बेला व रुनिया काल से भी बद्तर है बरगवां में वर्तमान नगर की सत्ता @ 6 दिनों से ठप्प पड़ी पेयजल व्यवस्था

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बदहाल नल जल योजना और

बेहाल वार्ड वासी

(बृजेन्द्र मिश्र)

अनूपपुर।नगर परिषद बरगवां अमलाई में पीने के पानी को लेकर बदहाल नल जल योजना का संचालन जिससे इस भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए जनता दर-दर भटकने को मजबूर अच्छे दिनों की आस में आ गए इतने बुरे दिन जब नल जल योजना अंतर्गत वार्ड क्रमांक एक में बनी पानी की टंकी एवं विद्युत व्यवस्था आज लगभग 6 दिनों से ठप पड़ी है किंतु ना तो वार्ड पार्षद को इसकी खबर है स्वभाविक तौर पर देखा जाए तो पार्षद अपनी व्यवस्था में मशगूल है जिसके द्वारा ओरिएंट पेपर मिल के द्वारा प्रदत्त टैंकर के माध्यम से पानी पीने का प्राप्त हो रहा है जिससे वार्ड वासियों की समस्या नहीं दिखाई दे रही है।
वही हाल नगर परिषद अध्यक्ष गीता गुप्ता जिनके द्वारा नगर परिषद गठन के बाद लोगों के अच्छे दिन लाने का वादा हर समस्याओं से निजात दिलाने एवं समस्याओं का त्वरित निराकरण कराने की बात कही जाती है वह स्वयं की समस्याओं का निराकरण करने में लगे हैं ज्ञात हो कि सोडा कास्टिक यूनिट ओरियंट पेपर मिल के द्वारा इनके घरों में पाइपलाइन के माध्यम से पेयजल व्यवस्था की गई है किंतु वही वार्ड नंबर 3 में पीने के पानी के लिए पानी टंकी तक का सफर साइकिल पर डिब्बे रखकर पानी की व्यवस्था में लगे वार्ड वासी यो का कहना है कि यह हैं अच्छे दिन इससे अच्छा तो यह होता कि नगर परिषद की जगह पूर्व ग्राम पंचायत ही रहने दिया जाता क्योंकि पंचायत के समय में इस तरह का दुर्व्यवहार पूर्ण आचरण नहीं किया जाता था किंतु जब से नगर परिषद गठन हुआ है कब से जनप्रतिनिधि अपनी अपनी व्यवस्थाओं में लगे हुए हैं इन्हें वार्ड की जनता से कोई वास्ता नहीं सिर्फ बड़बोले पन और दिखावे करने में लगे हैं।
आखिरकार स्वयं निशुल्क पेयजल व्यवस्था का लाभ ले रहे अध्यक्ष नगर परिषद बरगवां जनहित में व्याप्त पेयजल संकट से जूझ रहे वार्ड वासियों को नहीं दिला पा रहे छुटकारा। बरगवां वार्ड क्रमांक 1 लगभग 6 दिनों से पेयजल सप्लाई की व्यवस्था को देखने वाले नल जल योजना जिसके माध्यम से पाइप लाइन के द्वारा घर-घर पानी सप्लाई की जाती है वह अव्यवस्थाओं के कारण ठप पड़ा हुआ है जिसके वजह से वार्ड वासियों के द्वारा वही ओरियंट पेपर मिल के द्वारा लगाया गया पानी टंकी में लगे सिंगल नल से साइकिल पर डिब्बे लादकर पीने के पानी को ढोने के लिए मजबूर है। आक्रोशित जनता का कहना है कि इससे अच्छा तो पंचायत ही रहता कम से कम इस प्रकार की परेशानियों का सामना तो नहीं करना पड़ता।

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