आबकारी के इस अधिकारी के हैं शहडोल से भोपाल तक सभी कायल @ रसूक ऐसा की तबादले के आदेश भी इन पर नही होते लागू

मैं मजबूरी में शहडोल में हूँ : ठाकुर
आबकारी अधिकारी सहित रिश्तेदारों की संपत्ति की हो जांच
शहडोल से लेकर भोपाल तक के अधिकारी रसूख के कायल
(अमित दुबे+8818814739)
शहडोल। वर्ष 2011 में अखिलेश ठाकुर उपनिरीक्षक बनकर शहडोल में पदस्थ हुए थे, तब से लेकर अब तक प्रदेश में तीन बार सरकारें बदल गई, करीब आधा दर्जन कलेक्टर, कमिश्नर व आबकारी अधिकारी बदल गये, सांसद तक कई बार बदले, लेकिन अखिलेश का सितारा गर्दिश से बाहर निकला तो, लगातार ऊंचाई ही छूता रहा। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अखिलेश प्रदेश के अकेले ऐसे एडीओ होंगे, जो 09 वर्षाे से एक ही जिले में पदस्थ हैं, बल्कि बीते वर्ष 5 जुलाई को उनका तबादला भी हुआ, लेकिन रसूख का जलजला यह रहा कि आबकारी विभाग व प्रशासनिक अधिकारी शहडोल से लेकर भोपाल तक उनके रसूख के कायल हो गये और ठाकुर साहब मजे से विभाग सहित ठेके में भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
परमिटों का हो मिलान
शहडोल वेयर हाऊस से शहडोल सहित उमरिया और अनूपपुर जिले में भी अंग्रेजी शराब भेजी जाती है, वेयर हाऊस से कटने वाले शराब के चालान और उन चालानों के परमिट का मिलान किया जाये तो, आबकारी के इतिहास का सबसे बड़ा खुलासा सामने आ सकता है, आरोप हैं कि कम्प्यूटर से चालान तो निकलते हैं, लेकिन उन पर नंबर नहीं होता, जो बाद में फट जाते हैं, फर्जी परमिट बनते हैं, वेयर हाऊस से शराब निकलने और दुकान तक पहुंचने के दौरान का यदि मिलान कराया जाये तो, सब सामने नजर आयेगा।
एडीईओ का बड़ा खेल
शराब से जुड़े कारोबारियों की माने तो मध्यप्रदेश में सिर्फ गोवा व ब्लूचिप नामक शराब तथा कुछ अन्य शराब के ब्राण्ड जिनका निर्माण मध्यप्रदेश में होता है, पीसीएम सिर्फ इन्हीं ब्राण्डो में प्राप्त होते हैं, लेकिन शहडोल वेयर हाऊस से हर प्रकार की शराब का पीसीएम मिलने के पीछे एडीईओ का बड़ा खेल है। श्री ठाकुर की सूची में संभाग की सभी शराब दुकानें होती है और उनका हिसाब-किताब भी, मसलन किसी दुकान की बिक्री न होने के कारण उसने ड्यिुटी तो जमा कर दी, लेकिन शराब न उठाकर लगभग 20 प्रतिशत के आस-पास में एडीईओ के सुपुर्द कर दी। इसके बाद 20 प्रतिशत बढ़कर 50 से 60 प्रतिशत तक पहुंचा और दूसरी दुकान को पीसीएम के रूप में फायदा लेकर दे दिया जाता है। वेयर हाऊस से उठी शराब तथा पीसीएम व दुकानों में पड़ी शराब के बैच नंबरों व स्टॉक का मिलान किया जाये तो, खुद-ब-खुद सच सामने आ सकता है।
तो एप्पल में बंद है जिन्न
वेयर हाऊस व जिला आबकारी कार्यालय से जुड़े सूत्रों की माने तो एडीईओ अखिलेश ठाकुर के पास व्यक्तिगत व सरकारी सेल फोन नंबरों के अलावा एक एप्पल का फोन भी है, इस फोन के माध्यम से साहब पहले भोला गुप्ता के नामक पर देवलोंद में ली गई दुकान का संचालन करते थे, वर्तमान में साहब के सारे राज व लेन-देन इसी सेल फोन में इंटरनेट का उपयोग कर किये जा रहे हैं।
रिश्तेदारों की भी हो जांच
2011 में शहडोल आने के दौरान अखिलेश ठाकुर के पास कितनी संपत्ति थी और वर्तमान में कितनी संपत्ति हैं, आयकर विभाग यदि इन 9 सालों के दौरान श्री ठाकुर को मिले वेतन व भत्तों को जोड़ा जाये तो, लाखों नही करोड़ों की आय से अधिक संपत्ति सामने आ सकती है, आरोप हैं कि श्री ठाकुर ने गोरतरा में एक भू-खण्ड ससुराल के रिश्तेदार के नाम पर, एक भू-खण्ड चांपा स्थित हैलीपैड के समीप तथा एक भवन जबलपुर में तथा कुछ अन्य स्थानों पर ले रखे हैं। सूत्रों की माने तो ठाकुर साहब के रिश्तेदारों की संपत्ति की भी जांच की जाये तो, कई चौकाने वाले राज सामने आयेंगे।
बलराम बना ठाकुर का राजदार
जिले में एडीईओ अखिलेश ठाकु र और भोला गुप्ता नामक शराब कारोबारी के संबंध किसी से छुपे नहीं है, आरोप हैं कि पूर्व में देवलोंद स्थित शराब दुकान अखिलेश ने इसी के नाम पर ली थी, वर्तमान में भी धु्रव वाली शराब दुकान के अलावा बकहो स्थित शराब दुकान में अखिलेश की हिस्सेदारी है, यही नहीं लंबे अर्से से मुख्यालय की भांग की दुकान का संचालन ऑफ रिकार्ड अखिलेश के द्वारा ही किया जा रहा है। इसके अलावा खुद डीईओ जिस वाहन में चलते हैं, उसे बलराम के नाम पर एडीईओ ने ही ले रखा है, साथ ही दो अन्य चार पहिया वाहन भी विभाग में दौड़ रहे हैं, इन सबका लेखा-जोखा एप्पल में ही दर्ज है।
इनका कहना है…
सारे आरोप गलत हैं, यदि कल ही मेरा रिलीवर आ जाये तो, मैं जाने के लिए तैयार हंू, हालाकि एस.के. चौधरी यहां पर हैं, लेकिन वे डीईओ रह चुके हैं और स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है, मैं मजबूरी में शहडोल में हूँ।
अखिलेश ठाकुर
एडीईओ, शहडोल