गरीब वर्ग के लोगों को हो रही परेशानी; सरकारी आदेश का उल्लंघन

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                                       सरकारी अस्पताल के डाक्टर वा नर्स खुलेआम लिख रहे बाहर की दबा

जय प्रकाश शर्मा
उमरिया जिले के सरकारी अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों को बाहर की दवा लिखने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन सरकार के इस निर्देश पर अधिकांश बिल्कुल भी अमल नहीं कर रहे हैं ऐसा ही मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मानपुर का है यहां पर पदस्थ डॉक्टर द्वारा 80% बाहर की दवा लिखी जाती है विशेष सूत्रों के द्वारा बताया गया है डॉक्टर अस्पताल में मात्र एक गोली ही देते हैं बाकी सभी दवा मेडिकल से लेने को कहा जाता है गरीब एक तो वह है जो  किराया लगाकर दवा कराने लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मानपुर लेकिन गरीब वर्ग के लोगों को अधिकाश मेडिकल की दबा लाने के लिए कहा जाता है लेकिन अफ़सोस  दवा कहां से खरीदेंगे विश्वसनीय सूत्रों ने बताया गया है  कि डॉक्टरों की मेडिकल दुकानों से सांठगांठ से रहते हैं  और उनका निर्धारित कमीशन सेट रहता है इसी वजह से संबंधित मेडिकल दुकान में जो दवा उपलब्ध रहेगी वहीं दवा यह डॉक्टर लिखते हैं जबकि सरकार निशुल्क दवा वितरण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है ताकि गरीब लोगों को दवा कराने में व्यवधान ना हो लेकिन यह डॉक्टर सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं साथ ही मरीजों को इस समस्या पर गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है क्योंकि इन डॉक्टरों के ऊपर सरकार के निर्देश का बिल्कुल भी असर नहीं पड़ रहा है सरकारी अस्पताल के आसपास नजदीकी मेडिकल की दुकाने यानी सरकारी अस्पताल में पदस्थ डाक्टरों के रहमों कदम पर फल फूल रहे हैं
खुद डॉक्टर  उठाते हैं गुणवत्ता पर सवाल
अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर ही सरकारी दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते देखे जाते हैं यह मरीज से स्वयं कहते हैं जल्दी आराम पाना हो तो बाहर की दवा लीजिए यहां की दवा पर ज्यादा समय लगेगा
फिर कहां जा रही सरकारी दवा
अब सवआल यह खड़ा हो रहा है कि जब सरकारी अस्पताल में बाहर की दवा लिखी जा रही है तो फिर अस्पतालों  में आने वाली सरकारी दवा कहां जाती है ऐसे में अपने आप स्पष्ट होता है कि सरकारी दवा या तो फिर कालाबाजारी कर दी जाती है या फिर नष्ट कर दिया जाता है क्योंकि एक और स्वास्थ्य विभाग सरकारी दवाओं का भारी मात्रा में खपत दिखाता है वहीं दूसरी ओर पर्ची में अधिकांश दबा बाहर की लिखी जाती है
ताजा मामला आया सामने
आपको हम यह भी बता दें कि अभी हाल ही में बुधवार की रात्रि के समय मानपुर नगर परिषद के वार्ड क्रमांक 1 सेमरा स्थिति रम्मत लाल बैगा ने अपने बेटी के ननंद को सर्प काटने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मानपुर लाया गया था जिसे आनन-फानन में भर्ती तो कर लिया गया लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य मानपुर के डॉक्टर वा नर्स अधिकांश कर मेडिकल ओं की दवा लिखते हैं लेकिन अफसोस इस बात का है की सरकारी दवा कहां जाती है जब मरीजों को मेडिकल से दवा लाने के लिए कहा जा रहा है रम्मत लाल बैगा ने हरिभूमि संवाददाता से चर्चा करते हुए बताया की हमें मेडिकल से इंजेक्शन व दवा लेने के लिए कहा जा रहा है उमरिया जिले के संवेदनशील कलेक्टर माननीय कृष्ण देव त्रिपाठी एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी आरके मेहरा से मांग की जाती है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्देशित किया जाए कि मरीजों को मेडिकल से दवा लेने के लिए ना कहा जाए जय भी एक सवालिया प्रश्न खड़ा कर रहा है

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