संगठन की पकड़, सत्ता पर असर : शहडोल में बदलते समीकरणों की बानगी

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शहडोल। किसी भी जिले की प्रशासनिक दिशा और विकास कार्यों की बागडोर केवल नौकरशाही तक सीमित नहीं रहती, बल्कि सत्ता और संगठन दोनों की ताकत का मेल ही तय करता है कि जिले में निर्णयों का केंद्र किसके इर्द-गिर्द रहेगा। मध्यप्रदेश में भले ही पहले भी और आज भी भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार रही हो, लेकिन संगठन में हुए बदलाव और नए नेतृत्व के उदय ने हालात को नया रंग दे दिया है।

हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें इस बदलते समीकरण की सजीव मिसाल मानी जा रही हैं। तस्वीरों में मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ भाजपा जिला अध्यक्ष अमिता चपरा, जयसिंहनगर की विधायक श्रीमती मनीषा सिंह, वरिष्ठ नेता अमित मिश्रा और संगठन के अनुभवी कार्यकर्ता दौलत मनमानी नजर आ रहे हैं। यह वही चौकड़ी है जिसे अब जिले की सत्ता-संगठन की नई धुरी के रूप में देखा जा रहा है।

पूर्व जिला अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह के कार्यकाल में जिले की राजनीतिक और प्रशासनिक “धुरी” अलग हाथों में मानी जाती थी। किंतु अमिता चपरा के भाजपा जिला अध्यक्ष बनने के बाद यह परिदृश्य तेजी से बदला है। पहले जहां चर्चा रहती थी कि अमिता चपरा और मनीषा सिंह के बीच मतभेद हैं, वहीं मुख्यमंत्री संग साझा मंच पर खिंचवाए गए छायाचित्र इन अटकलों को झुठलाते हुए तालमेल और एकजुटता का संदेश दे रहे हैं।

संगठन और सत्ता का साझा संदेश

विश्लेषकों का मानना है कि यह तस्वीरें केवल औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि एक ठोस संकेत हैं कि अब जिले की प्रशासनिक नीतियों और विकास कार्यों की डोर संगठन और सत्ता के इन चेहरों के हाथों में केंद्रित हो चुकी है। भाजपा जिला अध्यक्ष अमिता चपरा ने जब यह तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की, तो यह संदेश साफ हुआ कि संगठन न केवल मजबूत है, बल्कि सत्ता पर उसकी पकड़ और परोक्ष रूप से प्रशासन पर प्रभाव भी निर्णायक रूप से बढ़ा है।

दो दशक पुराने कार्यकर्ताओं की अहमियत

इन तस्वीरों में शामिल वे नेता भी हैं, जिन्होंने भाजपा को मजबूती देने में दो से ढाई दशक का समय लगाया है। खासकर दौलत मनमानी और अमित मिश्रा, जिनकी जमीनी पकड़ और लंबे अनुभव ने संगठन को स्थायित्व दिया। अब संगठन, सत्ता और प्रशासन का यह नया गठजोड़ न केवल पुराने मतभेदों को पाटने का संकेत है बल्कि यह भी बताता है कि जिले की निर्णय क्षमता किसके पास सिमटती जा रही है।

बदलते समीकरणों का असर

राजनीतिक समीक्षक यह मान रहे हैं कि जिले में अब भाजपा के केंद्रीय विधायक के प्रभाव की जगह संगठन और उसके नए नेतृत्व की छवि अधिक मजबूत दिखाई दे रही है। प्रशासनिक अधिकारी भी समझ रहे हैं कि जिले के विकास कार्यों और फैसलों को आगे बढ़ाने के लिए संगठन की अनदेखी किसी भी हालत में संभव नहीं।

संक्षेप में कहा जाए तो शहडोल में भाजपा के अंदर की “धुरी” अब बदल चुकी है। संगठन और सत्ता के बीच तालमेल की यह नई तस्वीर न केवल आने वाले दिनों की राजनीति का संकेत है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जिले में विकास और प्रशासन से जुड़े निर्णय अब उन्हीं हाथों में केंद्रित होंगे जो मुख्यमंत्री के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

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