स्थगन आदेश जारी किया जाए। बहरहाल सूदख़ोर के जाल में फंसे किसान सुशील सेन ने तो न्याय की आस में अपनी जान गंवा दी लेकिन अब पीड़ित परिजनों को अभी भी न्याय की किरण दिखाई दे रही है।