सुरक्षा नियमों की ठेकेदार ने चढ़ा दी बलि @ पत्थर निकाल बना दी खाई, जिम्मेदार मौन

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प्रशासन का संरक्षण: मौत को आमंत्रण दे रही पत्थर खदान

आशीष कचेर उमरिया। जिले बिरसिंहपुर पाली की ग्राम पंचायत ओदरी के पास सडक़ किनारे खनिज विभाग द्वारा सडक़ निर्माण
में गिट्टी के उपयोग के लिए श्रीजी कंस्ट्रक्शन को पत्थर खदान आवंटित की गई थी, खदान के संचालन में शासन
और प्रशासन के निर्धारित मापदंडों का लगातार उल्लंघन किया गया है, अधिकारियों ने केवल जांच की औपचारिकता
मात्र की पूर्ति कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया, पत्थर खदानों और क्रेशर प्लांट की मनमानी का आलम यह है
कि पत्थर खदान को खाई में तब्दील कर जहां नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं, वहीं दूसरी ओर खदान का खुला छोड़
दिया गया है, जिससे आये दिन हादसे का अंदेशा बना रहता है।
राजस्व का हो सकता है फायदा
निर्माण एजेंसी एमपीआरडीसी के द्वारा सडक़ निर्माण का ठेका श्रीजी कंस्ट्रक्शन को दिया गया था, लेकिन श्रीजी
कंस्ट्रक्शन ने निर्माण का जिम्मा कोरबा की किसी जेपी डब्ल्यू नामक कंपनी को दे दिया, जिसके बाद खदान संचालन
के नाम पर मनमानी करते हुए शासन को तो चूना लगाया ही गया, पत्थर खदान की चौड़ाई व गहराई का मापन अगर
जिम्मेदार करें तो, प्रशासन को राजस्व का फायदा हो सकता है, साथ ही खुली खदान को भरवाने का भी दबाव कंपनी
पर बनाया जा सकता है।
किसानों की अपनी समस्या

ओदरी ग्राम पंचायत के पास आवंटित पत्थर खदान से सबसे ज्यादा परेशनी किसानों को हैं, चर्चा है कि पत्थर खदान
की गहराई अधिक होने की वजह से खेतों का पूरा पानी सूख जाता है, जिसके चलते किसान हर परेशनी झेल रहे हैं,
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी खनिज विभाग के जिम्मेदारों को नहीं हैं, लेकिन वह यह कहकर पल्लाझाड़ लेते हैं
कि संजय गांधी ताप विद्युत गृह के जिम्मेदारों ने विभाग से पत्थर खदानों को पाटने की जिम्मेदारी ली थी।
खनिज विभाग को है अधिकार
लीज और खदान का पट्टा मिलने के साथ ही सुरक्षा से जुड़े नियम लागू हो जाते हैं, इनकी व्यवस्था ठेकेदार की
जिम्मेदारी होती है, खनिज विभाग को खदान और अवैध उत्खनन के मामलों में कार्यवाही के अधिकार हैं, लेकिन
जहां श्रीजी कंपनी ने पत्थर खदान में सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर पत्थर का उत्खनन तो किया ही, लेकिन अब
संभवत: सडक़ निर्माण का काम खत्म होने के बाद उत्खनन बंद नहीं हुआ है, यहां न तो फैसिंग कर कोई सुरक्षा
व्यवस्था की गई है और न ही शासन की उनसे रायल्टी मिल रही है, पत्थर उत्खनन के बाद हुए गड्ढे में पानी भर जाने
के बाद गहराई का अंदाजा भी नहीं लग पा रहा है, जिससे घटना का अंदेशा बना हुआ है।
पर्यावरण शर्तों का उल्लंघन
राजस्व एवं खनिज विभाग का संयुक्त दल को उक्त स्थल की जांच करनी चाहिए, जानकारों की माने तो उक्त खदान
में अनियमितता की गई है, पत्थर खदान में पर्यावरणीय शर्तों का उल्लंघन के साथ ही खनन योजना को भी ताक पर
रखकर पत्थर उत्खनन का कार्य किया गया है, इसके अलावा मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों एवं शर्तों का
भी उल्लंघन किया गया है, लेकिन अभी तक संभवत: किसी विभाग ने इस ओर संज्ञान नहीं लिया है।

जिम्मेदारों को घटना इंतजार

निगहरी गांव स्थित निजाम क्रेशर के बगल में मौजूद पत्थर उत्खनन के दौरान हुए गड्ढ़े में नहाने गए दो मासूमों की
डूबने से मौत हो गई थी। इसके पूर्व चंदिया थाना क्षेत्र के बांका गांव में भी सिंघानिया क्रेशर के बगल से निर्मित हुए
गहरे तालाब में कई जानें जा चुकी हैं, प्रशासन के कई जिम्मेदार ऐसी खदानों के पास जाकर देख चुके हैं कि उक्त
खदाने खाई में तब्दील हैं, लेकिन जिम्मेदार पीडि़त परिवार को लिए आर्थिक मदद, सांत्वना के साथ ही शोक प्रकट
करते हैं, लोगों का कहना है कि ओदरी के पास बंद हो चुकी खदान में संभवत: निगहरी सहित चंदिया में हुए हादसे
जैसी घटना का इंतजार है। जिम्मेदारों ने शायद मौत के बाद भी सबक नहीं लिया, जागरूक लोगों ने कलेक्टर संजीव
श्रीवास्तव से मांग की है कि ओदरी सहित आस-पास संचालित खदानों का निरीक्षण कर उन्हें जल्द से जल्द भरवाया
जाये, जिससे होने वाली घटनाओं से बचा जा सके।

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