विधानसभा में उठा माधवनगर थाना प्रभारी का मामला चार विधायकों ने पुलिस कार्यप्रणाली पर लगाए गंभीर आरोप, पुलिस अभिरक्षा में बाहरी व्यक्तियों से पूछताछ का मुद्दा गरमाया
विधानसभा में उठा माधवनगर थाना प्रभारी का मामला
चार विधायकों ने पुलिस कार्यप्रणाली पर लगाए गंभीर आरोप, पुलिस अभिरक्षा में बाहरी व्यक्तियों से पूछताछ का मुद्दा गरमाया
कटनी।। जिले से जुड़े एक प्रकरण में पुलिस की कथित कार्यशैली और जांच प्रक्रिया पर सवाल विधानसभा तक पहुंच गए हैं। प्रदेश की सत्ता पक्ष के चार विधायकों संदीप जायसवाल, संजय पाठक, प्रणय पांडे और अभिलाष पांडे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से माधवनगर थाना प्रभारी पर मिलीभगत कर कानूनी कार्रवाई करने का आरोप लगाया और मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की।
विधानसभा में उठाए गए मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन यादव की ओर से अधिकृत मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए संपूर्ण घटना की पुनः जांच कराई जाएगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि सीसीटीवी फुटेज सहित सभी पहलुओं की जांच कराई जाएगी और जांच के दौरान पाई गई लापरवाही या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधायकों से मामले का पूरा विवरण लिखित में देने को कहा और कहा कि विस्तृत जांच कराई जाएगी। अभिरक्षा में कांग्रेस नेता से पूछताछ कराने का आरोप विधानसभा के ध्यानाकर्षण में यह दावा किया गया कि हाउसिंग बोर्ड अग्निकांड में गिरफ्तार युवक शुभम त्रिपाठी से पुलिस अभिरक्षा के दौरान जांच अधिकारी के स्थान पर एक कांग्रेस नेता एवं पूर्व हथियार सप्लायर द्वारा टीआई की मौजूदगी में पूछताछ की गई।
आरोप है कि पूछताछ के दौरान एक प्रतिष्ठित व्यक्ति और उनके परिवार का नाम लेने के लिए दबाव बनाया गया और गलत धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। ध्यानाकर्षण के अनुसार अभिरक्षा में किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा पूछताछ कानूनन अपराध है और यह सिर्फ मामले के अनुसंधान अधिकारी का अधिकार क्षेत्र है। घटना 26–27 अगस्त 2025 की रात की बताई जाती है, जब हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी नाजिम खान के घर की बाउंड्रीवाल पर लगी नेमप्लेट में आग लग गई। बताया गया कि आग लगभग 20 सेकंड में बुझ गई और घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, न ही किसी व्यक्ति को चोट आई। इसके बावजूद पुलिस ने शुभम त्रिपाठी के खिलाफ बी.एन.एस. की धारा 326(जी) सहित गैरजमानती धाराओं में प्रकरण दर्ज कर जेल भेजा, जबकि वास्तविक आरोपियों को पुलिस तलाश नहीं सकी। चारों विधायकों ने सदन में बताया कि नाजिम खान और पुलिस की कथित मिलीभगत से गलत, गैरकानूनी धाराओं में प्रकरण दर्ज कराया गया और शुभम के परिजनों को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित भी किया गया।
ध्यानाकर्षण में यह भी उल्लेख किया गया कि शुभम त्रिपाठी का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और मामले में की गई कार्रवाई के विरोध में ब्राह्मण समाज ने बड़ी संख्या में ज्ञापन देकर निष्पक्ष जांच की मांग की थी। समाज ने कहा कि अलग-अलग मामलों में ब्राह्मण समाज के युवाओं को निशाना बनाकर कार्रवाई की जा रही है, जिससे समाज में आक्रोश है।
ध्यानाकर्षण में मांग की गई कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए,शुभम त्रिपाठी के खिलाफ दर्ज प्रकरण को निरस्त किया जाए,दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हो, अभिरक्षा में बाहरी व्यक्तियों की अवैध पूछताछ के लिए भी जांच हो
सरकार ने आश्वस्त किया है कि मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कटनी जिले के इतिहास में पहली बार सत्ता पक्ष के चार विधायकों द्वारा पुलिस कार्यशैली के खिलाफ, विधानसभा में आवाज उठने से मामला तूल पकड़ चुका है। अब नज़रें राज्य सरकार की जांच रिपोर्ट और आगामी कार्रवाई पर टिक गई हैं। विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों का भी इस मुद्दे पर एकजुट होना यह संकेत देता है कि मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी का नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं और पुलिस की निष्पक्षता से जुड़ा है।