ठेकेदार की सहूलियत से बदलते हैं मंडल के कायदे

शहडोल/चचाई । संभाग अंतर्गत anuppur जिले के chachai स्थित अमरकंटक थर्मल पावर केंद्र में अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच जुगलबंदी का आलम यह है कि अब अधिकारी ठेकेदार के हिसाब से कायदों को तय करने लगे हैं यही नहीं यदि ठेकेदार जारी निविदा में यदि फिट नहीं बैठता तो अधिकारी उस निविदा को भी बदलने में कोई गुरेज नहीं कर रहे अधिकारियों की मनमानी का आलम यह है कि अब उन्हें न तो विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों का भय है और ना ही भ्रष्टाचार करने में ही वे कोई कोताही बरत रहे हैं।
मामला सिविल विभाग का है जहां अधिकारियों द्वारा सुप्रिया इंटरप्राइजेज नामक फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए पूर्व में जारी निविदा और उन में उल्लेखित शर्तों को ही बदल दिया आरोप है कि अधिकारियों ने सुप्रिया इंटरप्राइजेज के संचालक राम जी सोनी को फायदा पहुंचाने के लिए मंडल में लगने वाले चार पहिया वाहन की शर्तों में हेरफेर कर दिया और उस शर्तों को उस अनुरूप बना दिया गया जो सुप्रीम एंटरप्राइजेज के वाहन के हिसाब से ठीक बैठती हैं, बहरहाल इस मामले में सच्चाई कितनी है यह तो जांच के बाद ही सामने होगा लेकिन अरसे बाद एक बार फिर अमरकंटक थर्मल पावर केंद्र के अधिकारियों की मनमानी और उनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की चर्चा चौराहा पर होने लगी है।
यह आरोप आरोप है कि अमरकंटक थर्मल पावर के सिविल विभाग में चार पहिया वाहन भाड़े पर लगाए जाने के लिए विभाग द्वारा निविदा आमंत्रित की गई थी, इसमें अलग-अलग ठेकेदारों ने वाहनों के हिसाब से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, पूर्व में जारी निविदा में जहां 2019 का मॉडल चाहा गया था, सुपरवाइजर के द्वारा जो वाहन वहां पर लगाए जाने की योजना बनाई गई है वह बोलेरो 2018 की है इसके लिए विभाग ने दोबारा 8 अप्रैल को पत्र जारी कर के यहां लगने वाले चार पहिया वाहन का पंजीयन 2019 की जगह संशोधित करके 2017 कर दिया यह बात पूरे मंडल तथा chachai कॉलोनी में चर्चा का विषय बनी हुई है।
दो फार्म और एक मालिक
अमरकंटक थर्मल पावर केंद्र में thekedar और अधिकारियों की जुगलबंदी तथा मिलकर भ्रष्टाचार करने का या कोई नया मामला नहीं है पूर्व में भी इस तरह के आरोप thekedar और अधिकारियों पर लगते रहे हैं कई अधिकारी तो ठेकेदारों के नाम पर ही साझे में यहां उनके साथ मिलकर काम करते रहे हैं सुप्रिया interprises के संदर्भ में यह भी जानकारी सामने आई कि उक्त कंपनी के मालिक रामजी Soni के द्वारा पूर्व में बालाजी इंटरप्राइजेज के नाम पर यह कार्य किया जा रहा था तथा कोल सेंपलिंग वाले विभाग में इनके द्वारा वाहन लगाया गया था लेकिन बीच में ही यह काम छोड़ दिया गया, नियमतः विभागीय शर्तों का उल्लंघन करने वाले फर्म को दोबारा काम नहीं दिया ना जाना चाहिए या उसे काली सूची में डाल दिया जाना चाहिए, अधिकारियों ने संभवत इसी से बचने के लिए बालाजी इंटरप्राइजेज के नाम पर सुप्रिया एंटरप्राइजेज नाम की नई फार्म की शुरुआत रामजी सोनी से करवाई और उसके नाम पर काम आवंटित करने के लिए यह पूरा खेल किया जा रहा है यह भी खबर है कि बालाजी इंटरप्राइजेज के नाम पर मंडल में और भी कई ठेके उक्त फर्म के मालिक ने लिए हुए हैं जो अधिकारियों के साथ ही अधिकारियों के साथ संचालित है