जन सेवा की जिद,कुछ कर गुजरने का जुनून और जीत लिया आसमान

(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में शायद शहडोल अकेला आदिवासी ऐसा जिला है, जहां ग्राम पंचायत से लेकर जनपद, जिला और विधानसभा से लेकर लोकसभा के अलावा प्रशासनिक पदों पर महिलाओं की संख्या अन्य स्थानों से कहीं अधिक है, आज का यह लेख जिले की तमाम नारी शक्तियों को समर्पित है, जिन्होंने अपने घर के साथ ही अपनी मेहनत और जिद से समाज को एक नई दिशा दी और एक ओहदे को भी प्राप्त किया।
शहडोल। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज जिले में दर्जनों स्थानों पर सरकार और गैर सरकारी संगठनों के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होना है, मातृशक्ति को समर्पित कार्यक्रमों में आज नगरीय निकायों से लेकर जिला पंचायत और भाजपा से लेकर कांग्रेस और अन्य गैर सरकारी संगठनों और संस्थाओं के द्वारा व्रत कार्यक्रमों के आयोजन किया जा रहे हैं, शहडोल संभावित प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के पटल पर भी अकेला ऐसा आदिवासी जिला है, जहां प्रशासनिक पदों से लेकर राजनीतिक पद और विधानसभा और लोकसभा से लेकर प्रशासन त्रिस्तरीय पंचायत के पदों पर नारी शक्ति आसीन है, जिले की धनपुरी नगर पालिका में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर पदस्थ 38 साल की सुश्री पूजा बुनकर की कहानी जिले के ही नहीं बल्कि संभाग के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर बैठी महिलाओं से बिल्कुल अलग है, बचपन से दिव्यांग सुश्री पूजा बुनकर की जिद और पीएससी की परीक्षा को पास कर प्रशासनिक पद के माध्यम से रामराज की परिकल्पना को साकार करना अपने आप में अनूठा है, पूजा की जिद ने उसे आज उसे पद पर लाकर बैठा भी दिया सुश्री पूजा कहती है कि उसने जिंदगी में जो चाहा था, उसे पा लिया, अब शेष जीवन इस पद के माध्यम से जनसेवा करना है।
टू व्हीलर से लेकर खाना बनाने में दक्ष है सीएमओ
जिले की सबसे धनी नगर पालिका मानी जाने वाली धनपुरी की मुख्य नगर पालिका अधिकारी सुश्री पूजा बुनकर ने बीते सप्ताह ही यहां प्रशासनिक आदेश के बाद भार ग्रहण किया, मूलत: जबलपुर के रहने वाली सुश्री पूजा बुनकर नगरीय निकाय विभाग के उक्त प्रशासनिक पद से पहले महिला बाल विकास में भी पदस्थ थी और वहां इस्तीफा देकर उन्होंने पीएससी के माध्यम से मुख्य नगर पालिका अधिकारी का पद ग्रहण किया, सुश्री पूजा बुनकर बचपन से ही दिव्यांग है और उनके पिता आर.एस. बुनकर श्रम विभाग में अधिकारी थे तथा उनकी माता ग्रहणी थी, उन्होंने जबलपुर से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के अलावा संस्कारधानी से ही विज्ञान में स्नातक की डिग्री के अलावा कला में स्नाकोत्तर और पीजीडीसीए, एलएलबी, एमएसडब्ल्यू के साथ तीन स्नाकोत्तर की डिग्रियां हासिल कर रखी हैं। 2014 के पीएससी परीक्षा में होने सफलता मिली और 2018 में सबसे पहले जबलपुर की ही शाहपुर नगर परिसर में सीएमओ के पद पर आसीन हुई, अपनी जिद और धुन की पक्की सुश्री पूजा बुनकर ने बीते 7 सालों में लगभग 7 से 8 निकायों में अपनी सेवाएं दी और सिद्धांतों से समझौता न करने की यही जिद हर एक से डेढ़ साल बाद उनके स्थानांतरण का कारण बनती रही, शाहपुरा के बाद कटनी, सिवनी, पाटन, दमोह और फिर कटनी के विजय राघवगढ़ आदि निकायों में उन्होंने अपनी सेवाएं दी।
रामलाल के इर्द-गिर्द सिमटा जीवन
सुश्री पूजा बुनकर बताती है कि उन्हें पढऩे लिखने के अलावा गाना सुनने का भी शौक है , आशुतोष राणा के द्वारा लिखी गई किताब रामराज का जिक्र करते हुए उनकी बातें नहीं रुकती, वही नागपुर के लेखक की रावण नामक किताब के संदर्भ में भी पूजा जब चर्चा करना शुरू करती है तो, राम राज की परिकल्पना और राम राज्य में प्रजा को किस तरह न्याय मिले और किस तरह उनकी सुविधाओं में इजाफा हो, इन सबको जैसे पूजा बुनकर ने अपने जीवन में ही उतार लिया हो , जन्म से ही दिव्यांग रही पूजा बुनकर दो पहिया वाहन बड़ी बखूबी से चलती हैं साथ ही चपाती से लेकर तरह-तरह के व्यंजन व बड़ी आसानी से बना लेती हैं, बचपन से ही एक हाथ न होने के कारण कार्य में आ रही बाधाओं और अन्य सवालों के जवाब में सुश्री पूजा बनकर कहती है कि उन्हें कभी भी इस तरह का कोई आभास नहीं हुआ कि उनका एक हाथ नहीं है, कभी भी काम में कोई दिक्कत नहीं आई, लेकिन जब कोई उनसे मिलता है और फिर उनकी दिव्यंगता के जिक्र करके उन पर दया भाव की बात करता है तो, उन्हें यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती, अपने जिद की पक्की और जन सेवा की धुन ने उन्हें महिला बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर के पद से इस्तीफा देकर पीएसी के माध्यम से मुख्य नगर पालिका अधिकारी का दायित्व पर पूजा कहती है कि जिंदगी में जो चाहा था वह मिल गया, अब सिर्फ इस पद के माध्यम से लोगों से जुडऩा उनकी मदद करना और इस पद से मिले असीमित दायरे और शक्तियों के माध्यम से रामराज का सपना साकार करना उनका उद्देश्य है।
लोकतंत्र की प्रहरी भी है नारी शक्ति
आदिवासी बाहुल्य जिला होने के बाद भी शहडोल जिले की जनता और जनमानस ने नारी शक्ति को जो सम्मान दिया है, वह अपने आप में अनूठा है जनप्रतिनिधि के सबसे बड़े पद और लोकतंत्र के मंदिर में भी शहडोल की जनता ने श्रीमती हिमाद्री सिंह को चुनकर एक नहीं बल्कि दो बार संसद भेजा और नारी शक्ति का सम्मान किया है, शहडोल संभागीय मुख्यालय के जयसिंहनगर विधानसभा से भी दूसरी बार श्रीमती मनीषा सिंह को विधानसभा भेजा, वही त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के जिले के सबसे बड़े पद पर श्रीमती विमला मिश्रा को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर सम्मान दिया है, राजनीतिक दलों में देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल ने पहली बार शहडोल जिले में महिला अध्यक्ष की सौगात जिले वासियों को दी है, श्रीमती अमिता चपरा पूर्व में भी लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा विभिन्न पदों पर आसीन रहकर शहडोल और मातृशक्ति को गौरन्वित कर चुकी हैं, 2003 और 08 में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रहने के अलावा प्रदेश की राजनीति में भी कार्य समिति सदस्य से लेकर प्रदेश मंत्री के पद पर काबिज रहीं, वही मध्य प्रदेश वित्त विभाग के भी अध्यक्ष पद हेतु 2021 में मनोनीत की गई थी, वर्तमान में स्नाकोत्तर और विधि मैं स्नातक की डिग्री रखने वाली श्रीमती अमिता चपरा भारतीय जनता पार्टी के संगठन का बखूबी संचालन कर रही है।
निकायों में भी मिला सम्मान
जिले के नगरीय निकायों में भी मातृ शक्तियों को जनता ने भारी मतों से दूसरी और तीसरी बार सम्मान नगर के प्रथम महिला का पद सौंपा है, जिले के बुढार नगर परिषद में श्रीमती शालिनी सरावगी की जहां तीसरी बार नगर परिषद की अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हैं, वहीं पड़ोस की धनपुरी नगर पालिका में श्रीमती रविंद्र कौर छाबड़ा दूसरी बार चुनकर अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठी हुई है, देवलोंद में श्रीमती सुशीला सिंह, जयसिंहनगर निकाय में श्रीमती सुशीला शुक्ला के अलावा बकहो में श्रीमती मौसमी केवट अध्यक्ष हैं, वहीं जनपद पंचायत बुढ़ार में अध्यक्ष के पद पर सुश्री उमा धुर्वे, ब्यौहारी में आकांक्षी सिंह, गोहपारू में श्रीमती रामाबाई, जयसिंहनगर में मालती सिंह और सोहागपुर में श्रीमती हीरावती कोल अध्यक्ष पद की शोभा बढ़ा रही है।