दशहरा महोत्सव बैनर विवाद पर फिर छिड़ी बहस, अध्यक्षता की मुहर किसी और पर, क्रेडिट ले रहा कोई और
शहडोल। जिले के नगर परिषद जयसिंहनगर स्थित सांदीपनि विद्यालय में होने वाले दशहरा महोत्सव के आयोजन से पहले ही बैनर विवाद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। रावण दहन से पूर्व ही महोत्सव का माहौल राजनीतिक दांवपेंच और आपसी खींचतान से गर्मा गया है।हाल ही में बैनर पर तस्वीरों को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। आपत्तिकर्ताओं ने इस मुद्दे को प्रशासनिक स्तर तक पहुंचाकर आयोजन को असफल करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने मामले की सच्चाई समझते हुए विवाद को खत्म करने का प्रयास किया। इसके बावजूद आपत्तिकर्ताओं ने फिर से बैनर को हथियार बनाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।
अध्यक्ष को बैनर से किया गायब
सूत्रों के अनुसार, आयोजक समिति के अध्यक्ष को प्रशासन की सहमति और विश्वास के आधार पर कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन नए बैनर में अध्यक्ष की तस्वीर ही हटा दी गई, जबकि उन लोगों की तस्वीरें शामिल कर दी गईं जिनका अब तक कार्यक्रम से कोई प्रत्यक्ष सहयोग नहीं रहा है। इससे स्थानीय लोगों में असंतोष की स्थिति बन गई है।
राजनीति के संकेत
क्षेत्रवासियों का कहना है कि बैनर से अध्यक्ष को गायब करना केवल राजनीतिक तुष्टीकरण का हिस्सा है। एक ओर प्रशासन ने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार और सक्रिय व्यक्ति को अध्यक्षता दी, वहीं दूसरी ओर आपत्तिकर्ताओं की मांगों के दबाव में उनकी तस्वीर हटाकर पूरे आयोजन का क्रेडिट दूसरों को देने की कोशिश की जा रही है।
क्षेत्रीय असंतोष गहराया
इस पूरे घटनाक्रम से क्षेत्र में यह संदेश गया है कि सांस्कृतिक आयोजनों में भी स्वार्थ और महत्वाकांक्षा की राजनीति हावी हो रही है। लोग कह रहे हैं कि दशहरा महोत्सव जैसे धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम को राजनीति की भेंट चढ़ाना परंपराओं के साथ खिलवाड़ है।
इस विवाद ने जहां महोत्सव की गरिमा पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं प्रशासन और आयोजकों के लिए भी एक चुनौती खड़ी कर दी है कि आखिर सांस्कृतिक आयोजन को राजनीति से कैसे दूर रखा जाए।