ग्राम पंचायत ढोलकू स्थित महात्मा गाँधी का मंदिर बना जन आकर्षण का केंद्र
गाँधीवादी विचारों को समर्पित क्षेत्र का इकलौता मंदिर
शहडोल। जिले के ग्राम पंचायत ढोलकू में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एक अनोखा मंदिर है। गांधीजी का ये मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर निरनमित है। इसका निर्माण पूर्व नाला के पास कराया गया है। जिसका नाम अब बदलकर सहस्त्रधारा हो गया है। ढोलकू गांव से गुजरते हुए हाईवे से निकलने वाले लोगों को बड़ी ही आसानी से इस मंदिर के दर्शन हो जाते हैं और कुछ लोग तो अनायास ही अपनी गाडिय़ों को मोड़कर उस मंदिर की ओर भी पहुंच जाते है।
दिनेश शर्मा ने कराया था निर्माण
ग्रामीण बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण साल 2017 में दिनेश शर्मा ने करवाया था। जहां मंदिर में गांधीजी की प्रतिमा भी बकायदे स्थापित की गई है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वह इस मंदिर में 2 अक्टूबर को पूजा भी किया करते थे। लेकिन अब उनके निधन के बाद उनके बच्चे पिता की इस परंपरा को आगे ले जा रहे हैं और बापू के विचारों को सब तक पहुंचा रहे हैं। इस मंदिर स्थल में पहुंचते ही आत्मिक शांति मिलती है।
आज होंगे विशेष कार्यक्रम
सहस्त्रधारा के किनारे बने इस अद्भुत बापू के मंदिर में आज विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। ग्रामीणों ने बताया किआज के दिन मंदिर में पूजा-पाठ किया जायेगा। इस पूजन में आसपस के कई स्कूलों के बच्चे भी शामिल होते रहे है और आज भी आएंगे। गांधीजी का पूरा जीवन ही अन्याय के खिलाफ समर्पित रहा यही कारण है कि बापू के विचार आज भी पूरी दुनिया में जिंदा है, उनके विचारों को आगे की पीढ़ी तक ले जाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं और यह प्रयास जिले के ढोलकू ग्राम पंचायत में भी किया गया है, जहां गांधीजी का मंदिर बना कर, आने वाली पीढ़ी को उनके विचारों से अवगत कराया जा रहा है। ढोलकू गांव के युवा बताते हैं कि गांव के अधिकतर युवा हर दिन सहस्त्रधारा में बने मंदिर प्रांगण में पहुंचते रहते है, जहां गांधी की बातें होती हैं, बच्चे और युवा योग करते हैं।
स्कूली बच्चों को कराया जाता है भ्रमण
बापू के इस मंदिर का भ्रमण आसपास के स्कूलों के बच्चों को भी कराया जाता है, आसपास के स्कूल के बच्चे समय समय पर बापू के इस मंदिर में पहुंचते हैं। जहां शिक्षक महात्मा गांधी के विचारों को उन बच्चों के साथ साझा करते हैं, यही वह मौके होते हैं, जब गांधीजी के विचार आने वाली पीढ़ी के साथ साझा होती है। बच्चों के लिए भी यह मंदिर आकर्षण का बड़ा केंद्र होता है।
मंदिर के कारण गांव को मिली पहचान
ढोलकू ग्राम पंचायत के लोगों का कहना है कि इस मंदिर की वजह से देश दुनिया में उनके गांव की एक अलग पहचान बन रही है, इस मंदिर की वजह से उनका गांव चर्चाओं में आ रहा है, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है, ग्रामीण कहते हैं, कि गांधी जी का ये मंदिर उनके गांव की एक अलग पहचान बन चुकी है। कल कल बहता पानी, चारो ओर मनोरम दृश्य, और चट्टानों के बीच बना बहुत ही आकर्षक ये अनोखा मंदिर अनायास ही आपको वहां पर रुकने को मजबूर कर देगा। एक बार उस मंदिर को देखने के बाद आपके अंदर एक अलग ही उत्सुकता देखने को मिलेगी। इस मनमोहक फिज़़ा के बीच बने इस मंदिर को अगर पर्यटन का बड़ा केंद्र समझकर यहां विकास, तो निश्चित ही ये मंदिर कार्य कर दिए जाये और इस स्थल को एक अच्छा स्वरुप दिया जाये तो यह स्थान जिले को एक नई पहचान प्रदान कर सकता है।