सडक़ बिना खाट पर लिटा कर ले जाना पड़ा शव

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एम्बुलेंस होने के बावजूद परिजनों को झेलनी पड़ी आफत

(अनिल तिवारी +7000973175)
नौरोजाबाद। विकास की उजली तस्वीरें गढ़ कर जनता को भरमाने का काम शासन और उसके नुमाइंदे भले ही करते हों लेकिन बस्तियों में मौजूद पीढिय़ों पुरानी दुर्दशा आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है और विकास की कवायद पर सवालिया निशान लगा देती है। लम्बी चौड़ी कांक्रीट सडक़ों की गाथा सुनाने वाले अगर बस्तियों में कभी झांक कर देखें तो शायद उन्हे भी लज्जा महसूस होगी। ऐसी बस्तियां जहां आज भी सडक़ नहीं, जहां आज भी पहुंचना दूभर है। ऐसे हालात में रोगियों को जल्दी अस्पताल पहुंचाना अथवा शव को अस्पताल से घर तक लाना किस तरह संभव होता होगा यह हर एक सभ्य तथा संवेदनशील इंसान के लिए सोचनीय मसला है। ऐसा ही नजारा हमारे शहडोल संभाग के नौरोजाबाद अंतर्गत मथिका टोला वार्ड नंबर 1 का है। जहां आज तक पहुंच मार्ग नहीं बना। नतीजा यह हुआ कि पिछले दिनों एम्बुलेंस होने के बावजूद एक मृतक का शव एक किमीं दूर तक जैसे तैसे कंधे पर ले जाया गया।
पार्थिव शरीर ले जाने में फजीहत
बताया गया कि पिछले दिनों नौरोजाबाद वार्ड नं 1 माथिका टोला निवासी 50 वर्षीय संतलाल की मृत्यु शहडोल अस्पताल में हो गई थी। उनका शव लाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई थी। एम्बुलेंस महाविद्यालय के समीप तक तो आई लेकिन यहीं पर रुक गयी। क्योंकि महाविद्यालय के समीपी नाले के आगे वार्ड के लिए कोई मार्ग ही नहीं है। मजबूरी में परिजन घर से खाट लेकर आए और फिर शव को खाट पर लिटा कर कंधे के सहारे एक किमी तक कीचड़ के बीच से पैदल शव को ले कर गए। अगर यहां सडक़ होती तो एम्बुलेंस शव को घर तक पहुंचाती। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है, लेकिन बरसात में कीचड़ पानी की वजह से परेशानी और भी बढ़ जाती है।
रोगियों के लिए परेशानी
कुछ वार्ड वासियों ने बताया कि यही स्थिति उस समय भी होती है जब कोई किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है। प्रसव के लिए तड़पती जननी महिला का हाल समझा जा सकता है। रोगी को एक किमी पैदल चलकर फिर वाहन लेना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उसकी तकलीफ और बढ़ जाती है। अस्पताल पहुंचने में भारी परेशानी होती है, इलाज में विलंब होने से रोगी की जान का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति यहां आज तक बनी हुई है कोई देखनेे वाला और व्यवस्था दिलाने वाला नहीं है। यह बस्ती पूरी तरह से उपेक्षित है।
पार्षद की मांग बेअसर रही
हालांकि वार्ड पार्षद रही कुशल बाई ने सडक़ निर्माण के लिए अपने कार्यकाल में नगरपरिषद में आवेदन दिया था लेकिन उनके आवेदन पर कोई सुनवाई नही हुई। हालात आज भी ज्यों के त्यों हैं, क्योंकि केवल आवेदन देना ही काफी नहीं होता है उसके लिए निरंतर संघर्ष करना और निरंतर ध्यान आकृष्ट कराते रहना अनिवार्य होता है। वर्तमान में कुशल बाई नगरपरिषद अध्यक्ष हैं अब शायद वे अपने अधिकारों का उपयोग कर वार्ड के लिए सडक़ का निर्माण करा दें। जनता उनसे यही उम्मीद कर रही है।

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