महिला की आक्रोश भरी धमकी से सिहर उठा शिकायतकर्ता

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महिला के फर्जीवाड़ा की सीएम हेल्प लाइन में हुई शिकायत

शहडोल। एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी की कहावत उस समय चरितार्थ होती नजर आई जब फर्जीवाड़ा कर सरकारी नौकरी हासिल करने वाली महिला ने शिकायतकर्ता को फोन पर जमकर गालियां दीं और उसे तरह-तरह से धमकाया भी। उसकी तैश भरी धमकी सुनकर शिकायतकर्ता पसीने-पसीने हो गया और उसका बीपी बढ़ गया। वह परिचितों की मदद से थाने भी गया और वहां उसने फोन की जानकारी देकर रिपोर्ट दर्ज कराई है। ज्ञातव्य है कि पीड़ित ने महिला के फर्जीवाड़ा की सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी। ज्ञातव्य है कि धमकी देने वाली महिला वर्तमान में उमरिया सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स के पद पर पदस्थ है। उसके शहडोल निवासी कई रिश्तेदारों ने कूटरचित फर्जी जाति-प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल की है।

यहां से हुई थी शुरूआत

मामला शहडोल के पुरानी बस्ती का है। जहां विश्वकर्मा परिवार के द्वारा कुछ वर्षों पूर्व नगर पालिका व राजस्व सहित अन्य कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को संतुष्ट करके विश्वकर्मा से बदलकर अपनी जाति अगरिया करवा ली गई थी। इन फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों के आधार पर लाभ भी लिया जाने लगा था। बाद मेंं उसकी शिकायत हुई और कलेक्टर की जांच के बाद इसमें आरोपो की पुष्टि होने पर कोतवाली में संबंधित लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए थे। इस परिवार के गोमती विश्वकर्मा, अभिषेक कुमार विश्वकर्मा, विवेक कुमार विश्वकर्मा, भारती विश्वकर्मा, अनीता विश्वकर्मा एवं राखी विश्वकर्मा जहां इस मामले में शिकायत और जांच के बाद फरार हो गए थे। वहीं इसी परिवार के कुछ लोग अभी भी सरकारी सेवा में हैं और शासन से धोखाधड़ी कर नाजायज लाभ उठा रहे हैं।

बहन के प्रमाण-पत्र ने खोली पोल

स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत उमरिया जिला चिकित्सालय में स्टॉफ नर्स के पद पर कार्यरत वैशाली अगरिया पिता मनोज अगरिया पर आरोप हैं कि उसने परिवार के अन्यजनों की तरह फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनवाया है। इस संदर्भ में जो तथ्य सामने आये हैं, उसमें पटवारी हलका क्रमांक 78 के वार्ड नंबर 28 तत्कालीन पटवारी पी.के.मिश्रा ने मनोज विश्वकर्मा की बेटी निहारिका के जाति प्रमाण-पत्र के आवेदन में जांच रिपोर्ट दिया था। उसमें टीप में स्पष्ट लेख किया था कि आवेदिका की जाति लोहार है, जो पिछड़े वर्ग में आती है। इसके साथ ही जांच प्रतिवेदन में टीप लिखा था कि आवेदिका के पिता मनोज का जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जनजाति का बना है, जो संदेहास्पद है, जांच का बिन्दु है। इसके अलावा प्रतिवेदन में पार्षद प्रमाण पत्र की छायाप्रति मनोज कुमार अगरिया की जाति प्रमाण पत्र की छाया प्रति संलग्न है। इसके अलावा तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ने 20 मई 2016 को फार्म अ में लेख किया कि तहसीलदार एवं हलका पटवारी के प्रतिवेदन में आवेदक लोहार जाति ओबीसी में आता है, इसलिए निहारिका अगरिया पिता मनोज अगरिया का जाति प्रमाण पत्र खारिज कर दिया गया। इस फार्म के टीप में उल्लेख किया गया कि आवेदिका के पिता मनोज का जाति प्रमाण-पत्र अनुसूचित जाति का बना है, जो संदेहास्पद है, जांच का बिन्दु हैं। मनोज विश्वकर्मा के पिता खसरा पंचशाला वर्ष 1974-75 से 1978-79 तक में छोटेलाल विश्वकर्मा दर्ज है। मनोज की दो पुत्री है, जिसमें वैशाली और दूसरी का नाम निहारिका है, लेकिन वैशाली वर्तमान में उमरिया जिला चिकित्सालय में वैशाली अगरिया के नाम पर नौकरी कर रही है।

जांच के बाद दो हुए गिरफ्तार

चूंकि इस मामले में पुलिस में प्रकरण दर्ज हो चुका था और कोतवाली पुलिस लगातार आरोपियों की तलाश कर रहीं थी। एक लम्बे समय तक सभी आरोपी फरार रहे लेकिन पुलिस उनमें से दो लोगों को पकड़ने में कामयाब रही। लेकिन उधर उमरिया स्टाफ नर्स वैशाली जांच के दायरे से बाहर रही। उसके खिलाफ चूंकि उसकी कोई ठोस शिकायत नहीं होने पर पुलिस कार्रवाई नहीं हो सकी। उसके बाद शहडोल निवासी एक व्यक्ति ने सीएम हेल्प लाइन में वैशाली की शिकायत कर जांच और कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर वह आग बबूला होकर शिकायतकर्ता को फोन पर अपमानित करते हुए उसे धमकियां दे बैठी।

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