छात्रावास अधीक्षक को मिला दायित्व, पर नहीं सौंपे गए जरूरी दस्तावेज

शहडोल जिले के शिक्षा विभाग में लापरवाही और अनियमितता का मामला उजागर
सुधीर यादव (9407070722)
शहडोल – शहडोल जिले के शिक्षा विभाग में लगातार सामने आ रही लापरवाही और मनमानी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास रमसा, सोहागपुर में अधीक्षक पद का प्रभार तो नए अधिकारी को सौंप दिया गया, लेकिन उससे जुड़े आवश्यक दस्तावेज आज तक सुपुर्द नहीं किए गए हैं। इससे छात्रावास संचालन में गंभीर तकनीकी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्व छात्रावास अधीक्षक अमिता तिवारी को 6 दिसंबर 2022 को पद से हटा दिया गया था और उनके स्थान पर सुधा रानी को अधीक्षक का प्रभार सौंपा गया। हालांकि, यह प्रभार केवल प्रशासनिक आदेशों के आधार पर हुआ, भौतिक रूप से अमिता तिवारी ने न तो छात्रावास का चार्ज सौंपा और न ही कोई जरूरी दस्तावेज दिए।
वर्तमान अधीक्षक सुधा रानी का कहना है कि उन्होंने कई बार पूर्व अधीक्षक से छात्रावास संचालन से संबंधित अभिलेखों की मांग की, लेकिन उन्हें आज तक कोई दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए। इस लापरवाही के कारण छात्रावास में बच्चों की उपस्थिति, व्यक्तिगत फाइलें, मासिक व्यय विवरण, बजट आवंटन, खर्च का लेखा-जोखा, वाउचर, लेजर, कैशबुक, चेक अग्रिम रजिस्टर, समायोजन रजिस्टर और मासिक प्रतिवेदन जैसी आवश्यक फाइलें अधूरी या अनुपलब्ध बनी हुई हैं।
स्थिति यह है कि सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत जब वर्तमान अधीक्षक से दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से जवाब दिया कि पूर्व अधीक्षक द्वारा उन्हें कोई भी सूचना या दस्तावेज नहीं सौंपे गए हैं। यह एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है, जो छात्रावास की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर सवाल खड़े करती है।
इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) पीएस मारपाची से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे मामले की जांच कर रिकार्ड देखेंगे और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, शिक्षा विभाग के इस प्रकार की कार्यशैली से यह स्पष्ट है कि प्रशासनिक अनुशासन में भारी कमी है और जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी बच्चों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
स्थानीय लोगों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे न केवल छात्रावास की व्यवस्था और संचालन प्रभावित होगा, बल्कि इसका सीधा असर बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा पर भी पड़ेगा। संबंधित उच्च अधिकारियों से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।