भू-माफिया ने जमींदोज कर दिया गरीब आदिवासी का घरौंदा

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8 अप्रैल को हुई थी शिकायत, अभी

 तक भटक रहा सुखसेन

ब्यौहारी के विष्णु व अमरीश पर लगाये

 आदिवासी ने आरोप

जिले के ब्यौहारी नपा मुख्यालय की जमीनों को इन दिनों पर लग गये हैं, यहां के भू-खण्डों की शहडोल से भी कई गुना अधिक में बोलियां लग रही है, इन सबके बीच भू-माफिया ने आदिवासियों की भूमि को अपना निशाना बनाया है और एक दशक के दौरान इनके भू-खण्ड बेनामी नामों और नौकरशाहों की सेवा कर सवर्णों के नाम पर खरीदे जा रहे हैं।

ब्यौहारी/ शहडोल। ब्यौहारी से रीवा जाने वाले मार्ग में तहसील परिसर के आगे महेन्द्रा शोरूम के ठीक बगल से स्थित आराजी खसरा 315 या 317 के मालिकाना हक को लेकर विवाद मचा हुआ है, मोलई कोल के पुत्र सुखसेन और बुद्धसेन जहां इसे अपना भू-खण्ड बताते हुए भू-माफिया पर उन्हें बेदखल करने के आरोप लगा रहे हैं, यही नहीं सुखसेन कोल ने तो 8 अप्रैल को इस मामले की शिकायत स्थानीय थाने में दी और यह आरोप लगाये कि विष्णु गुप्ता पिता रामाधार गुप्ता तथा अमरीश मिश्रा पिता जगदीश मिश्रा नामक भू-खण्डों के कारोबारी ने वर्षाे से बनी उसकी झोपड़ी ही उखाड़ कर फेंक दी, उसका कहना है कि वह वर्षाे से यहां रह रहा था, झोपड़ी थोड़ी जर्जर थी, जिस कारण वह बीच-बीच में वह अपने गांव चला जाता था, उसे पता चला कि दोनों ने उसकी झोपड़ी जमींदोज कर दी और वहां समतल मैदान बना दिया, थाने में शिकायत दी तो, मामला लटक गया।
विधायक ने की कलेक्टर से चर्चा
सोमवार को इस मामले को लेकर सुखसेन और उसका भाई बुद्धसेन जो वर्तमान में उसी भू-खण्ड पर बनी झोपड़ी में रह भी रहा है, दोनों ब्यौहारी विधायक शरद कोल के पास पहुंचे, युवा विधायक ने इस मामले में स्थानीय तहसीलदार, एसडीएम, राजस्व निरीक्षक के साथ ही ब्यौहारी थाना प्रभारी और अंत में शहडोल कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य से चर्चा की, सुखसेन ने बताया कि विष्णु और अमरीश भू-माफिया हैं, जिन्होंने किसी दुर्गा देवी गुप्ता के नाम पर यह जमीन खरीद ली है, सवाल यह उठता है कि आदिवासी का भू-खण्ड सामान्य ने किन आधारों पर क्रय कर लिया, यही नहीं आस-पास के वाशिंदे बताते हैं कि यहां सुखसेन की झोपड़ी थी, यदि यह सच है तो, दोनों को यह अधिकार किसने दे दिया कि वह गरीब की झोंपड़ी को जमींदोज कर दे, इस संदर्भ में विधायक के हस्ताक्षेप के बाद राजस्व अमला सक्रिय तो हुआ, लेकिन सोमवार को निर्देशों के बाद भी स्थानीय आरआई और पटवारी मौके पर जांच और तोड़े गये घरौंदे की पुष्टि करने देर शाम तक नहीं पहुंचे।
खुद को बताया भू-स्वामी
सुखसेन के घरौंदे के तोडऩे और भू-खण्ड को समतल कर कब्जा करने के संदर्भ में जब विष्णु गुप्ता से चर्चा की गई तो, उसने बताया कि यह उनके हक की भूमि है और 1957 से उनके पास दस्तावेज हैं, स्थानीय तहसील न्यायालय ने सुखसेन के खिलाफ स्थगन भी दिया है, विष्णु ने यह भी बताया कि वह भूमि का मालिक नहीं है, केवल केयर टेकर है और खसरा नंबर 317 उनके निजी आराजी खसरे का भू-खण्ड है, उन्होंने यह भी कहा कि इसके ठीक बगल से जो भू-खण्ड तहसील कार्यालय तक फैला हुआ है, जिसे सवर्णों ने आदिवासियों के नाम पर खरीदा है और कुछ ने अपने नाम पर भी खरीदें है। जानकारी न होने के कारण सुखसेन परेशान है। जबकि वह अपनी जमीन बेच चुका है और अब हमसे भी रूपये चाहता है।

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