उपयंत्री निरीक्षण करते रहे, अंत में मनमानी से बह गया बांध
शहडोल। 2 सितम्बर को धनपुरी नगर पालिका की विशेष बैठक आहूत की गई, इसमें 1 करोड़ 32 लाख के लगभग 80 प्रतिशत बन चुके बगइया नाला बांध के पानी में बह जाने के उपरांत ठेकेदार पर कार्यवाही को लेकर चर्चा और परिषद की मोहर लगनी थी। पहले से ही संयुक्त संचालक कार्यालय से लिखी गई स्क्रिप्ट पर मोहर लगाने की योजना थी, लेकिन बैठक में भाजपा के पार्षदों और नेता प्रतिपक्ष व अन्य कांग्रेसी पार्षदों ने उपयंत्री बृजेश पाण्डेय जिनकी देख-रेख में बांध निर्मित हो रहा था, उस पर भी कार्यवाही की मांग रख दी। पार्षदों ने उपयंत्री पर बांध निर्माण के दौरान की गई अनियमितता को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी, अचरज इस बात का था कि जिन सवालों के जवाब पालिका के सीएमओ और भाजपा के अध्यक्ष को देने थे, उनके जवाब कांग्रेस के उपाध्यक्ष दे रहे थे। अंत तक बैठक में सिर्फ पूर्व से लिखी स्क्रिप्ट को ही पास कराने की जुगत में लगे रहे।
उपाध्यक्ष ने निभाई पक्ष की भूमिका
28 पार्षदों वाली नगर पालिका धनपुरी में चुनावों के दौरान कांग्रेस के 13, भाजपा के 9 और शेष 6 निर्दलीय पार्षद जीत कर आये थे, वर्तमान में अध्यक्ष भाजपा से और उपाध्यक्ष कांग्रेस से हैं, सोमवार को जब कांग्रेस के पार्षदों के साथ भाजपा के कई पार्षद बांध निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के मामले में कार्यवाही ठेकेदार के साथ अपनी देख-रेख में कार्य कराने वाले उपयंत्री बृजेश पाण्डेय को भी कटघरे में खड़ा कर रहे थे, उसी दौरान पालिका की भाजपा अध्यक्ष और सीएमओ ने तो चुप्पी साध रखी थी, लेकिन कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने इसी दैवीय प्रकोप बताया, यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि देश में बड़े-बड़े बांध बह गये, ये तो छोटा सा बांध था, आगे से गुणवत्त्ता का ध्यान रखा जाये, ऐसे में ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही कर तो रहे हैं,19-20 सब चलता है।
भाजपा पार्षद ने कहा इंजीनियर की जिम्मेदारी
पालिका अंतर्गत जिस वार्ड नंबर 20 में बांध का निर्माण हो रहा था, उक्त वार्ड के भाजपा पार्षद आनंद कचेर ने मीडिया से चर्चा के दौरान दिये अपने बयान में कहा कि इंजीनियर साहब लगातार बांध को देखने जाते थे, उन्हीं की देख-रेख में काम हो रहा था, ऊपर वाले अधिकारी इस संदर्भ में कार्यवाही करेंगे। वहीं चर्चा के दौरान उक्त भाजपा पार्षद का ज्ञान भी देखने को मिला, जिस पार्षद के वार्ड में 98 लाख बांध निर्माण की राशि तय की गई थी और अन्त में जीएसटी मिलाकर यह बांध व निर्माण कार्य 1 करोड़ 32 लाख तक पहुंच गया, उस वार्ड के जागरूक पार्षद का अधूरा ज्ञान मीडिया को दिये गये बयान में सामने आया, जिसमें उन्होंने 98 लाख की बात को काटते हुए 90 लाख का बांध बताया।
लगातार दौरा, फिर भी बहा बांध
बैठक के दौरान यह तथ्य भी सामने आये कि पालिका के द्वारा ठेकेदार को कार्यादेश देने के बाद उपयंत्री बृजेश पाण्डेय ने लगातार निरीक्षण और दौरा किया, खुद उपयंत्री ने इस बात को स्वीकारा की अप्रैल से लेकर अगस्त तक वह दर्जनों बार गये, लेकिन उन्हें वहां कार्य से संबंधित बोर्ड नहीं मिला, प्रयोगशाला नहीं मिली, 12 की जगह 10 एमएम की राड उपयोग होती रही, डैम के निचले हिस्से में साढ़े तीन मीटर की जगह कुछ फिट बेस डाला गया, 29 मीटर लंबाई 22 मीटर में बदल गई और दोनों तरफ के की-वॉल की लंबाई 3 मीटर में सिकुड़ गई और उपयंत्री बांध बहने के एक सप्ताह पहले 16 अगस्त तक 101 प्रतिशत सही का बयान दिया, इसके 7 दिन बाद 23 अगस्त की सुबह कार्यपालन यंत्री की एक रिपोर्ट जो बांध बहने के अगले दिन बैकडेट पर बनाई गई, उसमें बांध निर्माण गुणवत्ता विहीन और फर्जी टेस्ट रिपोर्ट का उल्लेख दर्शाया। इसके बाद भी ईमानदार और संयुक्त संचालक कार्यालय से मधुर संबंध रखने वाले उपयंत्री को विभाग और कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने अपने तरफ से क्लीनचिट दे दी।
मीडिया से भागते नजर आये पाण्डेय
कार्यपालन यंत्री के द्वारा बांध बह जाने के बाद 24 अगस्त को बैकडेट की निरीक्षण रिपोर्ट जिस पर 23 अगस्त अंकित की गई, उसमें ठेकेदार के द्वारा फर्जी टेस्ट रिपोर्ट का उल्लेख किया गया, यह रिपोर्ट उपयंत्री बृजेश पाण्डेय को ही दी गई थी, लेकिन सप्ताह भर में विभाग ने फर्जी टेस्ट रिपोर्ट लेने, देने और उसे बनाने वाले के खिलाफ पुलिस में कोई शिकायत नहीं दी, अलबत्ता इन सवालों के जवाब देने की बजाय 2 सितम्बर को उपयंत्री बृजेश पाण्डेय मीडिया के कैमरे से भागते नजर आये। इस मामले में कार्यपालन यंत्री के कार्यालय से लिखी गई स्क्रिप्ट पर परिषद के सीएमओ और अध्यक्ष की भी चुप्पी संदेहास्पद है।