नक्कालों के चंगुल में फंस रही बाजार, विभाग चुप्पी साधे बैठा

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                    मिलावटी खाद्य सामानों की बढ़ रही भीड़, जनस्वास्थ्य से खिलवाड़

शहडोल। बाजार की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाने वाले प्रशासन ने जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा की चिंता छोड़ दी है
और बाजार को पूरी तरह व्यापारियों के भरोसे छोड़ दिया है। जहां व्यापारी हर कदम पर मनमानी कर रहा है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि हालत यह है कि कंपनियों के ब्राण्डेड सामान भी संदेह के दायरे में आ चुके हैं। चोरी इतनी
अधिक बढ़ गई है कि दूकानदार कई तरह से ग्राहक को चूना लगा रहा है। लेकिन बाजार के किसी भी सामान की
गहराई से छानबीन नहीं होती।
गहन जांच पड़ताल नहीं
खाद्य एवं औषधि विभाग खाद्य सुरक्षा मानकों की पहरेदारी करने वाला विभाग माना जाता है। जिसके द्वारा
खाद्य सामानों को मिलावटखोरी एवं अशुद्धता से बचाया जाता है। इसीलिए इसकी ड्यूटी निर्धारित की गई है कि
बाजार में बेची जा रही सामग्रियों की शुद्धता जांच हेतु उसका नमूना लिया जाए और उसे प्रयोगशाला में भेेजा जाए।
लेकिन विभागीय निरीक्षक केवल कोरम पूरा करने के लिए कुछ दूकानों के सेम्पल लेेकर प्रयोगशाला भेज देता है
बाकी पूरे समय आराम करता है और महीना पूरा होते ही कमीशन गिनना शुरू कर देता है।
नकली सामान भरे पड़े
बाजार की किराना दूकानों, डेली नीड्स की दूकानों में नकली सामानों की भरमार है। तेल, घी, मसाला तो नकली
मिलता ही है आटे व बेसन में भी जमकर मिलावटखोरी की जा रही है। इसी तरह खाने पीने के अन्य सामानो में भी
मिलावट की जा रही है। दर्जनों तरह के सामान यहां तक कि पैकेट बंद कंपनियों के नाम बेचे जाने वाले सामान भी

कई बार घटिया और नकली बेचे जा रहे हैं। घटिया सामानों को बड़ा ब्राण्ड बताकर नया माल और गुणवत्तापूर्ण माल
बताकर बेचा जा रहा है। लेकिन इन धंधेबाज व्यापारियों की नकेेल नहीं कसी जा रही है। अमले के लोग कभी दबिश
नहीं डालतेे और व्यापारियों को छूट दिए हुए हैं।
होटलों में गंदगी व्याप्त
संभाग मुख्यालय के होटलों मेंं भी खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। नाश्ते का हर सामान खुले में
रखकर बेचा जा रहा है। समीप से नालियां बहती रहती हैं और वहीं पर नाश्ते का सामान रखा रहता है जिस पर हजारों
मक्खियां भिनभिनाती रहतीं हैं। यही सामान ग्राहकों को परोस दिया जाता है। जबकि खाद्य सुरक्षा मानक का एक
सरल सा सूत्र है कि सामानों को ढांक कर रखा जाए। होटल संचालक इतना करना भी जरूरी नहीं समझता और खाद्य
औषधि विभाग कभी होटल के विरुद्ध कार्रवाई नहंी करता। उसे होटल की यह गड़बड़ी दिखाई नहंी पड़ती है।
चाटवालों पर कार्रवाई नहीं
चाट फुल्की का ठेला लगाने वाले तो गंदगी की भरमार ही रखते हैं। उनके आसपास ही जूठन बजबजाती रहती है।
उनके पास तो ग्राहक को पिलाने के लिए साफ पानी तक नहीं रहता है। एक गंदे से प्लास्टिक के डिब्बे मेें पानी भरकर
रखते हैं, एक गिलास रखी रहती है उसी में डुबोकर सैकड़ों लोग पानी पीते हैं। होटल और चाटवाले संक्रामक बीमारियों
के सबसे बड़े स्त्रोत हैं। इनकी गंदगी के कारण इन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। चाट वालों को तो एक बार
कलेक्टर ने स्वयं ही मौका मुआयना कर फटकारा था। अब फिर वही रवैया हो गया है। चिकित्सा विभाग के अधीन
संचालित होने वाला खाद्य एंव औषधि विभाग स्वंय ही बढ़ावा दे रहा है।

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