जवाबदारों की लापरवाही से मासूम बच्चों की जिंदगी दांव पर दिगंबर जैन शिक्षा संस्था की प्राथमिक स्कूल में मध्यान भोजन में इल्ली निकलने का मामला

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जवाबदारों की लापरवाही से मासूम बच्चों की जिंदगी दांव पर
दिगंबर जैन शिक्षा संस्था की प्राथमिक स्कूल में मध्यान भोजन में इल्ली निकलने का मामला

कटनी ॥ मध्यान्ह भोजन में मासूम बच्चों के स्वस्थ्य से खिलवाड़ की असलियत एक बार फिर सामने आ गई है। कभी भोजन की गुणवत्ता और मीनू को लेकर तो कभी मात्रा को लेकर विवादों में रहने वाली मध्यान्ह भोजन योजना अब घटिया किस्म के राशन को लेकर सुर्खियों में है। जिले के जनपद शिक्षा केन्द्र कटनी के अंतर्गत आने वाली दिगंबर जैन शिक्षा संस्था की प्राथमिक स्कूल में मध्यान भोजन में इल्ली निकलने का मामला सामने आया है. घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने इसमें मध्यान भोजन बनाने वाले कर्मचारियों की लापरवाही जाहिर की है! कटनी के दिगंबर जैन शिक्षा संस्था की प्राथमिक स्कूल में आकांक्षा समग्र विकास समिति राय कालोनी , संजय कोठारी के द्वारा खाना भेजा जाता है. हर रोज की तरह शुक्रवार को भी आकांक्षा समग्र विकास समिति राय कालोनी , संजय कोठारी के द्वारा सप्ताह की मीनू के हिसाब से खाने में खिचड़ी बना कर लाया गया था. बताया जा रहा है कि बच्चे पहले थोड़ा भोजन कर चुके थे.उसके बाद जब बच्चों ने और खाने की मांग की तो उसी समय खिचड़ी परोसने में इल्ली निकल आई. खाने में इल्ली देख कर सभी बच्चे डर गए और स्कूल के शिक्षिका को इस बात की सुचना दी. घटना के बाद स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को खाना खाने से रोक दिया और उच्च अधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई.वहीं घटना के बाद स्कूल पहुंची मोनिटर टीम ने खाने की सेम्पलिंग ले ली है जिसकी जांच कर सबंधित जवाबदारों पर कार्रवाई की जाएगी. जाँच अधिकारियों ने पंचनामा करवाई करते हुए खिचड़ी के कुछ नमूनों को लेकर खाद्य प्रयोग शाला भोपाल के लिए भेजा गया , जाँच के उपरांत खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के तहत कार्यवाई की जाएगी ! जाँच अधिकारी ने बताया की जाँच उपरांत खिचड़ी में एक दो कीड़े (इल्ली ) मिली है !
हैरत की बात तो यह घटिया मध्यान्ह भोजन परोसे जाने के मामले प्रकाश में आने के बाद व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। इसके चलते जवाबदारों की लापरवाही से मासूम बच्चों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है। इस तरह की शिकायतों से भले ही स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की चाल न बदली हो , लेकिन अधिकारियों और की चाल बदल गई है । अब बच्चों और अभिभावकों की मजबूरी है कि स्कूल में जिस तरह से उन्हें मध्यान्ह भोजन परोसा जाए , वे उसी से संतुष्ट रहें ।

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