क्रेशर संचालक ने ताक पर रखे नियम कायदे

ब्लास्टिंग के साथ पत्थर खदान को बना दी खाई
शहडोल। जिले के जयसिंहनगर क्षेत्र में संचालित स्टोन क्रेशर में तय सीमा से अधिक गहराई तक पत्थर निकालने के
लिए खुदाई की जा रही है। पत्थर खदानों से किए गए खनन के बाद कई जगह पर मौत की खाई तैयार हो गई है।
नियमों को ताक में रखकर पत्थर खदानों में खनन का सिलसिला बीते कई सालों से हो रहा है। खनिज विभाग के
अधिकारी इस मामले में संबंधित क्रेशर संचालकों को नोटिस या अन्य कार्यवाही की जगह उनके हिमायती बने बैठे हैं,
पत्थर खदानों में गहरे होल कर ब्लास्टिंग की जा रही है। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि क्षेत्र में पहले से अधिक क्रेशर
संचालित हैं। क्षेत्र में संचालित पत्थर खदानों में पिछले कुछ सालों में हुई हैवी ब्लास्टिंग से कई जगह पर गहरी खाई
बन गई हैं। पत्थर उत्खनन से तैयार खाई में हमेशा हादसों की आशंका बनी रहती है।
यह है मामला
जयसिंहनगर क्षेत्र अंतर्गत दरौड़ी में गुप्ता में गुप्ता स्टोन एवं आर्य कंस्ट्रक्शन के नाम पर संचालित स्टोन क्रेशर के
खदान में बोर्ड रजनी तिवारी के नाम से लगा हुआ है, क्रेशर संचालक दिन-रात हो रहे अवैध खनन से एक ओर जहां
सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है तो वहीं पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। रात के समय इन खदानों में
क्रेशर संचालक ब्लास्टिंग करते हैं, वहीं दिन भर ट्रैक्टरों से मजदूर पत्थरों की ढुलाई करने में लगे रहते हैं। इन सबके
बावजूद खनिज विभाग कार्यवाही करने की जहमत तक नहीं उठाता है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो, आने वाले दिनों
में कोई हादसा हो सकता है, जिसकी जिम्मेदारी संभवत: खनिज विभाग स्वयं ले लेगा।
पर्यावरण को लेकर सजग नहीं संचालक
जमीन से 6 मीटर नीचे खुदाई करने से पहले पर्यावरण विभाग की मंजूरी लेना पड़ती है, जो क्रेशर संचालक के पास
नहीं है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि जिले का प्रशासन-शासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन कराने में अब
तक असमर्थ दिखाई दिया है। लिहाजा पर्यावरण प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है, शासन और प्रशासन खनिज
नियमों के साथ पर्यावरण सुरक्षा के लिए बनाए अधिनियमों का सही तरीके से पालन कराता तो शायद यह स्थिति
दरौड़ी में न होती। पत्थर खदानों की घेराबंदी या उसे सीढ़ीनुमा बनाने की तरफ खदान के मालिक ने कभी ध्यान नहीं
दिया, वहीं क्रेशर मशीनों के आस-पास पेड़ पौधे भी नहीं लगाए गए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्रेशर
संचालक पर्यावरण को लेकर कितने सजग हैं।
प्रतिबंधित विस्फोटक का उपयोग
पत्थर व्यवसायियों पर खनन विभाग मेहरबान है, क्षेत्र में अवैध खनन का धंधा भी फल-फूल रहा है। सूत्रों की माने तो
उक्त खदान में खनन में प्रतिबंधित विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट का भी प्रयोग होता है। चर्चा है कि उक्त खदान
संचालकों को खनिज विभाग ने जिन नियम शर्तों के अलावा जितना भू-खण्ड पत्थर उत्खनन के लिए दिया था, उससे
कहीं अधिक क्षेत्र में उत्खनन का कार्य किया गया है, इसके अलावा पत्थर खदान संचालकों ने पत्थर उत्खनन स्थल
को खाई के रूप में परिवर्तित कर दिया है, इससे स्पष्ट होता है कि अवैध खनन प्रशासन की मिलीभगत से होता है,
अगर जांच होती है तो, पत्थर खदान के संचालकों के कलई तो खुलकर सामने आयेगी, वहीं विभाग के करतूत की
परतें भी खुलकर सामने आ जायेगी।
प्राकृतिक सुंदरता हो रही नष्ट
जयसिंहनगर क्षेत्र में संचालित क्रेशर के संचालकों द्वारा ऑफ रिकार्ड खनिज विभाग की अनुमति से खाई का निर्माण
किया जा रहा है, चर्चा है कि पत्थर उत्खनन के साथ ही मुरुम की खदान बना कर धड़ल्ले से अवैध कारोबार किया जा
रहा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ग्राम पंचायत का प्रस्ताव और खनिज विभाग की अनुमति के बगैर ही हाइवा
एवं जेसीबी से मुरूम और पत्थरों का अवैध उत्खनन करने से प्राकृतिक सुंदरता नष्ट हो रही है। ग्रामीणों का कहना है
कि आस-पास के ग्रामीण अंचल में क्रेशर मालिक द्वारा पत्थर का उत्खनन कर खाई निर्मित कर दी है, जिससे घटना
की आशंका के साथ ही पानी की समस्या गहराती जा रही है, साथ ही आस-पास के नाले भी आने वाले दिनों में सूख
जायें, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
इनका कहना है…
अभी रिजनल टीम आई हुई है, अभी मैं व्यस्त हंू, जैसे खाली होता हंू, वैसे ही मौके पर जाकर जांच की जायेगी,
अगर गलती पाई जाती है तो, कार्यवाही होगी।
पुष्पेन्द्र त्रिपाठी
खनिज निरीक्षक, शहडोल